#1. गांगुली का महेंद्र सिंह धोनी को समर्थन देना
जैसा कि हमने पहले बात किया की सौरव गांगुली ने भारतीय टीम का पुनर्गठन किया। तब उस समय भारतीय टीम को एक विकेटकीपर की तलाश थी। नयन मोंगिया के संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम में कई विकेटकीपरों को जगह मिली लेकिन वे सब अपनी छाप छोड़ने में असफल रहे। 2004 में महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।
पाकिस्तान के खिलाफ हो रही श्रृंखला में धोनी ने शुरूआती चार मुकाबले खेले थे और उन्हें बल्लेबाजी करने का अवसर नहीं प्राप्त हो रहा था। तब सौरव गांगुली ने धोनी को पाकिस्तान के खिलाफ श्रृंखला के अंतिम मुकाबले में तीसरे नंबर पर भेजने का फैसला किया। उस मुकाबले में महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार 148 रन बनाए और विश्व क्रिकेट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। धोनी ने इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 183 रनों की पारी खेली जो आज भी किसी विकेटकीपर द्वारा एकदिवसीय मुकाबले में सर्वोच्च स्कोर है।
इसके बाद धोनी को 2007 में हुए पहले टी20 विश्व कप के लिए कप्तान के तौर पर चुना गया। उस समय युवा भारतीय टीम ने महेंद्र सिंह धोनी के कप्तानी में टी20 वर्ल्ड कप जीता। धोनी की बेहतरीन विकेटकीपिंग तो जग जाहिर है। महेंद्र सिंह धोनी की सफलताएं इतिहास के पन्नों में दर्ज है।