#2 भारतीय बल्लेबाज़ों का ज़रूरत से ज़्यादा रक्षात्मक रवैया
इस टेस्ट की दोनों ही पारियों में टीम इंडिया के बल्लेबाज़ों ने अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेला, सभी बल्लेबाज़ों के दिमाग़ में रन बनाने से ज़्यादा विकेट पर समय बिताना चल रहा था। जो कहीं से भी सही क़रार नहीं कहा जा सकता, ख़ास तौर से जब आप पहली पारी खेल रहे हों या फिर जीत के लिए 208 रनों का मामूली सा लक्ष्य हासिल करना हो। नतीजा ये हुआ कि रोहित शर्मा जैसे आक्रामक बल्लेबाज़ ने भी अपने स्वाभाव के विपरित खेलने की कोशिश की और टेस्ट की दोनों पारियों में मिलाकर क़रीब 100 गेंदों (59 और 30) का सामना करने के बावजूद 21 (11 और 10) रन बनाए। उनके साथ साथ दूसरे बल्लेबाज़ों ने भी यही किया जिसका असर व्यक्तिगत बल्लेबाज़ी पर भी पड़ता गया और ख़ामियाज़ा पूरी टीम को हार के साथ उठाना पड़ा।
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