बेली खुद को टेस्ट लेवल पर साबित करने के एक और मौका पाने के जरूर हकदार है। जॉर्ज बेली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आजाज़ बतौर कप्तान किया, हालांकि वो टीम बिलकुल नई नवेली टीम थी। बेली डेव ग्रेगरी के बाद सिर्फ दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने डेब्यू बतौर कप्तान किया। तस्मानिया के इस बल्लेबाज़ के लिए कप्तानी कोई नया पेशा नहीं था क्योंकि वो साल 2009-10 में अपने राज्य की टीम के फुलटाइम कप्तान रहे चुके है। बेली की कप्तानी में टीम ने 2010-11 में शेफील्ड शील्ड का खिताब भी जीता था। बेली ने क्लार्क की अनुपस्थिति में भी कई बार वऩडे टीम की कमान संभाली है। साल 2013 में भारत में बेली ने कप्तानी करते हुए सीरीज़ में सबसे ज्यादा रन बनाए। इस वक्त ऑस्ट्रेलियाई टीम परेशानी में है औऱ उन्हें एक ऐसे मध्यक्रम के बल्लेबाज़ की तलाश है जो उनकी पारी को स्थिरता दे सके। ऐसे में बेली से बेहतर विक्लप और कौन हो सकता है। बेली को खुद को टेस्ट में साबित करने के लिए कम ही मौके मिले हैं। उनका घरेलू और वनडे और टी-20 रिकॉर्ड ये दर्शाता है कि वो टेस्ट में एक और मौके के हकदार हैं जो हो सकता है कि उनके टेस्ट करियर को आगे ले जाने के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो। बतौर कप्तान जॉर्ज बेली विपक्षी टीम के लिए स्मिथ से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं और टीम में लिए नई ऊर्जा ला सकते हैं। मुश्किल परिस्थितियों में फील्ड पर शांत रहने की क्षमता और उनके रिकॉर्ड्स ये दर्शाते हैं कि ऑस्ट्रेलियाई टीम में बेली को एक लीडर के तौर पर देख सकता है।