भारत के 5 सर्वश्रेठ विकेटकीपर

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क्रिकेट में विकेटकीपर की भूमिका सबसे चुनौतीपूर्ण होती है। क्योंकि फील्डिंग के दौरान उसे लगातार सभी गेंदों पर नजर रखनी पड़ती है। स्टंप के पीछे की इस भूमिका को निभाने के लिए फिटनेस व एकाग्रता दो बेहद जरूरी मापदंड हैं। भारत की तरह ही दुनिया के अन्य देश भी आज से दो दशक पहले टीम में विशेषज्ञ विकेटकीपर को शामिल करते थे। लेकिन समय बदला और टीमों में विकेटकीपर बल्लेबाज की डिमांड होने लगी। भारत के पहले विकेटकीपर जनार्दन नवले से लेकर, नाना जोशी, नरेन तमहाने, फारूख इंजीनियर, किरन मोरे, नयन मोंगिया व महेंद्र सिंह धौनी तक बेहतरीन विकेटकीपर हुए हैं। इनमें से नाना जोशी व नरेन तमहाने विशुद्ध विकेटकीपर थे। जबकि फारूख इंजीनियर भारत के पहले वनडे विकेटकीपर थे। आज हम इस लेख में भारत के उन चुनिंदा विकेटकीपर के बारे में बता रहे हैं, जो अबतक के सबसे बेहतरीन विकेटकीपर हैं। सम्मानसहित उल्लेख नरेन तामहाने नरेन तामहाने का जन्म सन् 1931 में मुम्बई में हुआ था, 22 वर्ष की उम्र में तामहाने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू किया था। सन् 1955 में नरेन ने पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किया था। वह भारत के पहले विकेटकीपर थे जिन्होंने 50 शिकार किए थे। जिसमें 35 कैच व 16 स्टंपिंग थी। स्टंप करने की उनकी अपनी अलग स्टाइल थी, वह एक ही बेल गिराते थे। बल्ले से वह खास सफल नहीं हुए थे, अपने दूसरे टेस्ट में नरेन ने 54 रन बनाए थे। सन् 1960 में तमहाने ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया, बाद में वह कई वर्षों तक भारतीय टीम के चयनकर्ता भी रहे। फारूख इंजीनियर farr सही से अगर देखा जाए तो फारुख इंजीनियर भारतीय क्रिकेट के पहले पोस्टर बॉय हैं। वह एक बेहतरीन बल्लेबाज होने के अलावा बहुत अच्छे विकेटकीपर भी थे। स्टंप के पीछे उनकी चपलता जितनी थी, उतने ही चपल वह विकेटों के आगे भी थे। उनके दौर में बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर व वेंकटराघवन जैसे स्पिन गेंदबाज थे। भारत ने विदेश में जब अपनी पहली सीरीज जीती थी, तो उसमें फारूख इंजीनियर की भूमिका सबसे अहम थी। संन्यास के बाद फारूख इंजीनियर ने कांउटी क्रिकेट में लंकाशायर की तरफ से खेला था। इंजीनियर ने अपने करियर में 46 टेस्ट में 82 शिकार किए थे। जिसमें 66 कैच व 16 स्टंपिंग शामिल है।सैय्यद किरमानी syed सैय्यद किरमानी को लोग उनके दौर में किरी के नाम से जानते थे। किरमानी को फारूख इंजीनियर के डिप्टी कर तौर पर टीम में शामिल किया गया था। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 1976 में उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू किया था। अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में किरमानी ने एक पारी में 6 कैच पकड़कर नया रिकॉर्ड स्थापित किया था। किरमानी ने विकेटों के पीछे और आगे जिस तरह से प्रदर्शन किया था। उस हिसाब से वह फारुख इंजीनियर के आदर्श रिप्लेसमेंट थे। पाकिस्तान के खिलाफ 1979-80 के सीरीज में उन्होंने 19 शिकार करके नरेन तम्हाने के रिकॉर्ड की बराबरी की थी। 1983 के विश्वकप में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर चुना गया था। पैरों में चोट लगने की वजह से किरमानी का करियर लम्बे समय तक नहीं चल पाया था। जिसकी वजह से उन्हें 1986 में संन्यास लेना पड़ा था। उन्होंने भारत के लिए 88टेस्ट व 49 वनडे मुकाबले खेले थे। अपने 10 वर्ष के क्रिकेट करियर में किरमानी ने 234 शिकार किए थे।किरन मोरे kirann सैय्यद किरमानी के बाद भारत के विकेटकीपर बने किरन मोरे छोटे से कद के मोरे हमेशा चुनौतियां लेने के लिए तैयार रहते थे। भारत के लिए मोरे 7 वर्षों तक खेले थे। लोग मोरे को उनके आंकड़ों के बजाय उनके आक्रामक तेवर के लिए जाने जाते थे। विश्वकप 1992 में भारतीय टीम का हिस्सा रहे किरन मोरे को जब जावेद मियांदाद ने उछलकर चिढ़ाया था, वह घटना आज भी लोगों के जहन में सबसे यादगार घटना के तौर पर है। मोरे के समय में कपिल देव, मनोज प्रभाकर और जवागल श्रीनाथ जैसे तेज गेंदबाज़ थे। लेकिन सबसे खास बात ये है कि 130 शिकार में से मोरे ने 81 शिकार तेज गेंदबाजों की गेंद पर किए हैं।नयन मोंगिया naya किरन मोरे के बाद भारतीय टीम में नयन मोंगिया को शामिल किया था। जिन्होंने लम्बे समय तक भारतीय टीम में विकेट के पीछे की जिम्मेदारी निभाई। मोंगिया को स्पिन गेंदबाजों के सबसे अच्छा विकेटकीपर माना जाता रहा है। उन्होंने अनिल कुंबले, हरभजन सिंह जैसे स्पिनरों के लिए विकेटकीपिंग की। मोंगिया अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 2500 से ज्यादा रन भी बनाये थे। कई बार मोंगिया को टीम मैनेजमेंट ने पिंच हिटर के रूप में भी अजमाया है। टेस्ट व वनडे में मोंगिया ने 100-100 शिकार किए थे।एमएस धोनी maa महेंद्र सिंह धोनी भारतीय टीम मैनेजमेंट की एक खोज थे। क्योंकि टीम इंडिया एक अदद बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज़ की कमी से जूझ रही थी। ये कमी धोनी ने दूर की और आज वह भारत के सबसे सफल विकेटकीपर हैं। टेस्ट में उन्होंने 256 कैच व 38 स्टंपिंग की है। जबकि वनडे में उनके नाम 283 कैच व 100 स्टंपिंग दर्ज है। साथ ही टी-20 में 43 कैच व 24 स्टंपिंग दर्ज हैं। इसके अलावा धोनी एक बेहतरीन फिनिशर बल्लेबाज़ हैं, जो मैच को अंत तक अपने कंधों पर ले जाते हैं और टीम को जीत दिलाकर ही मैदान से वापस आते हैं। यही नहीं धोनी भारत के सबसे सफलतम कप्तान भी हैं। धोनी परम्परागत विकेटकीपर व बल्लेबाज़ नहीं हैं, लेकिन वह किसी भी स्तर भी चूके हुए खिलाड़ी नहीं रहे हैं। साथ ही आधुनिक क्रिकेट में उनके समान विकेट के पीछे चपल विकेटकीपर पूरी दुनिया में नहीं है। लेखक-साहिल जैन अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी

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