अगर क्रिकेट की दुनिया में कामयाबी की बात करें तो कुछ ही टीम ऐसी हैं जो वेस्टइंडीज़ की बराबरी कर पाएगी। हांलाकि वेस्टइंडीज़ अपने आप में कोई देश नहीं है, बल्कि ये कई कैरिबियाई द्वीपों और देशों को मिलाकर एक क्रिकेट टीम तैयार की गई है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलती है। जिस तरह से इस टीम ने 1970 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक अपनी कामयाबी का परचम लहराया है, वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। इस टीम और इसके खिलाड़ियों ने कई विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं जो आज भी नहीं टूट पाए हैं। इन सब के अलावा इस टीम के साथ कई विवाद भी जुड़े हैं, हम यहां उन 5 बड़े विवादों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जो वेस्टइंडीज़ टीम से जुड़े हैं।
#5 लंदन में ही रुक जाने की घटना
वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड और वहां के खिलाड़ियों के बीच पेमेंट का विवाद आजकल आम बात है, लेकिन ये हालात हमेशा से नहीं रहे हैं। यही वजह है कि नवंबर 1998 की घटना को हमेशा याद किया जाता है, क्योंकि ये ऐसे विवाद की शुरुआत थी। वेस्टइंडीज़ को उस वक़्त दक्षिण अफ़्रीकी दौरे पर जाना था। खिलाड़ियों ने यात्रा भत्ता देने की मांग की थी जो पूरी नहीं हुई। ऐसे में टीम के कप्तान ब्रायन लारा और उप-कप्तान कार्ल हूपर की अगुवाई में सभी खिलाड़ियों ने लंदन में ही ठहरने का फ़ैसला किया, क्योंकि बिना पेमेंट उन्हें टूर पर जाना नामंज़ूर था। जवाबी कार्रवाई करते हुए ब्रायन लारा और कार्ल हूपर को बर्खास्त कर दिया। इस बात को लेकर काफ़ी बहसबाज़ी हुई। कई दिनों तक हुए विवाद के बाद इस मामले को सुलझा लिया गया। खिलाड़ियों को उनका भुगतान किया गया, लारा को फिर से कप्तान बनाया गया और टीम दक्षिण अफ़्रीका के लिए रवाना हो गई। वेस्टइंडीज़ को दक्षिण अफ़्रीका में 5-0 से टेस्ट सीरीज़ में हार का सामना करना पड़ा था।
#4 बाग़ी टीम का दक्षिण अफ़्रीकी दौरा
एक वक़्त था जब दक्षिण अफ़्रीका को उसकी रंगभेद नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर कर दिया गया था। ऐसे में दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर को अपने देश में खेलने के लिए न्योता दिया। इसके लिए ऊंची कीमत भी देने का वादा किया गया। ऐसे में 1980 के दशक में वेस्टइंडीज़ की बाग़ी टीम दक्षिण अफ़्रीकी दौरे पर क्रिकेट खेलने गई। इस दौरे में टेस्ट क्रिकेटर को 1,20,000 अमेरिकी डॉलर और बाक़ी खिलाड़ियों को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई। लॉरेंस रोवे, कोलिन क्रॉफ़्ट, सिल्वेस्टर क्लार्क और एज़रा मोसेले उन खिलाड़ियों में शामिल थे जो इस बाग़ी दौरे पर गए थे। इस घटना से वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड की काफ़ी बदनामी हुई थी।
#3 भारत का दौरा बीच में छोड़कर घर लौटे
साल 2014 की बात है जब वेस्टइंडीज़ की टीम भारत के दौरे पर आई थी। उन्हें टीम इंडिया के ख़िलाफ़ 5 वनडे, एक टी-20 और 3 टेस्ट मैच खेलने थे। वेस्टइंडीज़ ने पहला वनडे जीत लिया था, इसके बाद भारत ने दूसरा वनडे मैच अपने नाम किया था। हांलाकि इस सब के साथ ही साथ वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ी और वेस्टइंडीज़ प्लेयर एसोसिएशन के बीच विवाद भी चल रहा था, जिसका कोई समाधान नहीं निकल रहा था। दरअसल वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ियों को उनके क्रिकेट बोर्ड ने सही भुगतान नहीं किया था। ऐसे में वनडे के तत्कालीन कप्तान ड्वेन ब्रावो ने धर्मशाला वनडे के बाद स्वदेश वापस जाने का फ़ैसला किया। इस घटना से वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड का सिर शर्म से झुक गया था।
#2 जमैका में ख़ूनी खेल
1975-1976 में वेस्टइंडीज़ टीम को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ में 1-5 से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में जब टीम इंडिया वेस्टइंडीज़ के दौरे पर आई तो कैरिबियाई कप्तान क्लाइव लॉयड जीत के लिए व्याकुल हो गए। हांलाकि हर कुछ लॉयड के प्लान के हिसाब से नहीं हो पाया। टीम इंडिया ने पोर्ट ऑफ़ स्पेन में तीसरा टेस्ट 406 रन के लक्ष्य को हासिल करने के बाद जीत लिया था। अब सीरीज़ 1-1 से बराबार हो गई थी। चौथे और आख़िरी टेस्ट मैच में भारत ने पहले बल्लेबाज़ी की, ओपनर अंशुमन गायकवाड और सुनील गावस्कर ने शानदार बल्लेबाज़ी की और भारत के स्कोर को काफ़ी आगे ले गए। इसके बाद कप्तान लॉयड ने अपने तेज़ गेंदबाज़ों ख़तरनाक गेंदबाज़ी करने के निर्देश दिए। कैरिबियाई तेज़ गेंदबाज़ माइकल होल्डिंग और वेन डेनियल ने एक बाद एक बाउंसर फेंकना शुरू किया। इस दौरान कई बीमर्स भी फेंके गए। स्थानीय अंपायर्स ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया। पहला दिन ख़त्म हुआ और अब तक भारत के सिर्फ़ 1 विकेट गिरे थे। दूसरे दिन नई गेंद मिली और होल्डिंग ने फिर से बाउंसर और बीमर्स फेंकने शुरू किए। गुंडप्पा विश्वनाथ ने ऐसे बाउंसर को रोकने की कोशिश की, लेकिन गायकवाड़ ऐसे करने में नाकाम रहे। उनके बाएं कान में चोट लगी और वो मैदान से बाहर चले गए। ब्रिजेश पटेल के होठों में चोट लगी और उससे ख़ून बहने लगा, पटेल को भी ऐसे हालात में मैदान छोड़ना पड़ा। भारत ने पारी 306/6 घोषित कर दी, क्योंकि ज़्यादातर खिलाड़ी चोट का शिकार हो गए थे। हांलाकि वेस्टइंडीज़ ने ये मैच आसानी से जीत लिया था, लेकिन जीत के लिए जो हथकंडे अपनाए गए थे, वो इस टीम पर बदनुमा दाग़ लगा गए।
#1 क्रिकेट इतिहास का दूसरा सबसे विवादित दौरा
इंग्लैंड ने साल 1953-54 में वेस्टइंडीज़ का दौरा किया था। विज़डन पत्रिका के मुताबिक ये क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादित दौरे में से एक था। विश्व में राजनीतिक बदलाव की वजह से कैरिबियाई द्वीप भी ब्रिटिश कॉमनवेल्थ से आज़ादी चाहते थे। ऐसे हालात में इंग्लैंड की टीम वेस्टइंडीज़ के दौरे पर पहुंची। कैरिबियाई देशों की सफ़ेद जनता ये चाह रही थी कि इंग्लैंड की टीम वेस्टइंडीज़ को हरा दे। ऐसे में पर्यटकों और स्थनीय लोगों में विवाद पैदा हो गया। इंग्लैंड के कप्तान लेन हटन ने वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ियों के साथ घुलने-मिलने से इंकार कर दिया। जिसकी वजह से क्रिकेट के लिए एक बुरा संदेश गया। स्थानीय अंपायर ने जमैका के खिलाड़ी जेके होल्ट को LBW आउट दे दिया जिसकी वजह से काफ़ी विवाद हुआ। इसके अलावा एक रन आउट के फ़ैसले से स्टेडियम के स्टैंड्स में दंगा भड़क गया। दर्शक पिच पर बोतल फेंकने लगे, इसकी वजह से खेल कुछ देर तक रुका रहा। जब खेल शुरू हुआ तो चकिंग के आरोप में इंग्लैंड के स्पिनर की गेंद को नो बॉल दिया दिया। इस मैच में हर गेंद के साथ तनाव बढ़ता जा रहा था। सबसे बड़ी घटना तब हुई जब लेन हटन ने जमैका के मुख्यमंत्री एलेग्ज़ेंडर बुस्टामान्टे की बधाई स्वीकार करने से इंकार कर दिया और ड्रेसिंग रूम की तरफ़ रवाना हो गए। इस मैच के बाद इंग्लैंड टीम के मैनेजर चार्ल्ड पामर पर हमला भी किया गया। यही वजह रही कि ये क्रिकेट इतिहास का एक सबसे विवादित दौरा बन गया। लेखक- सोहम समद्दर अनुवादक- शारिक़ुल होदा