इन 5 सर्वश्रेष्ठ वनडे मैचों में भारत ने वापसी करते हुए किया लक्ष्य का बचाव

हाल में सम्पन्न हुई न्यूजीलैंड के साथ वनडे सीरीज का आखिरी मैच का अंत बेहद रोमांचक रहा। कानपुर में हुए इस मुकाबले में भारत ने रोहित शर्मा व विराट कोहली के शतकों की मदद से 337/6 रन का स्कोर खड़ा किया। भारत ने मुकाबला 6 रन से जीता था। लेकिन एक समय न्यूजीलैंड को 24 गेंदों में 35 रन बनाने थे और उसके 6 विकेट बचे हुए थे। भारत की जीत में भुवनेश्वर कुमार व जसप्रीत बुमराह का योगदान विशेष रहा। जिन्होंने स्लाग ओवर में शानदार गेंदबाजी की। जिसकी वजह से कीवी टीम एक बार फिर भारतीय सरजमीं पर सीरीज जीतने में विफल रही। भारत बनाम वेस्टइंडीज, 20 मार्च 2011, चेन्नई परिणाम: भारत ने मुकाबला 80 रन से जीता साल 2011 में ग्रुप बी आखिरी मुकाबले में भारत का मुकाबला कैरेबियाई टीम से हुआ। चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में हुए इस मैच से पहले भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल में जगह बना लिया था, लेकिन इस मैच को जीतकर टीम ग्रुप में अपनी स्थिति को बेहतर बनाना चाह रही थी। युवराज सिंह के शतक की बदौलत भारतीय टीम ने 268 रन का लक्ष्य खड़ा किया था। हालांकि भारत ने 50 रन के भीतर 7 विकेट गिर गए थे। वेस्टइंडीज ने जवाब में बेहतरीन शुरूआत करते हुए, 30 ओवर में 154/2 रन बना डाले थे। डेवोन स्मिथ इस मैच में जबरदस्त फॉर्म में थे। विंडीज को जीत के लिए 120 गेंदों में 115 रन बनाने थे। तभी कप्तान एमएस धौनी ने जहीर खान को दोबारा गेंद सौंपी, जो विश्वकप में भारत के सफल गेंदबाज थे। जहीर ने खतरनाक होते हुए स्मिथ को तीसरी गेंद पर आउट कर दिया, जिसके बाद विंडीज की बल्लेबाजी पूरी तरह से बिखर गयी। 34 रन के भीतर उनके 8 विकेट गिर गए और भारतीय टीम ने हारी हुई बाजी को पलट दिया। भारत के लिए जहीर ने तीन विकेट लिए जिससे विंडीज को टीम इंडिया ने आराम से हरा दिया। भारत बनाम श्रीलंका, 15 दिसंबर 2009, राजकोट परिणाम: भारत ने तीन रन से मुकाबला जीता भारत व श्रीलंका के बीच सीरीज का पहला मैच राजकोट में खेला गया था। बल्लेबाजों के लिए अनूकूल मानी जानी वाली विकेट पर सचिन-सहवाग की सलामी जोड़ी ने 19।3 ओवर में 153 रन की साझेदारी निभाई। उसके बाद सहवाग व धौनी ने मिलकर भारत का स्कोर 35 ओवर में 308/1 तक पहुंचा दिया। एक समय भारतीय टीम वनडे का सर्वाधिक स्कोर बनाने का रिकार्ड बनाने की ओर बढ़ रही थी, लेकिन सहवाग (146) व धौनी (72) के एक ही ओवर में आउट हो जाने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। भारतीय टीम अंतिम 15 ओवर में मात्र 106 रन ही बना सकी, फिर भी श्रीलंका के सामने 414/7 रन का लक्ष्य रखने में टीम कामयाब हो गई। लेकिन श्रीलंकाई टीम ने भी जोरदार खेल दिखाया सलामी बल्लेबाज उपुल थरंगा के आउट होने तक 24 ओवर में 188 रन बना लिए थे। लेकिन संगकारा ने आते ही मैच को एकतरफा कर दिया और 43 गेंदों में ही 90 रन ठोंक दिए। दिलशान व संगकारा ने जीत के समीकरण को 81 गेंद व 99 रन कर दिया था। दिलशान 160 रन बनाकर आउट हो गये, फिर भी श्रीलंका को जीत के लिए 65 गेंदों पर 76 रन की जरूरत थी। लेकिन जल्दी-जल्दी 3 विकेट गिरने से मैच एक बार फिर भारत के पक्ष में आ गया। लेकिन थिलन कदांबी व एंजेलो मैथ्यूज अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। अंतिम 12 गेंदों में श्रीलंका को जीत के लिए 15 रन बनाने थे। जहीर खान 49 ओवर करने आये और उन्होंने मात्र 4 रन देकर कदांबी का विकेट लिया और थिलन समरवीरा को रनआउट करवा दिया। आखिरी ओवर फेंकने के लिए आशीष नेहरा आए और उनके कंधे पर 11 रन बचाने की जिम्मेदारी थी। मैथ्यूज ने 3 गेंदों में 6 रन बना भी लिए थे। लेकिन अगली ही गेंद जो लो फुलटॉस थी को सही से वह नहीं खेल पाए और सचिन को मिडविकेट पर कैच थमा बैठे। समीकरण अब 2 गेंद व 6 रन हो गया था। नेहरा जी ने दो बेहतरीन यॉर्कर फेंककर भारत को जीत दिला दी। भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, 15 जनवरी 2011, जोहान्सबर्ग परिणाम: भारत एक रन से विजयी भारत व दक्षिण अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज विश्वकप 2011 से पहले हुई थी। जिसमें दोनों टीमें पूरी तरह से अलग थी। दक्षिण अफ़्रीकी टीम ने पहले मुकाबले में भारत को हरा दिया था। जबकि दूसरा मुकाबला जोहान्सबर्ग के द वांडरर्स स्टेडियम में खेला जाना था। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी चुनी और लेकिन शुरुआत बहुत धीमी रही। मुरली विजय के आउट होने के बाद सचिन ने विराट के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया। लेकिन ये दोनों खिलाड़ी एक ही ओवर में आउट हो गए। उसके बाद युवराज और धोनी ने 83 रन की साझेदारी निभाई। लेकिन जब टीम ने बल्लेबाज़ी पॉवरप्ले लिया तो सेट बल्लेबाज़ युवराज सिंह 53 रन बनाकर आउट गये। उस समय टीम का स्कोर 36.4 ओवर में 150/4 था। लेकिन भारत ने अगले 7 विकेट मात्र 40 रन के भीतर गवां दिए। अब दक्षिण के सामने जीत के लिए 191 रन का लक्ष्य था। जवाब प्रोटेस टीम की शुरुआत रही, लेकिन कॉलिन इंगराम और ग्रेम स्मिथ ने टीम का स्कोर 12 ओवर में 66/1 रन पहुंचा दिया। उसके बाद दो विकेट जल्दी आउट हो गये। लेकिन इसके बावजूद भी स्मिथ के अलावा जेपी डुमिनी और मिलर जैसे बल्लेबाज़ थे। दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 18 ओवर में 39 रन बनाना था। कप्तान स्मिथ ने दूसरा पॉवरप्ले लिया और गेंदबाज़ी करने आये मुनाफ पटेल और स्मिथ को उन्होंने बोल्ड कर दिया। जो भारत के लिए बहुत ही अहम था। उसके बाद धोनी ने मुख्य गेंदबाज़ ज़हीर खान को आक्रमण पर लगाया। ज़हीर ने मिलर को स्लो बाउंसर से चकित करते हुए चलता कर दिया। वेन पर्नेल ने मोर्कल और स्टेन के छोटी साझेदारी निभाई और प्रोटेस मुकाबले में वापस आ गये। 8 ओवर में जीत के लिए 4 रन बनाने थे, पहले पर्नेल पॉइंट पर कैच दे बैठे और उसके बाद मोर्कल ने विजयी चौका लगाने के चक्कर में युवराज सिंह को कैच दे दिया। जिसकी वजह से भारत इस मैच को एक रन से जीतने में कामयाब हो गया। मुनाफ पटेल ने 29 रन देकर 4 विकेट लिए और विश्वकप की टीम में उनका चयन भी हो गया। भारत बनाम पाकिस्तान, 6 जनवरी 2013, दिल्ली परिणाम: भारत ने 10 रन से जीता दिल्ली में भारतीय टीम के सामने तीसरे मैच में पाकिस्तान के खिलाफ सूपड़ा साफ़ होने का खतरा मंडरा रहा था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया। दिल्ली की गर्मी में भारतीय टीम लगातार विकेट खो रही थी। सईद अजमल ने 5 विकेट लिए और पूरी भारतीय टीम 167 रन पर ऑलआउट हो गयी। सुरेश रैना, एमएस धोनी और युवराज सिंह ने थोड़ी बहुत अच्छी पारी खेली थी। जबकि जडेजा ने निचले क्रम पर आकर एक दो बड़ी हिट लगाई थी। इस सीरीज में डेब्यू करने वाले भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी ने भारत को बढ़िया शुरुआत दिलाई और 10 ओवर में मात्र 22 रन दिए। शमी ने अपने डेब्यू मुकाबले में लगातार दो मेडन ओवर फेंके और भुवी ने कामरान अकमल और युनिस खान को आउट किया। तब मैदान पर कप्तान मिस्बाह उल हक़ ने नसिर जमशेद के बाद उमर अकमल के साथ पाक का स्कोर 34 ओवर में 113/3 रन तक पहुंचाया। लेकिन 35 वें ओवर की पहली गेंद पर भारत को जरूरी सफलता आर आश्विन ने दिलाई, जब मिस्बाह गेंद को रहाने के हाथों में खेल बैठे। पाकिस्तान को जीत के लिए 95 गेंदों में 55 रन चाहिए था। जबकि उसके 6 विकेट बचे हुए थे। जडेजा ने पाकिस्तानी बल्लेबाजों को बांधकर रखा और 10 ओवर में मात्र 19 रन दिए। जिसके बाद अंतिम 24 गेंदों में उसे जीत के लिए 24 रन बनाने थे। उसके बाद एक ओवर में इशांत ने 1 रन देकर एक विकेट लिया, जबकि शमी ने बिना रन दिए दो विकेट दिलाये जिसमें एक रन आउट शामिल था। लेकिन अगले ही ओवर में मोहम्मद हफीज ने दो लगातार चौका लगाकर जीत का अंतर 8 गेंद और 11 रन कर दिया। लेकिन इशांत की अगली गेंद फुल लेंथ की थी, जिसे खेलने में हफीज को चूक हो गयी और युवराज सिंह ने कोई गलती नहीं की और भारत ने मुकाबला जीत लिया। भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, 25 सितम्बर 2002, कोलंबो परिणाम: भारतीय टीम 10 रन से विजयी रही चैंपियंस ट्रॉफी 2002 के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से था। सहवाग ने अपने ही अंदाज में पारी की शुरुआत की और 59 रन बनाकर आउट हुए। लेकिन उसके बाद 3 विकेट जल्दी गिर गये और भारतीय टीम दबाव में आ गयी। जिसके बाद राहुल द्रविड़ और युवराज सिंह ने 72 रन की साझेदारी निभाई। युवराज ने इस मैच में सबसे ज्यादा 62 रन बनाये और भारत ने 9 विकेट पर 261 रन बनाये थे। दक्षिण अफ्रीका की शुरुआत अच्छी नहीं रही और ज़हीर खान ने ग्रेम स्मिथ को युवराज के हाथों कैच करवाकर आउट कर दिया। उसके बाद हर्शल गिब्स और जैक्स कालिस ने दूसरे विकेट के लिए 178 रन की साझेदारी की। गिब्स ने तेज तर्रार शतक बनाया, लेकिन वह श्रीलंकाई गर्मी से परेशान हो गये और उन्हें रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से वापस जाना पड़ा। इसके बावजूद भी दक्षिण अफ़्रीकी टीम सबकी फेवरिट थी और उसे 13 ओवर में 70 रन बनाने थे। जोंटी रोड्स का कैच युवराज ने फाइन लेग में पकड़ा और उसके बाद भज्जी ने बोएटा डिपेनार को आउट किया। जिससे प्रोटेस पर दबाव बढ़ गया। स्पिनरों को मिल रही मदद को देखते हुए कप्तान गांगुली ने गेंद सहवाग को थमा दिया, सहवाग पहली बार 42वां ओवर फेंक रहे थे। उन्होंने खतरनाक बाउचर को आउट करके मैच का रुख भारत की ओर मोड़ दिया। दबाव की वजह से बिग हिटर क्लूजनर और कालिस बड़े शॉट नहीं खेल पा रहे थे। अंतिम 12 गेंदों में प्रोटेस को जीत के लिए 25 रन बनाने थे। ज़हीर ने 6 गेंदों में मात्र एक चौका ही दिया, जबकि मैच का आखिरी ओवर सहवाग फेंकने के लिए आये। कालिस ने उनकी पहली गेंद पर छक्का लगाकर मैच को और दिलचस्प बना दिया। लेकिन अगली ही गेंद पर वह आउट भी हो गये। उसके बाद क्लूजनर एक चौका जड़ा लेकिन वह नाकाफी था। इस तरह भारत चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंच गया। लेखक- अजिंक्य धमधेरे, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी