27 नवंबर, 1978 से पहले, क्रिकेट हमेशा प्राकृतिक रोशनी में खेला जाता था और उस ऐतिहासिक दिन के बाद से, क्रिकेट के खेल का सूर्य कभी अस्त नही हुआ। क्रिकेट के इस बड़े परिवर्तन के पीछे कैरी पैकर का बड़ा हाथ रहा, जब 1977 में उन्होंने अपनी विश्व सीरीज़ क्रिकेट में खेलने के लिए 50 प्रमुख खिलाड़ियों को आमंत्रित किया। हालांकि, पहला दिन-रात का एकदिवसीय मैच ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया था, और इस प्रकार सीमित ओवरों का क्रिकेट हमेशा के लिए बदल गया था। 36 साल बाद, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इस खेल के सबसे लंबे प्रारूप की लोकप्रियता में सुधार के लिए भी दिन-रात के टेस्ट मैचों की मेजबानी करने का भी मार्ग प्रशस्त किया। ऑस्ट्रेलिया, जो एडिलेड में अभी अपना चौथा दिन-रात का टेस्ट खेल रही है, उसने सबसे पहले नवंबर 2015 में एडिलेड ओवल में इस इतिहास को रचा था। ऑस्ट्रेलिया ने गुलाबी गेंद सें होने वाले इस टेस्ट में न्यूजीलैंड की मेजबानी की थी। आइये, हम उन पांच बल्लेबाजों पर नजर डालें, जिन्होंने फ्लड लाइट की रोशनी के नीचे लक्ष्य का पीछा करते हुए अधिकतम रन बनाए हैं: # 5 तिलकरत्ने दिलशान 1दिसंबर 1999 में अपना पहला एकदिवसीय मैच खेलने वाले तिलकरत्ने दिलशान ने 1 जून, 2000 तक अपना पहला दिन-रात्रि मैच नहीं खेला था। उन्हें नवंबर 2003 में श्रीलंका के लिये फ्लडलाइट्स के अंदर लक्ष्य का पीछा करने का अवसर मिल था। 2003 और 2015 के बीच, दिलशान ने सूर्यास्त के बाद 81 एकदिवसीय पारी खेली और 40.81 के औसत से 2898 रन बनाए। उन्होंने 8 शतक और 11 अर्धशतक दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करते हुए जमाये, जब स्टेडियम में फ्लडलाइट्स जल रहीं थी। दिन-रात के खेल में लक्ष्य का पीछा करते हुए दिलशान का उच्चतम स्कोर 2009 में नागपुर में भारत के खिलाफ एक सांस रोक देने वाले मुकाबले में आया था। महेंद्र सिंह धोनी ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और भारत ने 301 रन का लक्ष्य रखा। दिलशान की 113 गेंद में 123 रनों की पारी के दम पर श्रीलंका ने 5 गेंद शेष रहते भारत को 3 विकेट से हराया। # 4 महेला जयवर्धने महेला जयवर्धने ने 1998 जनवरी में अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की, और उसी वर्ष अप्रैल में पहली बार फ्लडलाइट्स के नीचे बल्लेबाजी की। 1998 और 2015 के बीच, जब यह पूर्व श्रीलंकाई कप्तान 2015 के आईसीसी विश्वकप के क्वार्टर फाइनल में टीम के पहुंचने में नाकाम रहने के बाद सेवानिवृत्त हुए, तब तक उन्होंने 104 पारियों में फ्लडलाइट्स में 3,079 रन बनाए थे। उनके 18 में से 2 शतक फ्लडलाइट्स में खेलते हुए आये। जयवर्धने का सर्वोच्च स्कोर दूसरी पारी में लक्ष्य का पीछा करते हुए आया। 23 जनवरी 1999 को एडिलेड में कार्लटन और यूनाइटेड सीरीज़ के 8 वें वनडे में कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने पहले गेंदबाजी का फैसला लिया और इंग्लैंड ने 302 रन का बड़ा स्कोर बनाया। जवाब में जयवर्धने ने 111 गेंदों में 120 रन बनाये और श्रीलंका 2 गेंद शेष रहते 303 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच एक विकेट से जीतने में सफल रहा। # 3 कुमार संगकारा लगभग 15 वर्षों तक श्रीलंकाई क्रिकेट के सबसे मजबूत स्तंभ रहे कुमार संगकारा का खेल जितना सूरज की रोशनी में आकर्षक रहा उतना ही फ्लडलाइट्स के अन्दर। संगकारा ने 5 जुलाई, 2000 को अपना पहला वनडे खेला, और चार दिन बाद दिन-रात के मैच में पाकिस्तान के खिलाफ कोलंबो में 9जुलाई को पहली बार दूधिया रोशनी में बल्लेबाज़ी करने आए। 101 बार दूसरी पारियों में संगकारा ने बल्लेबाजी करते हुए 38.15 के औसत से 3,396 रन बनाए। लॉर्ड्स में एमसीसी स्पिरीट ऑफ क्रिकेट काऊड्रे व्याख्यान देने वाले सबसे युवा व्यक्ति, संगकारा ने 25 एकदिवसीय शतक बनाए, जिसमें से 5 दिन रात के मैचों में लक्ष्य का पीछा करते हुए आए थे। पूर्व श्रीलंकाई कप्तान का सर्वोच्च स्कोर लंदन के ओवल में 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी ग्रुप स्टेज गेम के दौरान मेजबान टीम के खिलाफ आया था। संगकारा ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को पहले बल्लेबाजी करने का निमंत्रण दिया और इंग्लैंड ने कुल 293 रन बनाए थे। खेल के एकदिवसीय प्रारूप में 14,234 रन बनाने वाले संगकारा 135 गेंदों पर 134 रन बनाकर नाबाद रहे और श्रीलंका ने 17 गेंद शेष रहते 7 विकेट से जीत हासिल की। # 2 सचिन तेंदुलकर एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, के 18426 में से 4,240 रन फ्लडलाइट्स के अंदर लक्ष्य का पीछा करते हुए आये थे। दिसंबर 1989 में अपना पहला एकदिवसीय मैच खेलने वाले तेंदुलकर ने 1992 में अपना पहला दिन-रात्रि मैच खेला था। उन्होंने 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मेलबर्न में फ्लडलाइट्स में पहली बार बल्लेबाजी की और 57 रनों पर नाबाद रहे। 1992 और 2012 के बीच, मास्टर ब्लास्टर ने फ्लडलाइट्स में 107 एकदिवसीय पारियाँ खेली और 9 शतक बनाए। हालांकि, शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1998 में 134 और 143 रनों वाली उनकी सबसे यादगार पारियाँ हैं, लेकिन सूर्यास्त के बाद उनका सर्वोच्च स्कोर उसी विपक्ष के खिलाफ 11 साल बाद आया। 2009 में हैदराबाद में खेले गए वनडे में रिकी पॉन्टिंग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए मेजबान टीम के लिए 351 रन का विशाल लक्ष्य रखा। तेंदुलकर ने अकेले ही दम पर भारतीय टीम को इस लक्ष्य का पीछा करते समय मैच में बनाये रखा। तेंदुलकर के 141 गेंदों पर 175 रन बनाने के बावजूद भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा, ऑस्ट्रेलिया सिर्फ 3 रन से मैच जीत गया। # 1 विराट कोहली कोई भी सूचि जो सीमित ओवर के क्रिकेट में बल्लेबाजों की उपलब्धियों के बारे में हो और उसमें विराट कोहली न हों यह लगभग असंभव लगता है। 29 साल का यह खिलाड़ी एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़ रहा है, और फ्लडलाइट्स में लक्ष्य का पीछा करते हुए 83 पारियों में सर्वाधिक 4,502 रन बनाए हैं। टीम इंडिया के कप्तान, जिन्होंने अगस्त 2008 में अपना पहला 50 ओवरों का मैच खेला था, अब तक 32 एकदिवसीय शतक लगा चुके हैं और आश्चर्यजनक रूप से, उनमें से 17 लक्ष्य का पीछा करते हुए फ्लडलाइट्स के अंदर आए हैं। पिछले 9 वर्षों में, कोहली ने फ्लडलाइट्स में कई यादगार पारियाँ खेली है, लेकिन 2012 एशिया कप मुकाबले में ढाका में सबसे यादगार पारी खेली थी, जो पुराने प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ आयी थी। मिस्बाह उल हक ने टॉस जीता और बल्लेबाजी का फैसला किया और पाकिस्तान ने 50 ओवर में 329/6 रन बनाये। एक मुश्किल लक्ष्य का सामना करते हुए, कोहली ने 148 गेंदों में 183 रन बनाते हुए अपने करियर की सबसे बड़ी पारी खेली और भारत ने पाकिस्तान को 6 विकेट से 13 गेंद शेष रहते हरा दिया। लक्ष्य का पीछा करते हुए यह भारत की 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल की जीत के बाद आई सबसे बड़ी जीत थी। लेखक: तान्या रुद्र अनुवादक: राहुल पांडे