भारत के लिए दक्षिण अफ़्रीका दौरे की शुरुआत उम्मीद के मुताबिक़ भले ही न हुई हो लेकिन इस हार से कोई हैरानी भी नहीं हुई। पिछले 25 सालों में टीम इंडिया को दक्षिण अफ़्रीकी सरज़मीं पर महज़ दो जीत ही मिली है और केपटाउन में भारत कभी नहीं जीता लिहाज़ा नतीजा कोई चौंकाने वाला नहीं था, लेकिन जिस अंदाज़ में टीम इंडिया 208 रनों का पीछा करते हुए 135 रनों पर ढेर हो गई उसने क्रिकेट फ़ैंस को निराश ज़रूर कर दिया। भारतीय गेंदबाज़ों के लिए ये टेस्ट मैच बेहद शानदार रहा जहां उन्होंने कमाल का प्रदर्शन करते हुए सभी का दिल जीत लिया। चौथे दिन के पहले सत्र में तो 8 विकेट झटकते हुए भारतीय पेस बैट्री ने क़रीब क़रीब इतिहास रच ही दिया था, लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों ने अगले सत्र में उनकी मेहनत को ज़ाया कर दिया और टीम इंडिया को 72 रनों से हार नसीब हुई। इस जीत के साथ ही मेज़बान अफ़्रीका 3 मैचों की सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल कर चुकी है, टीम इंडिया के लिए अब सेंचुरियन में खेला जाने वाले दूसरा टेस्ट मैच करो या मरो का हो गया है जो 13 जनवरी से शुरू होगा। केपटाउन में मिली टीम इंडिया की हार की वैसे तो कई वजह हैं, जिसमें टीम के चयन से लेकर अभ्यास तक शामिल हैं। लेकिन इनमें से 5 प्रमुख वजह कुछ इस तरह है:
#5 अजिंक्य रहाणे को प्लेइंग-XI से बाहर रखना
भारत के लिए हाल के सालों में अगर किसी बल्लेबाज़ ने विदेशी सरज़मीं पर शानदार प्रदर्शन किया है तो वे हैं चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे। रहाणे के इन्हीं प्रदर्शन का इनाम उन्हें टीम इंडिया की टेस्ट टीम का उप-कप्तान के रूप में भी मिला। ख़ास तौर से दक्षिण अफ़्रीका में रहाणे का 2 मैचों की 4 टेस्ट पारियों में औसत 69.66 रहा है, जिसमें उनका बेस्ट स्कोर 96 है। इसके बावजूद रहाणे को केपटाउन टेस्ट से बाहर रखने का फ़ैसला हैरान करने वाला था। कोहली ने इसकी दलील उनके ख़राब फ़ॉर्म से ज़्यादा रोहित शर्मा के बेहतरीन फ़ॉर्म को दिया, लेकिन फ़्लैट पिचों और श्रीलंकाई गेंदबाज़ों के सामने रन बनाना और तेज़ और उछाल पिचों पर तकनीक और संयम का परिचय देना, दोनों में बड़ा फ़र्क़ है जो रोहित शर्मा की बल्लेबाज़ी में दिख गया। रहाणे का इन परिस्थितियों में न होना भारत के लिए महंगा पड़ गया।
#4 ऋद्धिमान साहा का बतौर बल्लेबाज़ लचर प्रदर्शन
महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद उनकी जगह क़रीब क़रीब ऋद्धिमान साहा ने हासिल कर ली है। और वह लगातार भारतीय टेस्ट टीम के नंबर-1 विकेटकीपर बने हुए हैं, विकेट के पीछे साहा का प्रदर्शन शानदार रहा है उसका सबूत केपटाउन में भी देखने को मिला। जब उन्होंने 10 शिकार करते हुए भारत के पहले और दुनिया के सिर्फ़ 5वें विकेटकीपर बन गए। लेकिन विकेट के सामने यानी बल्ले से साहा ने ज़्यादातर मौक़ों पर निराश किया है, कुछ यही हाल केपटाउन में भी देखने को मिला जब ज़रूरत थी वह टिककर खेलें और दूसरे बल्लेबाज़ों का साथ दें। पर साहा ने पहली पारी में जहां खाता तक नहीं खोला तो दूसरी पारी में अहम मौक़े पर अपनी विकेट गंवा दी, उन्होंने मैच में सिर्फ़ 8 रन बनाए।
#3 तीसरे दिन आई बारिश के बाद पिच का मिज़ाज बदलना
भारतीय गेंदबाज़ों ने पहली पारी में भी शानदार प्रदर्शन किया था जब पहले ही दिन प्रोटियाज़ को 286 रनों पर समेट दिया था। हालांकि पहली पारी में भी गेंदबाज़ों को बल्लेबाज़ों का साथ नहीं मिला था और अगर हार्दिक पांड्या ने 93 रनों की पारी नहीं खेली होती तो शायद भारत पर पारी की हार का संकट भी मंडरा रहा होता। पांड्या की पारी ने भारत को मैच में बनाए रखा और फिर तीसरे दिन हुई मूसलाधार बारिश ने एक भी गेंद नहीं फेंकने दी। बारिश का असर ये हुआ कि पिच पर नमी आ गई और घास उग आई थी जिसका फ़ायदा भारतीय गेंदबाज़ों ने चौथे दिन के पहले सत्र में 8 विकेट लेते हुए उठाया। पर इस पिच पर नमी अभी भी बरक़रार थी जिसे प्रोटियाज़ गेंदबाज़ों ने बख़ूबी इस्तेमाल करते हुए टीम इंडिया को 135 रनों पर ढेर कर दिया।
#2 भारतीय बल्लेबाज़ों का ज़रूरत से ज़्यादा रक्षात्मक रवैया
इस टेस्ट की दोनों ही पारियों में टीम इंडिया के बल्लेबाज़ों ने अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेला, सभी बल्लेबाज़ों के दिमाग़ में रन बनाने से ज़्यादा विकेट पर समय बिताना चल रहा था। जो कहीं से भी सही क़रार नहीं कहा जा सकता, ख़ास तौर से जब आप पहली पारी खेल रहे हों या फिर जीत के लिए 208 रनों का मामूली सा लक्ष्य हासिल करना हो। नतीजा ये हुआ कि रोहित शर्मा जैसे आक्रामक बल्लेबाज़ ने भी अपने स्वाभाव के विपरित खेलने की कोशिश की और टेस्ट की दोनों पारियों में मिलाकर क़रीब 100 गेंदों (59 और 30) का सामना करने के बावजूद 21 (11 और 10) रन बनाए। उनके साथ साथ दूसरे बल्लेबाज़ों ने भी यही किया जिसका असर व्यक्तिगत बल्लेबाज़ी पर भी पड़ता गया और ख़ामियाज़ा पूरी टीम को हार के साथ उठाना पड़ा।
#1 बीसीसीआई का भारत को बेहतर अभ्यास के लिए दक्षिण अफ़्रीका भेजने की जगह श्रीलंका को बुलाना
जब भी कोई टीम विदेशी दौरे पर या वैसी परिस्थितियों में क्रिकेट खेलने जाती है जो उनके माक़ूल न हो तो उसके लिए कोशिश यही रहती है कि ज़्यादा से ज़्यादा अभ्यास किया जाए। और उन परिस्थितियों में ढलने के लिए पहले ही उस देश में पहुंच जाती हैं, लेकिन भारत ने इसका ठीक उल्टा किया, बिना कोई अभ्यास मैच खेले हुए टीम इंडिया केपटाउन टेस्ट में उतरी और नतीजा सभी के सामने है। ऐसा नहीं है कि भारतीय क्रिकेट टीम के पास समय की कमी थी, श्रीलंकाई दौरे के बाद भारत को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की मेज़बानी करनी थी ये तय था लेकिन इसके बाद दक्षिण अफ़्रीका दौरे से पहले भारत पूरी तरह ख़ाली था। यही वजह है कि दक्षिण अफ़्रीका ने पहले टीम इंडिया को 4 टेस्ट मैचों के लिए बुलाने की गुज़ारिश की थी जिसकी शुरुआत 26 दिसंबर यानी बॉक्सिंग डे टेस्ट से होनी थी, लेकिन बीसीसीआई ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और इसे 5 जनवरी कर दिया। ताकि श्रीलंका को मेज़बानी के लिए बुलाया जा सके, हालांकि ये कहा गया कि इस सीरीज़ की पिचों को इस तरह तैयार किया जाएगा जो दक्षिण अफ़्रीका का अहसास दिलाएं। कोलकाता में नज़ारा कुछ वैसा रहा लेकिन उसके बाद नागपुर और दिल्ली में कुछ नहीं बदला। इतना ही नहीं अगर बीसीसीआई चाहती तो वनडे और टी20 सीरीज़ में जो खिलाड़ी नहीं खेल रहे थे और वह टेस्ट में टीम इंडिया का हिस्सा थे उन्हें दक्षिण अफ़्रीका पहले ही भेजा जा सकता था जिससे कि उन्हें थोड़ा अभ्यास हो जाता, लेकिन बीसीसीआई की ये ग़लती या अतिआत्मविश्वास का ख़ामियाज़ा केपटाउन में टीम इंडिया और खिलाड़ियों को उठाना पड़ा।