क्रिकेट में विदाई कोई नहीं चाहता। सब हमेशा खेलना चाहते हैं। पर कई खिलाड़ियों को बिना किसी उत्सव के विदाई लेनी पड़ी और कई ने हार के बाद खेलना छोड़ दिया। राहुल द्रविड़ ने हार के बाद खेल छोड़ा तो शिवनारायण चंद्रपॉल ने बोर्ड के कहने पर। अभी श्रीलंका अपने सबसे बेहतरीन खिलाड़ी को विदाई देने की तैयारी में जुटा है जिसे मुथैया मुरलीधरन, महेला जयवर्धने और अरविंदा सिल्वा से भी उपर रखा गया। वहीं ऑस्ट्रेलिया माइकल क्लार्क की विदाई से द्रवित है। तो एक नज़र उन पाँच खिलाड़ियों पर जो एक बहुत बढिया समय पर खेल से विदा हो गए। 5- माइकल हसी काफ़ी देर से खेलना शुरू करने के बाद, 10 टैस्ट में 4 अर्धशतक और 3 शतक मारकर दो साल में 1000 रन का आँकड़ा छू पाए। बीच में ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्हें रिटायरमेंट लेने को कहा गया। पर उनके रिटायर होने पर लोगों ने कहा कि उनमें दो साल का क्रिकेट और बचा था। और यह उन्होंने आईपीएल में सिद्ध कर दिया। उन्होंने अपने आख़िरी पाँच टैस्ट घर पर खेले। जिस सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका से 0-1 से हार गया, उसमें उन्होंने 1 अर्धशतक और 2 शतक मारे थे। और श्रीलंका के खिलाफ 2013 में 3-0 की जीत में उन्होंने नॉट आउट सेंचुरी मारकर योगदान दिया। 30 साल के बाद खेलना शुरू करने के बाद भी उन्होंने 51.52 की औसत और 19 शतकों की मदद से 6235 रन बनाए। 4- तिलकरत्ने दिलशान 30 साल के बाद खेलना शुरू करने के बाद भी 87 टेस्ट में 5000 से ज्यादा रन बनाए। उन्होंने अपना अंतिम टैस्ट बांग्लादेश के खिलाफ खेला था जिसमें उनकी टीम 1-0 से जीती थी। उससे पहले वाले मैच में 1 अर्धशतक और शतक मारा था और अपनी आखिरी पारी में 57 रन बनाए थे। उन्होंने ओडीआई पर ध्यान देने के लिए टैस्ट से रिटायरमेंट लिया था और 10000 रनों के पार जाने वाले कुछ खिलाड़ियों में से एक हैं। 3- महेला जयवर्धने 49.84 की औसत से क़रीब 12000 रन बनाने वाला यह खिलाडी अलग अंदाज में रिटायर हुआ। पाकिस्तान के खिलाफ आख़िरी सीरीज से पहले वो दक्षिण अफ़्रीका के खिलाफ मैच में 165 रन बनाकर वो आये थे और यहाँ दो अर्धशतक मारकर 2-0 से सीरीज़ जीती थी। उनके टीम वालों ने उन्हे कंधों पर बैठाकर उन्हें विदाई दी। आख़िरी 10 टैस्ट में उन्होंने 5 अर्धशतक,2 शतक और एक दोहरा शतक मारा था। 2- जैक्स कैलिस अपने अंतिम सीरीज से पहले के आख़िरी पाँच टेस्ट में एक अर्धशतक और 7 विकेटों के साथ वो आये थे। वे उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1-1 से पाकिस्तान से सीरीज ड्रा कराया था। और अंततः भारत से 1-0 से सीरीज़ जीती थी। डरबन के आख़िरी टैस्ट में 115 रन बनाकर उन्होंने 10 विकेट से टीम को मैच जिता दिया था। वे एक बेहतरीन ऑल राउंडर थे और 55.37 की औसत की बल्लेबाजी के साथ उनके नाम 292 विकेट भी थे। 1- सचिन तेंदुलकर इस खिलाडी के सामने तो ख़ुद खेल ने ही घुटने टेके हैं। डॉन ब्रेडमैन भी जो नहीं कर पाए वो सचिन ने कर दिखाया। उन के लिए बीसीसीआई ने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ वानखेड़े में दो टेस्ट और फ़ेयरवेल टूर भी कराया था। 100 शतक लगाने वाले और ऑस्ट्रेलिया को 4-0 से हारने वाली टीम का हिस्सा बनने वाले वह खिलाडी मुंबई में ही 74 रन बनाकर विदा हुए। सब चाहते थे कि वे शतक से अपना करियर ख़त्म करे पर वह संभव नहीं हो पाया। रिटायरमेंट से पहले उन्होंने 6 टैस्ट लगातार जीते। 53.78 की औसत से 119 बार 50 से ज़्यादा का स्कोर बनाकर उन्होंने हर क्रिकेट प्रेमी को ख़ुश किया है। लेखक: कृष श्रीपदा, अनुवादक: सेहल जैन