वीरेंदर सहवाग
वह जैसे विश्व क्रिकेट मंच पर उभरे थे , उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली की वजह से उन्हें अक्सर 'अगला तेंदुलकर' कहा जाता था मगर वीरेंदर सहवाग धीरे-धीरे उस्ताद की छाया से बाहर होकर अपने दम पर एक किंवदंती बन गये।
अपने सर्वश्रेष्ठ पर, सहवाग अजेय थे, अपने होठों पर मुस्कान के साथ विपक्षी हमलों को खत्म करना उनकी खूबी थी। उन्होंने एक दिनी क्रिकेट में 15 शतकों के साथ, 35.05 की औसत से 8273 रनों और 104.33 की स्ट्राइक रेट के साथ रन बनाए। वह वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज थे।
कई लोगों ने सोचा भी नहीं था कि वे टेस्ट स्तर पर सफल होंगे लेकिन उन्होंने सबको को गलत साबित कर दिया और जिस तरह से टेस्ट क्रिकेट खेला गया था उसमें बदलाव आया। सहवाग ने एक परिपाटी को चुनौती दी कि तेज, उछाल वाले पिचों पर टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजों को सिर्फ जीवित रहने और नए गेंद को देखने की कोशिश करनी चाहिए। इस आक्रामक दाएं हाथ का बल्लेबाज ऐसी पिचों पर आक्रमण पर हमला करता था, विशेषकर ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर खेली गयी उनकी पारियाँ विशेष रही जहाँ आक्रामक शुरुआत से गेंद की चमक हटाते हुए रन बना कर पहले ही दिन टीम को खेल में बढ़त दिलाई। उनकी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एमसीजी में 195 रनों की पारी हो या मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ तिहरा शतक,आज अभी भी याद किए जाते हैं।
उन्होंने 49.34 के औसत से और 85.23 की स्ट्राइक रेट के साथ टेस्ट में 8586 रन बनाए। वह उन दुर्लभ भारतीय सलामी बल्लेबाजों में से एक थे जो खेल के सभी प्रारुपों में सफल रहे।
https://youtu.be/W9hjULswq3s