ENG v IND: इंग्लैंड को हराने के लिए भारत को निकालना होगा इन 5 बड़ी समस्याओं का हल

आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में भारत विश्व की नंबर 1 टीम है, लेकिन पिछले 2 सालों से उन्हें शायद ही कभी कोई विदेशी दौरा किया है। अब 2018 में वह समय आ गया है जब भारत का वास्तविक परीक्षण होगा जहां उनके अधिकांश दौरे विदेश में होने है। हालांकि भारत ने आखिरी टेस्ट सीरीज़ में दक्षिण अफ्रीका को कड़ी टक्कर दी थी फिर भी वे उन्हें हरा नहीं कर सके थे। ऐसे कई सकारात्मक चीजें हैं जिनका प्रदर्शन कर सकता है और वहीं कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। अफगानिस्तान टेस्ट भारत के लिए इन मुद्दों को हल करने के लिए एक आदर्श मंच है और अगर वे ऐसा कर सकते हैं तो वे विदेशों में भी एक खतरनाक टीम साबित हो सकते है। आने वाली टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड को हराने के लिए भारत को इन 5 मुद्दों पर हल करना होगा।

#1 सलामी बल्लेबाज़

लंबे समय से भारत ने एक विश्वसनीय दूसरे सलामी बल्लेबाज को खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है। दूसरे ओपनर के लिए स्थिति आखिरी बार भारत द्वारा इंग्लैंड के दौरे से अबतक जारी है। तब गौतम गंभीर को शिखर धवन और मुरली विजय के साथ तीसरे सलामी बल्लेबाज के रूप में लिया गया, जबकि इस बार धवन आरक्षित सलामी बल्लेबाज बन गये हैं। वहीं केएल राहुल को मुरली विजय के साथ शीर्ष पर भेजे जाने की उम्मीद है। यह आश्चर्यजनक है कि एक टीम जो टेस्ट में नंबर 1 रैंकिंग पर है वह शीर्षक्रम में संघर्ष कर रही है। ये मुद्दे गंभीर बन गये हैं क्योंकि धवन के सीमित ओवर प्रदर्शनों को टेस्ट मैच क्रिकेट में चयन के लिए मानदंड माना गया है। वहीं दूसरी तरफ विजय ने कठोर परिस्थितियों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन इसके कारण उन्हें सीमित ओवरों में शायद ही कभी मौका मिला है। यह समय है कि धवन के प्रदर्शन स्पष्ट रूप से परखने का हैं। टेस्ट मैच क्रिकेट में उनकी कुछ अच्छी पारी है लेकिन वे ज्यादातर कमजोर गेंदबाजी हमलों के खिलाफ उप-महाद्विपीय परिस्थितियों में आयी हैं। हालांकि दक्षिण अफ्रीका में केएल राहुल के कुछ गड़बड़ियां हुयी थी, लेकिन उन्हें आईपीएल में अपना फॉर्म वापस पा लिया है। उनके पास एक उत्कृष्ट तकनीक और प्रकृति है और इसके मद्देनजर उन्हें इंग्लैंड में भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए। यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम प्रबंधन कैसे अपने सलामी बल्लेबाजों की समस्या का समाधान करता है।

#2 तेज़ गेंदबाज़ी तिकड़ी

भारत कभी भी तेज गेंदबाजी में अपने साथ विकल्प लेकर इंग्लैंड नही गया है क्योंकि तब उसके पास इतने विकल्प थे ही नहीं जिसमें से चुनाव किया जा सके। इस बार हालांकि, सभी पांच गेंदबाजों (जाने की उम्मीद है) से काफी अच्छे प्रदर्शन करने की उम्मीद की जा सकती है। भुवनेश्वर कुमार इंग्लैंड में खेले गए आखिरी टेस्ट सीरीज़ में मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। वह भारत के सबसे अच्छे स्विंग गेंदबाज हैं और वह बल्लेबाजी भी कर सकते हैं। भारत को पांच बल्लेबाजों के साथ जाने की उम्मीद है, जिसमें साहा और हार्दिक की बल्लेबाजी बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। बुमराह बहुत अधिक स्थिर है जो उसे थोड़ी सी बढ़त देता है। वह हवा में तेज़ है, उछाल निकाल सकता है और गेंद को तेजी से स्विंग भी करा सकता है। शमी अपने दिन घातक हो सकते हैं, जैसा वह दक्षिण अफ्रीका में दिखा चुके हैं। सबसे अच्छा रिवर्स स्विंग गेंदबाज होने के नाते, वह मैच को अपने पक्ष में मोड़ सकते हैं। उनके पास विशाल अनुभव भी है, जो इंग्लैंड की परिस्थितियों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इशांत टेस्ट मैच क्रिकेट में पिछले कुछ सालों में लंबा सफर तय कर चुके हैं। सीमित ओवर क्रिकेट और यहां तक ​​कि आईपीएल में अनदेखा किये जाने के बाद, वह काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए चले गए और 7 प्रथम श्रेणी मैचों में 17 विकेट लेकर भी सबको प्रभावित किया है। उमेश यादव हमेशा बहुत रन देने और गलत दिशा में गेंदबाजी करने के दोषी रहे हैं। हालांकि, पिछले 12 महीनों में उन्होंने काफी सुधार किया है। आईपीएल उनके लिए काफी अच्छा साबित हुआ है, जहां उमेश ने 20 के आसपास की औसत से 12 विकेट लिए थे। उनके पास वह अतिरिक्त गति है जो अंग्रेजी बल्लेबाजों को परेशान कर सकती है। लगभग सभी पांच तेज गेंदबाजों के पास कुछ अलग विशेषता है। टीम प्रबंधन को अपने चयन पर बहुत सावधानीपूर्वक विचार करना होगा।

#3 स्पिनर्स

भारत में हमेशा गुणवत्ता स्पिनरों की खेप रही है। समस्या यह है कि इन स्पिनरों ने विदेशों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। भारत के पास आर अश्विन और रविंद्र जडेजा हैं जो आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में उच्च स्थान पर हैं, लेकिन उनका विदेश में खराब रिकॉर्ड है। दोनों का विदेशी परिस्थितियों में 100 के करीब स्ट्राइक रेट है (उप महाद्वीप और वेस्टइंडीज को छोड़कर)। दोनों के समान रिकॉर्ड होने के साथ उनमें से किसी एक को चुनने से बहुत अंतर नहीं आया। यही वजह है कि विराट ने दोनों के आगे कर्ण शर्मा का चयन करके अपने पहले मैच में सबको आश्चर्यचकित कर दिया। हालांकि अश्विन ने दक्षिण अफ्रीका के अपने आखिरी विदेशी दौरे में सुधार दिखाया था, जहां उनका स्ट्राइक रेट 65 का था। हमें कुलदीप यादव को बाहर नहीं करना चाहिए, जो कि स्थिरता के साथ कलाई से स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं। साथ ही भारत के 6ठे बल्लेबाज की बजाय हार्दिक पांड्या के साथ जाने की उम्मीद है, टीम प्रबंधन को उन गेंदबाज को भी बढ़त देनी होगी जो दूसरे से बेहतर बल्लेबाजी कर सके।

#4 विकेटकीपर बल्लेबाज़

ऋद्धिमान साहा वर्तमान में भारत में सबसे सुरक्षित विकेटकीपर है, लेकिन आधुनिक युग में विकेटकीपर के लिए भी बल्लेबाज के रूप में टीम में जगह बनाने में सक्षम होना आवश्यक है। वह सिर्फ 30 की औसत के साथ इस पहलू में बड़े अवसरों पर विफल रहे है। जडेजा और अश्विन उनके जितने ही अच्छे हैं और भुवनेश्वर कुमार ने विदेश में उनसे भी बेहतर प्रदर्शन दिया है। भारत में खेलते समय साहा के स्थान पर कभी सवाल नहीं उठाया जा सकता क्योंकि विकेट कीपिंग के लिए कठोर परिस्थितियों में वह न केवल श्रेष्ठ रहे है बल्कि कई बार अद्भुत भी साबित हुए है। इंग्लैंड में जहां विकेटकीपिंग उतनी मुश्किल नहीं है ऐसे में बेहतर बल्लेबाज उससे ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है। उनकी चोट ने दिनेश कार्तिक के लिए दरवाजे भी खोल दिए हैं (जिन्हें अफगानिस्तान टेस्ट के लिए शामिल किया गया है)। कार्तिक एक अच्छे कार्यकाल से गुज़र रहे हैं और अफगानिस्तान के खिलाफ एक अच्छा टेस्ट मैच उसे साहा से आगे बढ़ने के क्रम में मदद सकता है। साहा की जगह खतरे में पड़ने का एक अन्य कारण यह है कि भारत 5 बल्लेबाजों के साथ जाना पसंद करता है तो इस मामले में वे अपने विकेटकीपर और ऑलराउंडर्स की बल्लेबाजी पर काफी निर्भर करेगा।

#5 हार्दिक पांड्या या नंबर 6 का बल्लेबाज़

2011 में इंग्लैंड द्वारा सफाया होने के बाद भारत ने 2014 में आक्रामक वापसी करते हुए पहले मैच में 6ठे बल्लेबाज की बजाय स्टुअर्ट बिन्नी को शामिल किया। बिन्नी भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी वाले ऑलराउंडर नहीं थे, लेकिन एकमात्र ऐसा व्यक्ति जो उन कौशल को दिखा सकता था। पर अपनी मध्यम गति के साथ वह इंग्लैंड के बल्लेबाजों को परेशान नहीं कर सके और भारतीय बल्लेबाज़ी भी संघर्ष करती रही इसलिए वे फिर से 4 गेंदबाज वाली रणनीति पर वापस चले गए। तब से विराट कोहली की कप्तानी के अंतर्गत बहुत कुछ बदल गया है। भारत हमेशा 5 मुख्य गेंदबाजों के साथ विदेशों में जाना चाहता है। पांड्या के सामने आने के साथ ऐसा लगता है कि विराट की समस्याएं दूर हो जाएंगी लेकिन पांड्या के गेंदबाजी कौशल अभी भी स्कैनर के अंतर्गत है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 100 से अधिक स्ट्राइक दर के साथ केवल 3 विकेट लिए (जहां उनकी गेंदबाजी शैली के लिए आदर्श परिस्थितियां थी)। उन्होंने पहले टेस्ट मैच में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पारी खेली, लेकिन उनके बाकी प्रदर्शन देखकर लगता है कि उसे अभी भी लंबा सफर तय करना बाकी है। पांड्या को अब भी ऑलराउंडर के रूप में जगह देनी चाहिए लेकिन अगर उनकी जगह 6ठे बल्लेबाज को अधिक महत्व दिया जाता है तो यह आश्चर्यचकित नहीं होगा। लेखक- र्हिशांत सिंघल अनुवादक- सौम्या तिवारी

Edited by Staff Editor
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