3. सचिन तेंदुलकर
बहुत से लोगों का मानना था कि 2011 वर्ल्ड कप के बाद सचिन तेंदुलकर को संन्यास ले लेना चाहिए था। लेकिन कहना अलग बात और उसे करना अलग बात। ये तब और भी मुश्किल हो जाता है जब कोई बल्लेबाज अपने करियर में 99 शतक लगा चुका हो और शतकों का शतक पूरा करने के लिए उसे महज 1 ही शतक चाहिए हों। 2011 वर्ल्ड कप में तेंदुलकर का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। उन्होंने टूर्नामेंट में 482 रन बनाए। उनसे ज्यादा सिर्फ तिलकरत्ने दिलशान के ही रन थे जिन्होंने 500 रन बनाए।
वर्ल्ड कप से कुछ ही महीने पहले तेंदुलकर ने साउथ अफ्रीका में शानदार शतक जड़ा था। टेस्ट और वनडे दोनो ही फॉर्मेट में तेंदुलकर अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि इसके बाद तेंदुलकर का प्रदर्शन अचानक एकदम नीचे आ गया। उस समय से लेकर अपने संन्यास के समय तक तेंदुलकर ने 23 टेस्ट मैच खेले। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि 39 पारियों में वो एक भी शतक नहीं लगा सके। उनका औसत सहवाग और गंभीर से भी नीचे चला गया। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने शतकों का शतक जरुर पूरा किया।