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बिल बड़ी शतकीय पारियां खेलने के लिए मशहूर थे। तत्कालीन नियमों के चलते वह अपने लगभग 10 साल लंबे करियर में सिर्फ 29 टेस्ट मैच ही खेल सके। विक्टोरियन बिल वुडफुल के साथ उनकी जोड़ी को क्रिकेट की सबसे बेहतरीन सलामी जोड़ियों में शुमार किया जाता है। विवादास्पद बॉडीलाइन सीरीज (1932/33) का उनके करियर पर ऐसा असर पड़ा कि आगामी ऐशेज सीरीज (1934) के बाद उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। ओवल में हुए इस सीरीज के आखिरी टेस्ट में उन्होंने 422 गेंदों में 266 रन बनाए और दूसरे विकेट के लिए सर डॉन ब्रैडमैन के साथ रिकॉर्ड 451 रनों की साझेदारी की। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को 562 रनों से ऐतिहासिक जीत मिली।
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