टी-20 क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी के लिए निरंतरता बनाए रखना एक सबसे बड़ी चुनौती होती है। क्रिकेट के इस सबसे तेज फॉर्मेट में आप कभी भी निश्चिंत होकर आराम से नहीं खेल सकते, भले ही पिच कितनी भी आसान या मुश्किल हो। आपको हमेशा तेज रन बनाने और बड़े शॉट खेलने के लिए तैयार रहना पड़ता है। इस सबसे छोटे फॉर्मेट में आपको हमेशा अपना विकेट दांव पर लगाना पड़ता है। यह टेस्ट मैचों से बिल्कुल विपरीत है, जहां आपको अपनी विकेट बचा कर रखनी होती है और क्रीज पर लंबे समय तक के लिए टिकना पड़ता है।
इसलिए जब किसी बल्लेबाज का टी-20 औसत टेस्ट के औसत से बेहतर होता है तो यह निश्चित रूप से आश्चर्य की बात होती है। हम यहां पर उन खिलाडियों की बात नहीं कर रहे हैं जिन्होंने महज कुछ अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं। बल्कि हम उनके बारे में बात कर रहे हैं जिनका एक लंबा अंतर्राष्ट्रीय करियर रहा है और फिर भी उनकी टी-20 बल्लेबाजी औसत उनके टेस्ट औसत से बेहतर है। टी-20 में अपना धाक जमाने वाले ऐसे ही पांच बल्लेबाज-
सुरेश रैना
सुरेश रैना भारत के सर्वश्रेष्ठ टी-20 बल्लेबाजों में से एक हैं। टी -20 मैचों में वे भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। इसलिए यह कोई विशेष आश्चर्य की बात नहीं कि उनका टी-20 औसत उनके टेस्ट एवरेज से बेहतर है। रैना सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारत के नियमित सदस्य थे। हालांकि उनका टेस्ट कैरियर हमेशा डावांडोल होता रहा। फिलहाल रैना भारत के किसी भी टीम के सदस्य नहीं हैं।
2006 में टी-20 में डेब्यू के बाद से 30 वर्षीय इस खिलाड़ी ने कुल 65 टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने लगभग 30 औसत से 1300 से अधिक रन बनाए हैं। वह टी-20 के सबसे कन्सिस्टेंट बल्लेबाजों में से एक हैं और उन्होंने इस फॉर्मेट में अपनी एक विशेष जगह बना ली है। वह क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज भी हैं।
हालांकि सफेद कपड़ों में रैना के आकड़े कुछ खास प्रभावशाली नहीं है। अपने डेब्यू टेस्ट में ही शतक बनाने वाले इस खिलाड़ी ने अब तक सिर्फ 18 टेस्ट खेला है, जिसमें उन्होंने एकमात्र शतक के साथ 26.48 के औसत से केवल 768 रन बनाए हैं। क्रिकेट के छोटे प्रारूपों में अपने शानदार रिकॉर्ड के बावजूद रैना कभी होने आप को टेस्ट टीम में स्थापित नहीं कर पाए। हालांकि उनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट में औसत 44 से अधिक का है।
एंड्रू सायमंड्स
अगर कहें कि एंड्रू सायमंड्स को टी-20 क्रिकेट के लिए ही बनाया गया था तो उसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हालांकि उनका टी-20 करियर कुछ ज्यादा लम्बा नहीं था लेकिन अपने इस छोटे से कैरियर में भी सायमंड्स ने अपना प्रभाव छोड़ा। रैना कि तरह सायमंड्स का टी-20 रिकॉर्ड टेस्ट से बेहतर है।
तगड़े कद-काठी वाला यह ऑस्ट्रेलियन ऑलराउंडर ना सिर्फ लम्बे-लम्बे हिट लगा सकता था बल्कि एक असाधारण फील्डर भी था। इसके अलावा जरुरत पड़ने पर वह टीम के लिए गेंदबाजी भी कर सकता था। अपने 14 टी-20 मैचों में सायमंड्स ने 48.14 की औसत और लगभग 170 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे। जबकि 26 मैचों के टेस्ट कैरियर में उनका कैरियर औसत 40.61 रहा, जो कि उनके टी-20 औसत से कहीं कम है।
हालांकि मध्य-क्रम के इस बल्लेबाज का दोनों फॉर्मेट में रिकॉर्ड असाधारण है, लेकिन टी-20 के उनके आकड़े बताते हैं कि अगर वह इस फॉर्मेट में जल्दी डेब्यू करते तो उनका टी-ट्वेंटी करियर और भी चमकीला और शानदार होता।
मार्टिन गप्टिल
इसमें जरा सा भी शक नहीं कि मार्टिन गप्टिल इस समय सीमित ओवरों के क्रिकेट में सबसे अधिक विस्फोटक सलामी बल्लेबाजों में से एक हैं। लेकिन दाएं हाथ का यह बल्लेबाज अपने सीमित ओवर के प्रदर्शन को टेस्ट मैचों में दोहराने में असफल रहा है। इसलिए कोई आश्चर्य की बात नहीं कि उनका टी-20 औसत उनके टेस्ट औसत से बेहतर है।
गप्टिल ने 61 टी-20 अंतराष्ट्रीय मैचों में लगभग 35 की औसत से 1800 रन बनाए हैं जिसमें एक शतक और 10 अर्धशतक शामिल हैं। वह इस समय टी-20 में सबसे अधिक रन बनाने वालों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं और धीरे-धीरे वह ब्रेंडन मैकलम के सबसे ज्यादा रन के रिकॉर्ड के करीब बढ़ रहे हैं। जहां एक तरफ एकदिवसीय और टी-20 में गप्टिल के आकड़े अविश्वसनीय हैं वहीं टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं रहा है।
सलामी बल्लेबाज के तौर पर 30 के औसत के बावजूद गप्टिल ने को 47 टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला है, जिसमे उन्होंने सिर्फ तीन शतकों की मदद से 2586 रन बनाए हैं। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि रंगीन कपड़ों में लगभग 130 की स्ट्राइक रेट से गेंदबाजों की धुनाई करने वाले इस बल्लेबाज का स्ट्राइक रेट सफेद कपड़ों में घटकर केवल 46 रह जाता है।
जेपी डुमनी
गुप्टील की तरह एक और खिलाड़ी जेपी डुमनी भी अपने वन-डे और टी-ट्वेंटी के प्रदर्शन और सफलता को टेस्ट मैचों में दोहराने में असफल रहे हैं। एक बल्लेबाज या ऑलराउंडर के रूप में वह टेस्ट क्रिकेट में अपने चयन को कभी भी सही साबित नहीं कर पाए हैं।
एक हरफनमौला के रूप में डुमिनी ने खेल के सबसे छोटे फॉर्मेट में अपने आप को समय-समय पर साबित किया है। वह किसी भी समय किसी भी बल्लेबाजी क्रम पर ताबड़तोड़ रन बनाने की क्षमता रखते हैं। जरुरत पड़ने पर वह टीम के लिए किफायती गेंदबाजी कर कुछ विकेट भी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा वह फील्डिंग में भी असाधारण हैं।
टेस्ट मैचों में काफी मौका मिलने के बावजूद वह टीम में अपनी जगह पक्का नहीं कर पाए हैं। 46 टेस्ट खेलने के बावजूद डुमनी का बल्लेबाजी औसत सिर्फ 32.85 है जबकि टी-20 मैचों में उनका औसत बढ़कर लगभग 40 हो जाता है।
विराट कोहली
इस सूची में हमनें अब तक जितने भी बल्लेबाजों की बात की है उनका टेस्ट मैचों में औसत टी-20 के बल्लेबाजी औसत की तुलना में काफी कम है, लेकिन इस खिलाड़ी की कहानी थोड़ी सी अलग है। कुछ महीनों पहले यह दुनिया का एकमात्र खिलाड़ी था, जिसका क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में औसत 50 से अधिक था। हालांकि अभी हाल-फिलहाल में इस खिलाड़ी का टेस्ट औसत गिरा है लेकिन टी-20 में अब भी यह 50 से अधिक है, इसलिए वह इस सूची में शामिल है।
हम बात कर रहें हैं भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की। टी-20 में कम ही बल्लेबाज होते हैं जिनका बल्लेबाजी औसत 40 से अधिक हो, लेकिन 49 अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैच खेल चुके कोहली का औसत 53 है। कोहली के ये आकड़े इस फॉर्मेट में उनकी निरंतरता को दिखाते हैं। एक भी शतक ना होने के बावजूद कोहली के नाम इस फॉर्मेट में 52.96 की औसत से लगभग 1800 रन दर्ज हैं।
कोहली के टेस्ट आकड़े भी कुछ कम नहीं हैं। कोहली ने क्रिकेट के इस सबसे पुराने और लम्बे फॉर्मेट में 60 मैचों में 49.55 की औसत से 4,616 रन बनाए हैं। हालांकि तथ्य ये है कि शानदार होने के बावजूद कोहली के टेस्ट आकड़े टी-20 आकड़ों से कम हैं, जो खेल के इस सबसे छोटे प्रारूप में उनकी अविश्वसनीय सफलता को उजागर करते हैं।
लेखक - श्रीहरि
अनुवादक - सागर