1996 वर्ल्ड कप में श्रीलंका हर टीम को आसानी से रौंदती जा रही थी। लंकाई टीम के पास गेंदबाज़ी लाइनअप में मुथैया मुरलीधरन और चंमिडा वास जैसे गेंदाबाज़ों के अलावा दहला देने वाली बल्लेबाज़ी क्षमता भी थी। सनथ जयसूर्या और रोमेश कालुवितराना की जोड़ी चकित करने देने वाले स्ट्रोक्स के साथ लंकाई टीम को गज़ब की शुरुआत देती और फिर रहा सहा काम कप्तान अर्जुना राणातुंगा और अर्विंदा डी सिल्वा कर देते थे। ज्यादातर मौकों पर लंकाई टीम की पहले 15 ओवर में आक्रामक शॉट्स खेलने की स्ट्रेटजी सफल रही और आखिरकार श्रीलंका चैंपियन बन गया। हर किसी ने जयासूर्या के ताकतवर शॉट्स की तारीफ की और जयासूर्या की वो पारियां आज भी श्रीलंकाई क्रिकेट प्रेमियों के जहन में ताज़ा हैं, लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि सनथ जयासूर्या दाएं हाथ के स्पिनर के तौर पर टीम में आए थे जो थोड़ी बल्लेबाज़ी भी कर सकते थे। हालांकि वर्ल्डकप शुरु होने से पहले ही जयसूर्या कई बार अपने बल्ले की चमक दिखा चुके थे । यही कारण था कि कप्तान राणातुंगा ने जयसूर्या को लोवर ऑर्डर से ऊपर बुलाकर पारी की शुरुआत करने को कहा। बहरहाल, हम इस आर्टिकल में बिलकुर रिवर्स ऑर्डर पर नजर डालेंगे। हमने 5 ऐसे गेंदबाज़ों का चुनाव किया है जो पहले बल्लेबाज़ थे लेकिन बाद में वो वर्ल्ड क्लास गेंदबाज़ बने। #1 रविचंद्रन अश्विन अश्विन ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ जारी टेस्ट सीरीज़ के पहले टेस्ट में अपनी चालाक ऑफ स्पिन से 10 और दूसरे टेस्ट में 6 विकेट झटके। अश्विन इस टेस्ट सीरीज़ के मैन ऑफ द सीरीज़ के दावेदारों में भी है और अगर उन्होंने आखिरी टेस्ट में एक और मैच विनिंग प्रदर्शन किया तो उन्हें मैन ऑफ द सीरीज़ चुना जा सकता है, लेकिन क्या अश्विन आखिरी कुछ पारियों से गजब की बल्लेबाज़ी नहीं कर रहे? पिछली 7 पारियों में अश्विन ने 2 शतक बनाए हैं। अगर आप ये सोच रहे हैं कि अश्विन में अचानक इतना शानदार बल्लेबाज़ी की काबिलियत कहा से सीखी, तो अपने दिमाग पर ज़ोर देना बंद कीजिए क्योंकि अश्विन ने जूनियर क्रिकेट की शुरुआत बतौर एक बल्लेबाज़ ही की थी। वो एक अच्छे बल्लेबाज़ थे लेकिन उनके कोच ने इससे बिल्कुल उलट चुना और अश्विन को स्पिन डालने को कहा। अश्विन ने 2011 में भारत के लिए वनडे में डेब्यू किया और अभी तक वो 107 मैच में 142 विकेट ले चुके हैं। टेस्ट क्रिकेट में अश्विन के आंकड़े और चौकांने वाले हैं । अश्निन के खाते में 38 मैच में 207 विकेट हैं। हालांकि एक कारनामा ऐसा भी है जो सचिन भी अपने करियर में नहीं कर पाए। जी हां, अश्विन ने एक ही टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में चार शतक जमाए हैं। जिसमें दो शतक उन्होंने पिछले वेस्टइंडीज दौरे पर लगाए थे। अश्विन ने कई अहम मौको पर अपने बल्ले से रनों की आग उगली है, जिससे उनके बल्लेबाजी का जौहर भी देखने को मिला। #2 रविंद्र जडेजा जडेजा स्पिन के आक्रमण में अश्विन के जोड़ीदार हैं और वो भी तमिलनाडू के योद्धा की तरह ही ऑफ स्पिनर हैं। हालांकि जडेजा बांय हाथ के स्पिनर है जो इस समय न्यूज़ीलैंड की टीम के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। जडेजा ने आखिरी कुछ मुकाबलों में शानदार गेंदबाज़ी की है जिससे उनका बल्लेबाज़ी में आत्मविश्वास भी बढ़ा है। चाहे बीते समय में जडेजा बतौर एक फुलटाइम गेंदबाज़ की हैसियत से टीम में हो लेकिन वो अच्छी बल्लेबाज़ी भी करने का माद्दा भी रखते हैं। सौराष्ट्र से खेलने वाले बांय हाथ के इस बल्लेबाज़ का रणजी ट्रॉफी में आगाज़ धमाकेदार अंदाज़ में हुआ और जडेजा के नाम दर्ज तीन तिहरे शतक ये दर्शाने के लिए काफी हैं, लेकिन जडेजा ने सुर्खियां अपनी सटीक गेंदबाज़ी के चलते बटौरी और आजकल भारतीय टीम में जडेजा का रोल एक स्टार स्पिनर का है जिसमें थोड़ी बल्लेबाज़ी की भी क्षमता है। जडेजा के खाते में 265 विकेट और 2599 अंतरराष्ट्रीय रन हैं। #3 अजीत अगरकर भारत का ये पेसर अपनी स्विंग के लिए जाना जाता था। अगरकर के पास गेंद को हवा में स्विंग कराने के साथ-साथ पिच से सीम कराने की भी क्षमता थी, जो काफी मुश्किल कला है। भारत के लिए अगरकर का करियर बेहद सफल रहा। मुंबई से शुरुआत करने वाले अगरकर ने भारत के लिए 26 टेस्ट, 191 वनडे और 4 टी-20 मैच खेले। लेकिन अगरकर ने अपने करियर का आगाज़ बतौर बल्लेबाज़ किया था। खबरों के अनुसार स्कूल क्रिकेट में अजीत अगरकर ने एक तिहरा शकत भी जमाया था। वर्ष 1994 में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई अंडर-17 सीरीज़ में अगरकर भारत की टीम का हिस्सा थे। उस इंग्लिश टीम में एंड्रयू फ्लिनटॉफ, एलेक्स ट्यूडर और गैरथ बैटी जैसे खिलाड़ी शामिल थे, तब अगरकर नंबर 5 पर बल्लेबाज़ी करते थे। अंडर-19 में भी अगरकर के नाम एक शतक है। लेकिन अगरकर कहते थे कि अगर वो एक गेंदबाज़ न होते तो उन्हें मुंबई की भारी भरकम बल्लेबाज़ी लाइन अप में बैटिंग करने का मौका कभी नहीं मिलता। टेस्ट क्रिकेट में अगरकर के नाम एक शतक है और उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 109 रन है, जो कि एक रिकॉर्ड है (बनाम इंग्लैंड, लॉर्ड्स)। जिसके लिए आज भी उन्हें लॉर्ड्स में हर साल होने वाले सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए बुलाया जाता है। #4 अनिल कुंबले ये यकीन करना थोड़ा मुश्किल है कि भारतीय टीम के दिग्गज स्पिनर कुंबले ने क्रिकेट की शुरुआत एक बल्लेबाज़ के तौर पर की और वो अंडर-15 टीम में पारी की शुरुआत करते थे। लेकिन कुछ ही दिनों में कुंबले को ये एहसास हो गया था कि वो गेंद से काफी बुलंदियां छू सकते हैं। कुंबले में पहले मीडियम पेस गेंदबाज़ी से शुरुआत की लेकिन फिर अपने हाथ स्पिन गेंदबाज़ के तौर पर अज़माए। अपने इस बदलाव को साथ कुंबले ने 1990 में बतौर लेग स्पिनर भारत के लिए डेब्यू किया। कुंबले ने अपना आखिरी टेस्ट 2008 में खेला। अपने 18 साल लंबे करियर में कुंबले भारत के सबसे पसंदीदा स्पिन के जादूगर रहे। कुंबले के नाम 132 टेस्ट में 619 और 271 वनडे में 337 विकेट हैं। हालांकि लगातार नहीं, लेकिन कुंबले ने कई बार भारत के लिए बल्ले से भी उपयोगी पारियां खेली हैं। टेस्ट क्रिकेट में कुंबले ने 2506 रन बनाए हैं जिसमें नाबाद 110 रन का बेस्ट स्कोर भी शामिल है। #5 जेम्स फ्रैंकलिन न्यूज़ीलैंड के इस बांय हाथ के तेज़ गेंदबाज़ की शुरुआत बल्लेबाज़ के तौर पर हुई थी। फ्रैंकलिन शुरु में मिडिल ऑर्डर के बैट्समैन थे लेकिन उन्होंने अपनी गेंदबाज़ पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। वो गेंद को दोनों ओर स्विंग कराने में सक्षम थे और शुरुआत में तो फ्रैंकलिन के पास पेस भी थी। फ्रैंकलिन बड़े दिल से गेंदबाज़ी करते थे जिसका फल भी उन्हें मिला और उनके नाम टेस्ट में 82 और वनडे में 81 विकेट हैं। लेकिन वो बल्ले से लंबे हिट लगाने कभी नहीं भूले । जेम्स फ्रैंकलिन ने 31 टेस्ट में 808 और 110 वनडे में 1270 रन बनाए हैं। डोमेस्टिक टी-20 में फ्रैंकलिन आज भी एक धाकड़ हिटर हैं और टी-20 में उनके नाम 3803 रन हैं।