गौतम गंभीर निसंदेह भारत के ऑलटाइम सर्वश्रेष्ठ ओपनिंग बल्लेबाजों में से एक हैं, खासकर टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा है। बीते वर्षों में, क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट में 42.58 के औसत से 4000 से ज्यादा रन बनाने वाले गंभीर के आंकड़े भारतीय क्रिकेट में उनके महान योगदान को बखूबी दर्शाने के लिए काफी हैं। गंभीर ने मौजूदा सीरीज से पहले अपना आखिरी टेस्ट 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में खेला था और उसके बाद से वो सेलेक्टर्स के रडार पर रहे। हालांकि, न्यूजीलैंड के खिलाफ चल रही सीरीज में केएल राहुल की इंजरी के बाद दिल्ली के गौतम गंभीर एक बार फिर सुर्खियों में आए और उन्हें केएल राहुल की रिप्लेसमेंट के तौर पर ओपनिंग बल्लेबाज के रुप में बुलाया गया है। पूरे करियर में, इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने 5 दिन के फॉर्मेट में कई शानदार पारियां खेली हैं। जहां उनकी कई पारियों की वजह से भारतीय टीम को मजबूती मिली, जबकी कुछ मुकाबलों में उन्होंने टीम इंडिया को मुसीबत से बाहर निकालने में अहम रोल निभाया है। ये गौतम गंभीर की टेस्ट क्रिकेट की पांच बेहतरीन पारियां हैं: # 66 बनाम इंग्लैंड (2009, चेन्नई) 2008 चेन्नई टेस्ट में, 387 का विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत का श्रेय वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह को दिया जाता है, लेकिन गौतम गंभीर का योगदान भी काफी सराहनीय रहा और वो भी जीत के हीरो रहे। पहले विकेट के लिए 117 रन की साझेदारी हुई, जहां एक छोर से गंभीर ने पारी को संभाला और सहवाग को इंग्लिश गेंदबाजों की धुलाई करने की छूट दी। सहवाग के आउट होने के बावजूद, गंभीर क्रीज पर जमे रहे और 139 गेंदों का सामना करके उन्होंने 66 रन बनाए और भारतीय पारी के 44वें ओवर में आउट हुए थे। हमेशा कम आंके जाने वाले, गंभीर की 66 रन की ये शानदार पारी उनके टेस्ट करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है। # 64 बनाम साउथ अफ्रीका (2011, केप टाउन) वर्ष 2010-11 में भारत के आउथ अफ्रीका टूर के दौरान गंभीर ने अपनी सबसे स्पेशल पारियों में से एक 64 रन की पारी खेलकर भारत के लिए केप टाउन टेस्ट मैच बचाया था। जो बात इस पारी को खास बनाती है वो है गंभीर के हाथ में चोट लगने के बावजूद वो क्रीज पर डटे रहे और साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों का सामना करते रहे जिसके बाद भारत ने हारा हुआ मैच ड्रॉ में तबदील किया था। सीरीज के निर्णायक मैच के पांचवे दिन भारत 340 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहा था, भारतीय टीम को जल्दी ही सहवाग के रूप में शुरुआती झटके लग चुके थे। गंभीर भी कोहनी की चोट से जूझ रहे थे, लेकिन वो दर्द में भी क्रीज पर डटे रहे और चार घंटे तक संघर्ष करते हुए उन्होंने 184 गेंदों पर 64 रन बनाए। जिस वक्त गंभीर आउट हुए, तब 20 ओवर का ही खेल बचा था जिसे आसानी से ड्रॉ में तबदील किया गया क्योंकि वीवीएस लक्ष्मण और सचिन तेंदुलकर नॉट आउट थे। # 167 बनाम न्यूजीलैंड (2009, वेलिंगटन) 2008 और 2009 में गौतम गंभीर अपने करियर की बुलंदियों पर थे। इस दौरान वो अपने 2000 रन के करीब पहुंचे और उनकी टेस्ट औसत 50 से ज्यादा थी। उनके शानदार करियर की हाईलाइट 2009 में न्यूजीलैंड दौरा था जहां उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए दमदार प्रदर्शन किया। तीन मैचों की सीरीज के आखिरी मैच में मेजबान के खिलाफ वेलिंगटन में, भारतीय टीम को पहली पारी में 187 रन की बढ़त मिली थी। जिसके बाद टीम इंडिया को दूसरी पारी में भी बड़े स्कोर की दरकार थी जिससे मेजबान टीम पर दबाव बना रहे। दिल्ली के बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने ये जिम्मेदारी ली और दूसरी पारी में उम्दा बल्लेबाजी करते हुए 257 गेंदों का सामने कर 167 रन बनाए और न्यूजीलैंड को 617 रन का विशाल टारगेट देने में अपना योगदान दर्ज कराया। भारतीय टीम एक ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही थी लेकिन बारिश ने भारत का दिन खराब कर सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और ये मैच ड्रॉ हो गया। अपने शानदार प्रदर्शन के लिए गौतम गंभीर को मैन ऑफ द मैच के खिताब से सम्मानित किया गया। # 206 बनाम ऑस्ट्रेलिया (2008, दिल्ली) 2008 में हुई बॉर्डर - गावस्कर ट्रॉफी भारत के लिए कई मायनों में अहम है। जिसका सबसे अहम कारण था ओपनिंग बल्लेबाज गौतम गंभीर जिस तरह से पूरी सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर हावी रहे। इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने 3 टेस्ट में धूएंधार बल्लेबाजी करते हुए अद्भुत 77.16 की औसत से 463 रन बनाए जिसमें दो शतक भी उनके नाम दर्ज हुए। इस सीरीज में गौतम गंभीर ने अपने करियर की पहली और इकलौती डबल सेंचुरी जड़ी। उन्होंने दिल्ली में खेले गए सीरीज का तीसरे टेस्ट में ये कारनामा किया था। एक समय ऐसा था, जब भारत संघर्ष करता नजर आ रहा था और टीम इंडिया 27 रन पर अपने दो विकेट गवां चुकाी थाी, लेकिन गंभीर ने अपना टेम्परामेंट का परिचय देते हुए सचिन तेंदुलकर और फिर वीवीएस लक्ष्मण के साथ अच्छी साझेदारी की और भारत को मजबूत स्थिति में लेकर आए। 380 गेंदों का सामनाा कर 206 रन बनाने के बाद जिस वक्त गंभीर आउट हुए, तब भारत ड्राईविंग सीट पर आ चुका था और स्कोर 435 रन पर 4 विकेट था। हालांकि ये मैच ड्रॉ रहा लेकिन गौतम गंभीर को हर ओर से अपनी इस शानदार पारी के लिए बधाई मिल रही थी। # 137 बनाम न्यूजीलैंड (2009, नेपियर) गौतम गंभीर के अब तक के क्रिकेट करियर में कई शानदार पारी रही है, लेकिन उनमें से सर्वश्रेष्ठ पारी 2009 न्यूजीलैंड के खिलाफ नेपियर टेस्ट में, गंभीर के बल्ले से निकली शतकीय पारी रही। जिसकी वजह से भारत मैच बचाने में कामयाब रहा। इस पारी का सबसे विशेष पहलू था गंभीर का अपनी टीम को मुश्किल से उबारने के लिए घंटो क्रीज पर खड़े रहकर भारत को मैच हारने की बजाए ड्रॉ कराने के लिए अहम भूमिका निभाना। जिससे न सिर्फ ये साबित हुआ कि गंभीर टेस्ट के शानदार बल्लेबाजों में से एक हैं बल्कि उनकी तकनीक और टेम्परामेंट भी लोगों को देखने को मिला। न्यूजीलैंड ने पहली पारी में 619 रनों का बड़ा अंबार लगा दिया था और भारतीय टीम पहली पारी में 305 पर ही ढेर हो गई थी। न्यूजीलैंड के कप्तान डेनियल विटोरी ने भारत पर फॉलो-अन लगा दिया था। गंभीर ने अपना ओपनिंग साथी सहवाग को जल्दी ही खो दिया था क्योंकि वीरु 22 रन बनाकर जीतन पटेल का शिकार हो गए थे। लेकिन बावजूद इसके गंभीर ने हार नहीं मानी और उन्होंने राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के साथ अच्छी साझेदारी की और भारतीय टीम को सुरक्षित करने का पूरा प्रयास किया। वीवीएस लक्ष्मण के साथ मिलकर भी गंभीर ने 96 रन की साझेदारी की और 436 गेंदों का सामना करते हुए 137 रन बनाकर आउट हुए, इस दौरान पर 643 मिनट क्रीज पर खड़े रहे। ये मैच ड्रॉ से साथ खत्म हुआ क्योंकि गंभीर के आउट होने के बाद भारत का कोई विकेट नहीं गिरा। इस मैच को ड्रॉ कराने के लिए भारत की ओर से गंभीर मैच के असली हीरो साबित हुए।