मैच के दौरान ऐसे कई मौके आते है जब गेंदबाज़ अकेले ही मैच जीता देते है। हाल ही में हुए इंग्लैड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ में रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा की घातक गेंदबाज़ी को कौन भूल सकता है जिसने पूरे सीरीज़ में इंग्लैंड की बेहतरीन बल्लेबाज़ी को क्रीज़ पर टिकने ही नहीं दिया।
अब 15 जनवरी से इंग्लैंड और भारत के बीच तीन मैचों का वनडे सीरीज़ शुरू होने वाला है। इस लेख के जरिए हम भारत और इंग्लैंड के बीच हुए पांच बेहतरीन गेंदबाज़ी पर नज़र डालेंगे।
# 5 स्टीवन फिन 5/33
2015 में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एक ट्राई सीरीज़ खेली गयी। गाबा में हुए इस सीरीज़ के तीसरे मैच में इंग्लैंड ने भारत के ख़िलाफ़ बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया।
गाबा के हरी-हरी घास वाले ख़ूबसूरत मैदान पर टॉस जीत कर भारतीय कप्तान ने बिना किसी झिझक के पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला लिया।
इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ स्टीवन फिन के लिए यह एक बेहतरीन मौका था जैसा की वह चाहते थे। जेम्स एंडरसन की गेंद पर शिखर धवन के आउट होने के बाद फिन अपने रंग में आए और अजिक्ये रहाणे, अंबाती रायडू और विराट कोहली जैसे बेहतरीन बल्लेबाज़ों को जल्दी-जल्दी अपना शिकार बनाया।
फिन ने टीम इंडिया का सबसे अहम धोनी का विकेट भी लिया और आख़िर में अक्षर पटेल को भी अपने गेंदबाज़ी के चक्रव्यूह में फंसाया। फिन की शानदार गेंदबाज़ी से टीम इंडिया की टीम 153 रन पर ही ढ़ेर हो गयी। फिन ने 8 ओवर में 33 रन देकर इंडिया के पांच विकेट झटके। जवाब में इंग्लैंड ने एक विकेट खोकर मैच अपने नाम कर लिया।
# 4 हरभजन सिंह 5/31
मार्च 2006 में दिल्ली के फिरोज़ शाह कोटला के मैदान पर इंग्लैंड और इंडिया के बीच सीरीज़ का पहला वनडे मैच खेला गया।
इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला लिया जो सही निर्णय भी साबित हुआ, क्योंकि कबीर अली समेत नए गेंदबाज़ों ने टीम इंडिया को खुलकर बल्लेबाज़ी करने का मौका नहीं दिया और नियत अंतराल पर विकेट भी लेते रहे। इंग्लैंड की इस बेहतरीन गेंदबाज़ी ने 46.4 ओवर में मेज़बान टीम को 203 रन पर ही ऑल आउट कर दिया।
लेकिन अगली पारी हरभजन के नाम रही। उस समय दाएं हाथ का ये ऑफ़ स्पिनर अपने शबाब पर था, जिसने अपनी घुमती गेंदों के चक्रव्यूह में इंग्लैंड की टीम को फंसा लिया और ब्रिटिश बल्लेबाज़ी को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
एंड्यू फ्लिंटॉफ और कप्तान पॉल कॉलिंगवुड भी उनकी इस घातक गेंदबाज़ी का शिकार हुए। इस मैच में हरभजन ने 31 रन देकर बेहतरीन पांच विकेट अपने नाम किए। जिससे इंग्लैंड की पारी को 164 रन पर ही ढ़ेर हो गयी और भारत यह मैच शानदार तरीके से जीत गया।
# 3 रॉनी इरानी 5/26
2002 में नैटवेस्ट सीरीज़ का आठवां मैच, जो केनिंगटन ओवल के मैदान में भारत और इंग्लैंड के बीच हुआ। टॉस जीतकर भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने इंग्लैंड को पहले बल्लेबाज़ी के लिए बुलाया। इंग्लैंड ने ठोस शुरूआत की, हालांकि मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी खास नहीं रही और आख़िर में लोअर ऑर्डर बैट्समैन 6, 9, 0, 3, 7 रन ही जोड़े। सबसे ख़ास बात, इस मैच में इंडिया ने 30 अतिरिक्त रन भी दिए जिसकी मदद से मेज़बान टीम 32 ओवर में 229 रन बना पायी।
जवाब में उतरी टीम इंडिया की भी शुरूआत ठीक नहीं रही। इरानी ने सबसे पहले वीरेंदर सहवाग को अपना शिकार बनाया। उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मैच में बेहतरीन बल्लेबाज़ी के प्रदर्शन के साथ अपने पैर जमा रहे युवा खिलाड़ी युवराज सिंह और मो. कैफ को पवेलियन लौटाया। और अंत में इस बेहतरीन गेंदबाज़ी का स्पेल अजय रात्रा और अजित अगरकर का विकेट लेने के साथ ख़त्म हुआ।
भारत यह मैच 64 रन से हार गया। मैच में 26 रन देकर 5 विकेट लेने वाले घातक गेंदबाज़ रॉनी इरानी को मैन ऑफ़ द मैन चुना गया।
# 2 एस. श्रीसंत 6/55
श्रीसंत हमेशा से एक ऐसे गेंदबाज़ के रूप में जाने जाते रहे है जो रन तो ख़ूब देते है लेकिन हमेशा अहम विकेट को हीअपना शिकार बनाते है। 2006 में इंदौर के मैदान पर सीरीज़ के सातवें एक दिवसीय मैच में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 2006 में श्रीसंत ने एक ऐसा ही प्रदर्शन किया।
टॉस जीतकर राहुल द्रविड़ ने इंग्लैंड को पहले बल्लेबाज़ी करने का निमंत्रण दिया जिसके बाद इंग्लैंड से पारी की ठोस शुरूआत की। एक समय ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 300 से ज्यादा रन बना लेगी। इंडिया का हर गेंदबाज़ इंग्लैंड बल्लेबाज़ी के सामने असहाय नज़र आ रहा था लेकिन श्रीसंत ने उस दिन कुछ अलग ही दिखे। श्रीसंत ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 55 रन देकर इंग्लैंड के 6 बल्लेबाज़ों को अपने गेंद के चक्रव्यूह में फंसा लिया।
जवाब में उतरी टीम इंडिया की ओर से पहला मैच खेल रहे रॉबिन उथ्थपा के साथ कप्तान राहुल द्रविड़ और युवराज ने शानदार बल्लेबाज़ी की और सात विकेट रहते ही मैच जीत लिया।
श्रीसंत को उनकी घातक गेंदबाज़ी के लिए मैन ऑफ़ द मैच का ख़िताब दिया गया।
# 1 आशीष नेहरा 6/23
यह वाकई में बेहतरीन मैच था। 2003 में विश्वकप के दौरान हुए डरबन के मैदान पर पूल A का यह मैच एक यादगार मैच है। भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया। महान सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के हॉफ सेन्चुरी के बदौलत एक समय टीम इंडिया ने 37वें ओवर तक 217 रन बना लिए थे।
लेकिन उसके बाद भारतीय पारी अचानक से लड़खड़ा गयी और 50 ओवर में 9 विकेट खोकर 250 रन पर ही सिमट गयी।
जवाब में उतरी इंग्लैंड की टीम की शुरूआत (28/2) ख़राब रही। जहीर ख़ान और जवागल श्रीनाथ ने इंग्लैंड टीम के शुरूआती विकेट अपने नाम किए, उसके बाद नेहरा ने अपनी गेंदबाज़ी से घातक रूख़ अख़्तियार किया। टखने में दर्द के बावजूद नेहरा की यह घातक गेंदबाज़ी किसी भी गेंदबाज़ के लिए एक मिसाल है।
नेहरा ने सबसे पहले माइकल वॉन को विकेट के पीछे खड़े द्रविड़ के हाथों कैच करावाया, यही नहीं उसी तरह एक बार फिर नेहरा ने विपक्षी टीम के कप्तान नासीर हुसैन को भी पवेलियन भेजा।
नेहरा ने स्टीवर्ट, पॉल कॉलिंगवुड, क्रेग व्हाइट और रॉनी इरानी को भी अपना शिकार बनाया। नेहरा की इस घातक पारी ने इंडिया को विश्वकप के सुपर सिक्स पहुंचा दिया। कई लोगों की नज़र में यह मैच बेहतरीन एकदिवसीय मैचों में से एक है।