सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी द्वारा भारतीय क्रिकेट के स्वरूप को बदलने वाले 5 ऐतिहासिक फैसले

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#2. सौरव गांगुली का हरभजन सिंह को टीम में वापस लाना

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2000 के आसपास हुए मैच फिक्सिंग प्रकरण के कारण भारतीय क्रिकेट टीम एक कठिन दौर से गुजर रही थी। इस प्रकरण के बाद बीसीसीआई को बिखरी हुई भारतीय टीम के लिए कप्तान के रूप में एक नए चेहरे की आवश्यकता थी। तब सौरव गांगुली को भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था। उन्होंने कप्तानी संभालने के बाद खिलाड़ियों को एकजुट करते हुए टीम को पूरी तरीके से पुनर्जीवित किया।

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गांगुली के कप्तानी संभालने के बाद 2000 में हुए चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने उपविजेता के रूप टूर्नामेंट को समाप्त किया। गांगुली हमेशा से घरेलू क्रिकेट से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की तलाश करते रहे। इसी खोज की देन रहे हरभजन सिंह ने 1998 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और 2 साल के अंतराल के बाद गांगुली ने उन्हें भारत में होने वाले, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला खेलने के लिए वापस बुलाया।

सौरव का निर्णय मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ क्योंकि युवा स्पिनर हरभजन सिंह ने 3 मैचों की श्रृंखला में भारत की ओर से 32 विकेट लिए। साथ ही वे टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय बने। भारत ने श्रृंखला को 2-1 से जीता। सौरव गांगुली का हरभजन सिंह को वापस लाना भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हुआ।

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Edited by सावन गुप्ता
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