2004 में जब ऑस्ट्रेलिया ने भारत से टेस्ट सीरीज जीता, तब पार्थिव पटेल को कमजोर विकेटकीपिंग के कारण टीम से बाहर कर दिया गया । शुरुआती दिनों में पार्थिव विकेटकीपिंग उतनी अच्छी नहीं कर पाते थे, लेकिन वो अपनी बल्लेबाजी पर खासा ध्यान देते थे । 2007 में घरेलू क्रिकेट में केवल उन्हीं की चर्चा थी । क्योंकि पार्थिव ने लगातार 5 शतक जड़कर सबको हैरान दिया । ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय खिलाड़ी थे । इन 5 शतकों में से मुंबई के खिलाफ लगाये गये उनके शतक को घरेलू मैचों के बेहतरीन शतकों में से एक माना गया । राजकोट में उनकी आसाधारण बल्लेबाजी को देखकर भारत के पूर्व चयनकर्ता वीबी चंद्रशेखर ने भी कहा कि अगर टीम मैनेजमेंट पार्थिव की विकेटकीपिंग की योग्यता पर भरोसा नहीं रखता है तो उनके पास भारतीय टीम में एक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज के तौर पर खेलने की पूरी योग्यता है। हालांकि पार्थिव पटेल ने उस समय घरेलू मैचों में काफी रन बनाए फिर भी चयनकर्ताओं ने धोनी के बाद दूसरे विकल्प के तौर पर दिनेश कार्तिक को टीम में रखा ।