एकदिवसीय क्रिकेट में मौके़े जब एसोसिएट देशों से हार गई क्रिकेट की दिग्गज टीमें

क्रिकेट के खेल में कब कौनसी टीम किस पर हावी हो जाए कहा नहीं जा सकता है। क्रिकेट जगत में ऐसे कई मुकाबले देखे गए हैं जब बरसों के क्रिकेट खेलने वाले देशों को छोटी टीमें भी मामुली अंतर से हार का स्वाद चखा देखी है। आइए यहां जानते हैं ऐसे ही पांच मुकाबलों के बारे में जब एसोसिएट देशों की टीमों ने बड़ी टीमों को मात दी।

#5 स्कॉटलैंड बनाम इंग्लैंड (2018)

इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए एकमात्र वनडे मैच में मेजबान स्कॉटलैंड ने इंग्लैंड को 6 रन से हरा दिया। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करने उतरी स्कॉटलैंड ने मेहमान टीम को 372 रन का लक्ष्य दिया था। इंग्लिश टीम 7 बॉल शेष रहते 365 रन पर ही ऑलआउट हो गई। एकदिवसीय इंटरनेशनल क्रिकेट में इंग्लैंड के खिलाफ यह स्कॉटलैंड की पहली जीत थी, जबकि वह 5वीं बार इंग्लैंड के खिलाफ मैच खेल रही थी। स्कॉटलैंड के लिए कैलम मैक्लॉयड ने सबसे ज्यादा 94 बॉल पर नाबाद 140 रन बनाए। मैक्लॉयड ने अपनी इस शानदार पारी में 3 छक्के और 16 चौके जड़े थे। मैक्लॉयड के अलावा गेंदबाज़ी में स्कॉटलैंड के लिए मार्क वाट ने अहम रोल अदा किया। उन्होंने 10 ओवर में 55 रन देकर 3 विकेट लिए।

#4 आयरलैंड बनाम पाकिस्तान (2007)

आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप क्रिकेट खेलने वाले देशों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता है। क्रिकेट वर्ल्ड कप के सामने बाकी सारी खबरें फीकीं रहती हैं। हालांकि साल 2007 का विश्व कप पाकिस्तान के लिए एक बुरे सपने के समान रहा। इस विश्व कप में पाकिस्तान की टीम छोटी सी टीम से हारकर सुपर आठ में भी नहीं पहुंच पाई थी। हालांकि यह विश्व कप पाकिस्तान के उस वक्त के कोच बॉब वूल्मर की मौत के कारण भी काफी चर्चा में रहा। हालांकि कोच की मौत से पहले पाकिस्तान ने आयरलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मुकाबला खेला था, जिसमें पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था। आयरलैंड ने पाकिस्तान को इस अहम मुकाबले में 3 विकेट से हराया था। बारिश से बाधित इस मैच को डकवर्थ लुईस के आधार पर आयरलैंड ने जीता। इस मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान टीम 132 रन पर सिमट गई थी। जवाब में आयरलैंड ने सात विकेट के नुकसान पर 133 रन बनाकर मैच जीत लिया था।

#3 केन्या बनाम श्रीलंका (2003)

एक समय था जब केन्या जैसी टीम वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंच गई थी। साउथ अफ्रीका में 2003 में खेले गए वर्ल्ड कप में केन्या ने पूर्व विश्व विजेता श्रीलंका जैसी टीम को भी हरा दिया था और केन्या ने इस वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मुकाबला खेला था। टूर्नामेंट के 26वें मैच में केन्या ने बड़ा उलटफेर करते हुए श्रीलंका को हरा दिया था। केन्या ने 53 रन से यह मुकाबला जीता था। पहले बल्लेबाजी करते हुए केन्या ने नौ विकेट पर 210 रन बनाए थे, जवाब में श्रीलंका की पूरी टीम 157 रन पर ही सिमट गई थी। इस मैच में केन्या के गेंदबाज ओबुया ने 24 रन पर 5 विकेट लिए थे. हालांकि केन्या ने अपना सेमीफाइनल मुकाबला भारत के खिलाफ खेला और टीम इंडिया ने सेमीफाइनल में केन्या की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था और भारत ने मुकाबला जीत लिया था।

#2 केन्या बनाम वेस्टइंडीज़ (1996)

2003 के विश्व कप से पहले भी केन्या क्रिकेट जगत में कई उटफेर कर चुकी है। केन्या को क्रिकेट जगत की कमजोर टीमों में माना जाता है। ऐसे में साल 1996 को केन्या ने विश्व कप इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर किया था। 1996 विश्व कप भारत में खेला गया था। पुणे में खेले गए मैच में केन्या ने दो बार की चैंपियन टीम को 73 रन से परास्त कर क्रिकेट जगत में तहलका मचा दिया था। इस मुकाबले में केन्या ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 166 रन बनाए थे। कोर्टनी वाल्श और रोजर हार्पर ने तीन-तीन विकेट चटकाए थे। वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीम के लिए यह लक्ष्य बहुत मामूली थी, लेकिन केन्याई गेंदबाजों ने इस मामूली स्कोर को भी अपनी गेंदबाजी के चलते पहाड़ जैसा बना दिया। केन्या ने वेस्टइंडीज को 93 रन पर ही ढेर कर बड़ा उलटफेर कर दिया था। केन्या की जीत में रजब अली और मॉरिस ओडुंबे ने अहम भूमिका निभाई। रजब अली और मॉरिस ओडुंबे ने तीन-तीन विकेट हासिल किए। उस दौर में वेस्टइंडीज की टीम में ब्रायन लारा, शिवनारायण चंद्रपॉल, कर्टली एम्ब्रोस और कोर्टनी वाल्श जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे लेकिन फिर भी टीम हार गई। वेस्टइंडीज को कोई भी बल्लेबाज 20 रन से ज्यादा का स्कोर नहीं बना सका था। इसके साथ ही यह पहला मौका था जब वेस्टइंडीज की टीम किसी आधिकारिक मैच में एक आईसीसी एसोसिएट टीम से हार गई थी।

#1 जिम्बाब्वे बनाम ऑस्ट्रेलिया (1983)

साल 1983 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे जैसी छोटी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया था। जिम्बाब्वे के कप्तान डंकन फ्लेचर ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को अपने ऑलराउंड खेल से चारों खाने चित्त कर दिया था। इस मैच में पूर्व जिम्बाब्वे कप्तान और टीम इंडिया के कोच रह चुके डंकन फ्लेचर ने 69 रनों की पारी खेली थी और गेंदबाजी के दौरान 42 रन देकर चार विकेट भी झटके थे। यह मैच इसलिए भी खास रहा क्योंकि इस मैच को जीतने के साथ ही जिम्बाब्वे ने वनडे क्रिकेट इतिहास में अपनी पहली जीत दर्ज की थी। जीत भी कोई ऐसी वैसी नहीं बल्कि उस समय की सबसे मजबूत टीमों में शुमार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसने पहली जीत हासिल की थी। उस दौरान वनडे क्रिकेट में 60 ओवर होते थे। तब जिम्बाब्वे ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 239 रन बनाए, जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम 60 ओवर में सात विकेट पर 226 रन ही बना सकी। इस मुकाबले को जिम्बाब्वे ने 13 रनों से जीत लिया था। लेखक: राम कुमार अनुवादक: हिमांशु कोठारी

Edited by Staff Editor
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