कृष्णमाचारी श्रीकांत से नवजोत सिंह सिद्धू और फिर गौतम गंभीर से, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में, सर्वश्रेष्ठ और सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाजों में से कुछ को प्राप्त किया है। बात ओपनर की हो तो, वे एक परंपरा का एक हिस्सा हैं, जिसमे भारतीय टीम से हमेशा सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़े नाम खेलने उतरें हैं, जब भी वह पारी खोलने के लिए आया।
टेस्ट में ओपनिंग एकदिवसीय और टी 20 में ऐसा करने से काफी अलग है, लेकिन भारत एक उल्लेखनीय अपवाद हैं जिसके ओपनरों ने सभी प्रारूपों में अच्छा प्रदर्शन किया है। शिखर धवन का नाम मन में आता है। सलामी बल्लेबाज क्रिकेट में सर्वोच्च महत्व के होते हैं क्योंकि वे टीम को न केवल एक ठोस शुरुआत देते हैं बल्कि विपक्ष के खिलाड़ियों से जल्दी ही टक्कर लेते हैं। यह इन महान सलामी बल्लेबाजों की ही देंन है की भारत ने खेल के सभी प्रारूपों में असीम सफलता का आनंद लिया है।
आइए हम खेल के सभी प्रारूपों में भारत के पांच सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाजों को देखें:
रोहित शर्मा
रोहित शर्मा ने अपने क्रिकेट के करियर की शुरुआत एक युवा, प्रतिभाशाली मध्यक्रम बल्लेबाज़ के तौर पर शुरू की थी मगर उनके प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था और इस खिलाड़ी का करियर उड़ान भर पाने में असफल रहा। यही वो समय था जबकि उन्हें ऊपर खिलाने का फैसला किया गया और यह फैसला किसी करिश्मे से कम साबित न हुआ।
सौरव गांगुली
सीमित ओवरों के क्रिकेट में बंगाल के इस स्टाइलिश खिलाड़ी का खेल शीर्ष क्रम में बेहद सफल रहा, वो सफल भी रहे बतौर ओपनर जब तक वीरेंदर सहवाग नहीं आ गये। बैटिंग ऑर्डर के शीर्ष पर तेंदुलकर के साथ उनकी साझेदारी एक ऐसी प्रेम कहानी थी जिस पर बॉलीवुड तक को गर्व होता।
इस जोड़ी ने 136 पारियों में 6609 रन बनाये जिसमें 21 शतक और 23 अर्धशतक शामिल हैं, जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ है। उनके पास 49.32 की साझेदारी औसत भी है, जो कि कम से कम 2000 रनों के साथ किसी भी जोड़ी के लिए दूसरा सर्वश्रेष्ठ है।
गांगुली का एकदिवसीय क्रिकेट में एक सलामी बल्लेबाज और एक कप्तान के रूप में बेहद सफल करियर रहा, जिनमे कई बार ऑर्डर के शीर्ष पर भारत के लिए अविश्वसनीय पारियों का हिस्सा रखा। 1999 के विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ उनकी 183 रनों की पारी एक ऐसी ही अविस्मरणीय पारी है।
गांगुली ने 41.02 के औसत से 22 शतक और 72 अर्धशतकों के साथ 11,363 रन बनाए। इनमें से एक सलामी बल्लेबाज के रूप में, उन्होंने 5671 वनडे रन बनाए जिनमें 10 शतक और 37 अर्धशतक शामिल है।
https://youtu.be/uoijXl0zta4
वीरेंदर सहवाग
वह जैसे विश्व क्रिकेट मंच पर उभरे थे , उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली की वजह से उन्हें अक्सर 'अगला तेंदुलकर' कहा जाता था मगर वीरेंदर सहवाग धीरे-धीरे उस्ताद की छाया से बाहर होकर अपने दम पर एक किंवदंती बन गये।
अपने सर्वश्रेष्ठ पर, सहवाग अजेय थे, अपने होठों पर मुस्कान के साथ विपक्षी हमलों को खत्म करना उनकी खूबी थी। उन्होंने एक दिनी क्रिकेट में 15 शतकों के साथ, 35.05 की औसत से 8273 रनों और 104.33 की स्ट्राइक रेट के साथ रन बनाए। वह वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज थे।
कई लोगों ने सोचा भी नहीं था कि वे टेस्ट स्तर पर सफल होंगे लेकिन उन्होंने सबको को गलत साबित कर दिया और जिस तरह से टेस्ट क्रिकेट खेला गया था उसमें बदलाव आया। सहवाग ने एक परिपाटी को चुनौती दी कि तेज, उछाल वाले पिचों पर टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजों को सिर्फ जीवित रहने और नए गेंद को देखने की कोशिश करनी चाहिए। इस आक्रामक दाएं हाथ का बल्लेबाज ऐसी पिचों पर आक्रमण पर हमला करता था, विशेषकर ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर खेली गयी उनकी पारियाँ विशेष रही जहाँ आक्रामक शुरुआत से गेंद की चमक हटाते हुए रन बना कर पहले ही दिन टीम को खेल में बढ़त दिलाई। उनकी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एमसीजी में 195 रनों की पारी हो या मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ तिहरा शतक,आज अभी भी याद किए जाते हैं।
उन्होंने 49.34 के औसत से और 85.23 की स्ट्राइक रेट के साथ टेस्ट में 8586 रन बनाए। वह उन दुर्लभ भारतीय सलामी बल्लेबाजों में से एक थे जो खेल के सभी प्रारुपों में सफल रहे।
https://youtu.be/W9hjULswq3s
सचिन तेंदुलकर
जब कभी भी आप सबसे महान वनडे सलामी बल्लेबाजों के बारे में सोचते हैं, तो सचिन का नाम तुरन्त दिमाग में आता है। शायद इतिहास के सबसे महान और एक ऐसी महान कथा जो भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल देता था, तेंदुलकर ही वो कारण बने कि कई लोग क्रिकेट के साथ पहली जगह में प्यार में पड़ गए।
1998 में शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 134 की शानदार पारी और 2003 के विश्वकप में पाकिस्तान के खिलाफ 98 रनों की पारी दोनों ही अलग खड़ी दिखेंगी आपको।
https://youtu.be/IWNDYq8AwCs
वह 24 साल तक खेले और उन्होंने सेवानिवृत्त होने के समय के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। उनका वनडे सर्वश्रेष्ठ 200 का रहा, जो सीमित ओवरों के क्रिकेट में उनका पहला दोहरा शतक था और यह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आया था।
उन्होंने अपने खाते में 44.83 और 49 शतकों के औसत से 18,426 रनों बनाये। जो वास्तव में विशेष था!
https://youtu.be/aMubYAbRbgc
सुनील गावस्कर
हेलमेट के बिना वेस्टइंडीज के सबसे तेज और सबसे खतरनाक गेंदबाजों का सामना करना ही एक उपलब्धि थी और गावस्कर न केवल बच गए थे लेकिन इस तरह के हालात में भी उन गेंदबाजों पर भारी भी पड़े। गावस्कर बल्लेबाज़ी के साथ ही एकाग्रता और स्थिरता का प्रतीक था। उन्होंने हमेशा एक छोर थामे रखा, उनके चारों ओर क्या हो रहा इसके बारे में उन्हें पता नहीं रहता था और टिक जाने के बाद अपने शक्तिशाली स्ट्रोक की झड़ी लगा देते थे। उनकी स्थिरता और निरंतरता बेमिसाल थी और दुनिया के सबसे धारदार और घातक गेंदबाजों के सामने वो बरसे।
उस दौर में वेस्ट इंडीज के खिलाफ 65.45 की टेस्ट औसत और घर से बाहर 70.20 की औसत न सिर्फ आश्चर्यजनक है, बल्कि उनके कौशल भी बताती है।
उनका समग्र टेस्ट औसत 51.12 था और टेस्ट मैचों के क्रिकेट में उन्होंने 10,000 रन बनाने वाले पहले व्यक्ति भी थे।
लेखक: दीप्तेश सेन
अनुवादक : राहुल पांडे