नम्बर तीन पर बल्लेबाजी करने वाले 5 महान बल्लेबाज

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क्रिकेट के खेल को कई वर्षों के दौरान कई बदलावों से गुजरना पड़ा है, जहां सफेद कपड़े रंगीन हो गये तो वहीं टेस्ट की जगह ओडीआई और फिर टी-20 ने ले ली। इस खेल के तीन अलग-अलग स्वरूप अपने आप में विशिष्ट कौशल की मांग करते हैं और ऐसे बहुत कम खिलाड़ी हैं जो एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में आने पर अपने आपमें बदलाव कर सकते हैं और प्रारूप की जरूरतों के अनुरूप खेल सकते हैं।

प्रत्येक खिलाड़ी की टीम में एक विशिष्ट भूमिका होती है, लेकिन नंबर 3 का स्पॉट शायद उन सभी में से सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। नंबर 3 पर उतरने वाले खिलाड़ी से जल्दी विकेट गिर जाने पर टीम में स्थिरता लाने की उम्मीद की जाती है और यह भी उम्मीद की जाती है कि अगर टीम अच्छी शुरुआत करने में नाकामयाब हो गई है, तो वह अपने बल्ले से टीम के स्कोर बोर्ड को बेहतर बनाये।

जब एक बल्लेबाज बल्लेबाजी करते आता है तो अच्छी तकनीक उसके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे दोनों गेंदबाजी यानि गति और स्पिन का सामना करने के लिए तैयार होना आवश्यक है। आंकड़े यह साबित करते हैं कि एक टीम हमेशा अच्छा प्रदर्शन करती है जब नंबर 3 के बल्लेबाज़ ने परफॉर्म किया है जैसे विराट कोहली और वनडे में भारत का लक्ष्य का पीछा करने का रिकॉर्ड भी यह साबित करता है।

कोहली की बात करें, तो भारतीय कप्तान इस समय इंग्लैंड के जो रूट के साथ विश्व के सबसे महान बल्लेबाज हैं। उनकी निरंतरता का स्तर काफी अच्छा है और वास्तव में खेल में अपनी महानता को स्थापित किया है।

हालांकि, खेल के उच्चतम स्तर पर बने रखने के लिए उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है और नंबर 3 पर टॉप 5 बेस्ट खिलाडियों की सूची में इन्हें शामिल करना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी। लेकिन हां टॉप-10 की सूची जगह दी जा सकती है, लेकिन शीर्ष 5 में अभी नहीं, खासकर तब जब आपके पास उनसे आगे महान खिलाड़ियों की सूची मौजूद हो-

#1 सर डॉन ब्रैडमैन

यह ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज खेल के सिर्फ एक ही प्रारूप को खेल सका है लेकिन सच तो यही है कि बल्ले के साथ उनका विध्वंस ये बताने के लिए काफी है कि आखिर क्यों एक फॉर्मेट में खेलने के बावजूद इस महान बल्लेबाज को पूरे समय के नंबर 3 के पांच बल्लेबाजों में जगह दी गई है

सर ब्रैडमैन ने अपने युग के दौरान इस खेल पर अपना वर्चस्व कायम किया, जैसा कोई भी प्रतिद्वंदी और आसपास भी आ पाया जब क्रिकेट अनकवर्ड पिचों में खेल जाता था। ऐसी सतहों पर रन बनाना आसान नहीं था, विशेष रूप से इस तथ्य को जानने के बावजूद डॉन ने बहुत कम सुरक्षा से बल्लेबाजी की क्योंकि उस समय हेड गिर और अन्य सुरक्षा उपकरण नहीं प्रचलित थे - कुछ इंग्लैंड ने अपने कुख्यात बॉडीलाइन रणनीति के साथ फायदा उठाने की कोशिश की। जिस आसानी से ब्रैडमैन ने विरोधियों पर रनों की बौछार की वह आज भी सांख्यिकविदों को चकरा देती है क्योंकि वह टेस्ट क्रिकेट में अपनी 52 पारियों में 99.94 की औसत से बल्लेबाजी कर चुके हैं।

6996 में से 5078 रन उनके बल्ले से तब निकले हैं जब उन्होंने नंबर 3 पर बल्लेबाजी की है। तीसरे नंबर पर उनका बल्लेबाजी औसत 103.63 का था जो अविश्वसनीय है। जबकि उनके 29 शतकों में से 20 शतक नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए ही आये हैं।

उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान के रूप में ज्यादा समय बिताया लेकिन इस अतिरिक्त जिम्मेदारी को उनकी बल्लेबाजी को प्रभावित नहीं करने दिया, खासकर अपने कड़ी एशेज सीरीज के दौरान भी।यह केव अनुमान लगाया जा सकता है कि वह सीमित ओवरों के क्रिकेट में कैसे प्रदर्शन करेंगे, लेकिन एक ऐसा खिलाड़ी जो टेस्ट मैच के एक दिन में 300 से ज्यादा रन बना सकता है लेकिन डॉन का वह हमलावर रूख देखने योग्य होगा।

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#2 कुमार संगकारा

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श्रीलंका टीम का महान बल्लेबाज 2 साल से अधिक समय पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद अभी भी प्रथम श्रेणी और टी -20 क्रिकेट में मस्ती के लिए रन बना रहा है।

संगकारा ने श्रीलंकाई टीम के नंबर 3 स्पॉट को शुरुआती स्टेज में ही अपना बना लिया था और नंबर 3 स्थान पर टेस्ट में बल्लेबाजी करते हुए सबसे अधिक रन वालों के लीडरबोर्ड में सबसे ऊपर हैं। कुमार ने 207 पारियों से 11679 रन के बनाए हैं- जो उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 1000 रन अधिक है। ओडीआई क्रिकेट में कुमार का रिकॉर्ड खराब नहीं है क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग के बाद दूसरे स्थान पर हैं, जिसमें 238 पारियों में 9747 रन शामिल हैं।

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कई बार ऐसे सुझाव दिए गए कि संगकारा का रिकॉर्ड बांग्लादेश और ज़िम्बाब्वे जैसे कमजोर विपक्ष के खिलाफ उन पर रन बनाने के कारण बेहतर दिखता है, लेकिन आंकड़े साबित करते हैं कि वह दावे निराधार हैं। यह भी विचार करना महत्वपूर्ण है कि संगकारा अपने करियर में दोहरी भूमिका निभायी है ज्यादातर एक विकेटकीपर के तौर पर और एक कप्तान के रूप में भी। इतने व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर के साथ इन भूमिकाओं का निर्वाहन बहुत मुश्किल होता है लेकिन संगकारा के आंकड़े बताते हैं कि उन्होंने बेहतरीन काम किया है।

संगकारा अपनी उम्र के साथ और भी बेहतर होते गये और आज श्रीलंकाई टीम को उनकी कमी बेहद खलती है। उन्हें टी-20 क्रिकेट में 2014 के विश्व ट्वेंटी -20 में श्रीलंका को निर्देशित करके के लिये साइन किया गया और वह आज भी टी-20 क्रिकेट के टॉप 10 बल्लेबाजों की सूची में शुमार हैं।

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#3 राहुल द्रविड़

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'द वॉल' के नाम से मशहूर द्रविड़ उन बहुत कम खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने उनके उपनाम के साथ न्याय किया, जिस तरह से अपने करियर के दौरान राहुल द्रविड़ ने किया था। वह टीम इंडिया के लिए श्रीमान भरोसेमंद थे और जो हर उस अवसर पर काम आये, जब उनकी टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईडन गार्डन और एडिलेड टेस्ट की जीत में शानदार वापसी के बारे में सोचते है जिसमें द्रविड़ ने शानदार एंट्री कर अपनी कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ी और अपने साथियों और विरोधियों से अपने विनम्र स्वभाव के कारण सम्मान पाया।

एक समय था जब द्रविड़ को हमेशा टेस्ट विशेषज्ञ के रूप में माना जाता था, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन के दम पर एकदिवसीय क्रिकेट में जगह बनाकर और आईपीएल में अपने प्रदर्शन के साथ टी -20 क्रिकेट में अपनी छाप छोड़कर अपने आलोचकों का मुंह बंद करवा दिया।

वह खेल के जेंटलमैन स्वभाव के सही किरदार थे। अपनी इस निस्वार्थ स्वभाव के बावजूद उन्होंने अपने खेल में बहुत कुछ हासिल किया है और अपने स्वभाव को खेल के आगे नहीं आने दिया। एक खिलाड़ी के रूप में उनकी क्षमताओं का सही पहचान खासकर नं 3 स्थान पर होती है।

संगकारा के अलावा द्रविड़ एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने तीसरे स्थान पर टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी करते हुए 10000 से ज्यादा रन बनाये हैं जबकि टीम की जरूरत के अनुसार द्रविड़ की बल्लेबाजी में लगातार परिवर्तन करने का मतलब था कि उसी स्थान से उनकी एकदिवसीय रन की संख्या को प्रतिबंधित कर देना जो सिर्फ 4000 रन तक है।

हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि द्रविड़ नंबर 3 पर इतिहास सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज में से हैं।

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#4 सर विवियन रिचर्ड्स

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सर विवियन रिचर्ड्स उस वेस्टइंडीज टीम में खेले, जब उस दौर में टीम का आधिपत्य हावी था लेकिन इस बल्लेबाज में खेल की भूख बाकी के खिलाड़ियों से सबसे अलग थी क्योंकि उन्होंने जिस तरह से खेल को अपनाया था वह बाकियों से उन्हें अलग करता था।

ऐसे समय में जब खिलाड़ी सही मौके का इंतजार करते थे उस समय रिचर्ड्स ने विरोधियों पर हमला किया। चाहे यह टेस्ट क्रिकेट हो या ओडीआई क्रिकेट और उन्होंने बहुत सफलता के साथ ऐसा किया। नंबर 3 पर बल्लेबाजी करते हुए रिचर्डसन ने 59 पारियों में 3508 रन बनाये 61.54 की औसत के साथ। जबकि वनडे की 51 पारियों में 57.57 की औसत से 2418 रन बनाये हैं।

चैंपियनों की टीम में रिचर्ड्स ही ऐसे खिलाड़ी थे जिससे सभी को डर लगता था और आने वाले क्रिकेटर उन्हें देखकर उनसे सीख लेते थे जब वह पुराने दिनों में खेल के पहलूओं को साझा करते थे।

निसंदेह रिचर्डन को टी-20 खेलते देखने सौभाग्य होता और एक ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वह आधुनिक युग में खेले जाने वाले इस प्रारूप में कितने रन अपने नाम कर पाते।

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#5 रिकी पोटिंग

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पोटिंग एक ऐसा व्यक्ति है जो मैदान पर अपने स्वभाव के कारण सारी राय को तोड़ देता है लेकिन उनके आलोचक भी बैठ कर उस दौर की प्रशंसा करते है जिसमें पोटिंग ने अपने करियर में राज किया था।

स्टीव वॉ के कद के बाराबर सफल होना कभी किसी के लिए आसान काम नहीं था लेकिन पोंटिंग ने सिर्फ एक कप्तान के रूप में बल्कि टीम के नम्बर 3 के बल्लेबाज भी के रूप में भी उस दायित्व को पूरा किया।

उनके कंधे पर ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी थी लेकिन पोंटिंग ने उन अपेक्षाओं का सामना नहीं किया बल्कि उससे बढ़कर बल्लेबाजी आंकड़ों में सुधार ही किया।

2003 के विश्व कप के फाइनल से बेहतर कोई उदाहरण नहीं दिया जा सकता है जब अपने कप्तान के तौर पर अपने पहले विश्व कप को जीतने के लिए उन्होंने ना सिर्फ भारत को आउट कर दिया बल्कि कप्तानी पारी खेलते हुए सिर्फ 121 बॉल में 140 की बेहतरीन पारी खेल डाली।

नंबर 3 के स्थान पर बल्लेबाजी करते हुए 330 पारियों में 12662 रनों की एक विशाल अंतर से ओडीआई क्रिकेट में बढ़त बनाए हुए हैं। वह टेस्ट क्रिकेट में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करते हुए 10000 रनों के मील का पत्थर हासिल करने से सिर्फ 66 रन पीछे रह गये।

वह एक सच्चे लीडर थे, जिसने विपक्ष को विफल करने के अपने प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि खेल के सभी स्वरूपों में उनकी बल्लेबाजी में एक क्लास नजर आती थी।

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लेखक- प्रांजल मेच

अनुवादक- सौम्या तिवारी