वेस्टइंडीज़ क्रिकेट इतिहास से जुड़े 5 सबसे बड़े विवादों पर एक नज़र

#2 जमैका में ख़ूनी खेल

1975-1976 में वेस्टइंडीज़ टीम को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ में 1-5 से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में जब टीम इंडिया वेस्टइंडीज़ के दौरे पर आई तो कैरिबियाई कप्तान क्लाइव लॉयड जीत के लिए व्याकुल हो गए। हांलाकि हर कुछ लॉयड के प्लान के हिसाब से नहीं हो पाया। टीम इंडिया ने पोर्ट ऑफ़ स्पेन में तीसरा टेस्ट 406 रन के लक्ष्य को हासिल करने के बाद जीत लिया था। अब सीरीज़ 1-1 से बराबार हो गई थी। चौथे और आख़िरी टेस्ट मैच में भारत ने पहले बल्लेबाज़ी की, ओपनर अंशुमन गायकवाड और सुनील गावस्कर ने शानदार बल्लेबाज़ी की और भारत के स्कोर को काफ़ी आगे ले गए। इसके बाद कप्तान लॉयड ने अपने तेज़ गेंदबाज़ों ख़तरनाक गेंदबाज़ी करने के निर्देश दिए। कैरिबियाई तेज़ गेंदबाज़ माइकल होल्डिंग और वेन डेनियल ने एक बाद एक बाउंसर फेंकना शुरू किया। इस दौरान कई बीमर्स भी फेंके गए। स्थानीय अंपायर्स ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया। पहला दिन ख़त्म हुआ और अब तक भारत के सिर्फ़ 1 विकेट गिरे थे। दूसरे दिन नई गेंद मिली और होल्डिंग ने फिर से बाउंसर और बीमर्स फेंकने शुरू किए। गुंडप्पा विश्वनाथ ने ऐसे बाउंसर को रोकने की कोशिश की, लेकिन गायकवाड़ ऐसे करने में नाकाम रहे। उनके बाएं कान में चोट लगी और वो मैदान से बाहर चले गए। ब्रिजेश पटेल के होठों में चोट लगी और उससे ख़ून बहने लगा, पटेल को भी ऐसे हालात में मैदान छोड़ना पड़ा। भारत ने पारी 306/6 घोषित कर दी, क्योंकि ज़्यादातर खिलाड़ी चोट का शिकार हो गए थे। हांलाकि वेस्टइंडीज़ ने ये मैच आसानी से जीत लिया था, लेकिन जीत के लिए जो हथकंडे अपनाए गए थे, वो इस टीम पर बदनुमा दाग़ लगा गए।