क्रिकेट एक ऐसा खेला है जिसमें 2 देशों की टीम के बीच कड़े मुकाबले होते हैं। इस खेल का सबसे बड़ा ट्रॉफी विश्व कप है, क्रिकेट खेलने वाली हर टीम इसे जीतने के लिए हर संभव कोशिश करती है। लेकिन इन सबके अलावा क्रिकेट में दो देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज का भी एक अलग महत्व है। क्योंकि टूर्नामेंट की बजाय टीमें द्विपक्षीय सीरीज ज्यादा खेलती हैं। इसलिए इसमें नाक की लड़ाई काफी ज्यादा होती है। क्रिकेट शुरु होने से लेकर अब तक कई ऐसी द्विपक्षीय श्रृंखलाएं हुई हैं, जिसे जीतने के लिए दोनों देशों ने हर तरकीब का सहारा लिया। मैदान पर ये रोमांच देखते ही बनता है। इनमें से कुछ सीरीज वर्ल्ड क्रिकेट में काफी मशहूर हैं। आइए आपको बताते हैं क्रिकेट की सबसे मशहूर 5 द्विपक्षीय ट्रॉफियों के बारे में 1.वॉर्न-मुरली ट्रॉफी इस ट्रॉफी का नाम इन देशों के 2 दिग्गज स्पिनरों मुथैया मुरलीधरन और शेन वॉर्न के नाम पर रखा गया है। श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच जो भी टेस्ट सीरीज खेली जाती है वो इसी नाम के तहत खेली जाती है। मुरलीधरन और शेन वॉर्न दुनिया में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में पहले 2 नंबरों पर हैं। मुरलीधरन के नाम वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट का रिकॉर्ड है, वहीं शेन वॉर्न दूसरे नंबर पर हैं। 2007 में ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच टेस्ट क्रिकेट के 25 साल पूरे होने के मौके पर इस सीरीज का नाम वॉर्न-मुरली ट्रॉफी रखा गया था। 2007 से लेकर अब तक 4 बार ये सीरीज खेली जा चुकी है, जिसमें 2 बार ऑस्ट्रेलिय़ा ने और 2 बार श्रीलंका ने इस सीरीज की मेजबानी की है। अब तक इस सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई टीम का पलड़ा भारी रहा है, कंगारू टीम ने वॉर्न-मुरली ट्रॉफी की पहली 3 श्रृंखलाएं बिना कोई मैच गंवाए अपने नाम की। लेकिन 2016 में जब श्रीलंकाई टीम ने इस सीरीज को होस्ट किया तो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 3-0 से व्हाइटवाश कर दिया और श्रृंखला अपने नाम की। वर्ल्ड क्रिकेट में वॉर्न और मुरली के योगदान को देखते हुए ये ट्रॉफी काफी मायने रखती है। वॉर्न और मुरली दोनों अपने जमाने के दिग्गज स्पिनर रहे हैं। 2. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जो टेस्ट सीरीज खेली जाती है, उसका नाम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी होता है। एलन बॉर्डर ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज खिलाड़ी थे वही सुनील गावस्कर भारत के महान क्रिकेटर थे। दोनों ने ही अपने जमाने में काफी बेहतरीन क्रिकेट खेली है और टेस्ट मैचों में अपने-अपनी टीमों की कप्तानी भी कर चुके हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जब भी कोई टेस्ट सीरीज संपन्न होती है तो दोनों ही दिग्गज उस समय मौजूद रहते हैं और विजेता टीम को अपने हाथ से ट्रॉफी देते हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की पहली सीरीज 1996-1997 में खेली गई थी। भारत ने तब इस सीरीज की मेजबानी की थी सीरीज में जीत हासिल की थी। भारत ने तब सीरीज का एक मैच जीता था। इस सीरीज में 2, 3 या 4 टेस्ट मैच खेले जाते हैं। लेकिन हाल ही में इसे 4 टेस्ट मैचों की सीरीज कर दिया गया है। बारी-बारी से दोनों देशों इसकी मेजबानी करते हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अब तक सबसे ज्यादा बार भारतीय टीम के पास रही है, भारतीय टीम ने इस ट्रॉफी की 6 श्रृंखलाएं जीती हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 5 बार ये सीरीज अपने नाम की है, वहीं एक बार सीरीज ड्रॉ रही थी। अभी ये ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया के पास है। 2014-15 में खेली गई सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 2-0 से हराया था। 3. एंथोनी डी मेलो/पटौदी ट्रॉफी भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही में 5 टेस्ट मैचों की श्रृंखला संपन्न हुई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सीरीज 2 नामों से खेली जाती है। ये नाम है एंथोनी डी मेलो और पटौदी ट्रॉफी। 1951 से ही एंथोनी डी मेलो ट्रॉफी उस टीम को मिलती है जो भारत में टेस्ट सीरीज जीतता है , वहीं 2007 में जब इन दोनों देशों के बीच क्रिकेट मुकाबले के 75 साल पूरे हुए तो इंग्लैंड में जीतने वाली टीम को पटौदी ट्रॉफी देने का ऐलान किया गया। एंथोनी डी मेलो भारत के क्रिकेट प्रशासक थे और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के संस्थापकों में से एक थे। पटौदी ट्रॉफी का नाम प्रतिष्ठित पटौदी परिवार के नाम पर पड़ा। इफ्तिखार अली खान पटौदी ने भारत और इंग्लैंड दोनों देशों के लिए क्रिकेट खेला था, वहीं उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी ने 1960 से लेकर 1970 तक भारतीय टीम की कप्तानी की । 2014 की टेस्ट श्रृंखला में इंग्लैंड की टीम ने भारत को 3-1 से हराया था, जिसकी वजह से पटौदी ट्रॉफी इंग्लैंड के पास है, वहीं एंथोनी डी मेलो ट्रॉफी भारतीय टीम के पास है। भारतीय टीम ने हाल ही में 5 मैचों के घरेलू टेस्ट सीरीज में इंग्लिश टीम को 4-0 से मात दी। 4. चैपल-हेडली ट्रॉफी चैपल-हैडली ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एकदिवसीय श्रृंखला के लिए होती है। इस ट्रॉफी का नाम दोनों देशों के 2 मशहूर क्रिकेट परिवारों के नाम पर पड़ा। इयान चैपल, ग्रेग चैपल और ट्रेवर चैपल ऑस्ट्रेलियाई टीम के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं वहीं वॉल्टर हैडली, और उनके 3 बेटे बैरी हैडली, डेल हैडली और रिचर्ड हैडली न्यूजीलैंड के दिग्गज क्रिकेटर रहे हैं। 2004 से लेकर 2009 के बीच ये सीरीज हर साल होती थी जिसके तहत 3 एकदिवसीय मैच खेले जाते थे। इस ट्रॉफी का पहला सीरीज 1-1 से ड्रॉ रहा था। 2011 और 2015 के वर्ल्ड कप में भी इन दोनों टीमों के बीच जो 2 लीग मैच खेले गए वो इसी नाम के तहत खेले गए। हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इस सीरीज की मेजबानी की और 3 मैचों की श्रृंखला में न्यूजीलैंड को क्लीन स्वीप कर दिया। इसके अलावा ये दोनों टीमें ट्रैंस-टैसमैन ट्रॉफी के तहत टेस्ट सीरीज खेलती हैं। 5. द् एशेज क्रिकेट के इतिहास में सबसे पुरानी प्रतिद्वंदी टीम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की है। क्रिकेट इतिहास का पहला टेस्ट मैच भी इन्ही दोनों टीमों के बीच खेला गया था। जब भी ये दोनों टीमें टेस्ट क्रिकेट में आपस में टकराती हैं तो उस सीरीज का नाम एशेज सीरीज होता है। एशेज श्रृंखला जीतने वाली टीम को एक छोटी सी ट्रॉफी दी जाती है, जिसमें लकड़ियों की गिल्ली की जली हुई राख होती है। एशेज सीरीज 5 मैचों की श्रृंखला होती है जो हर 4 साल में खेली जाती है। एक-एक बार दोनों टीमें इस प्रतिष्ठिति सीरीज की मेजबानी करती हैं। सालों से इस सीरीज ने दर्शकों में काफी रोमांच पैदा किया है। इन दो दिग्गज टीमों के बीच एशेज सीरीज में मुकाबला काफी कांटेदार होता है। दोनों ही देशों के हर क्रिकेटर का यही सपना होता है कि वो अपनी टीम की तरफ से एशेज सीरीज में खेले। वहीं इस सीरीज में किए गए प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों के भविष्य के करियर की दिशा और दशा तय होती है। पहली अफीशियल एशेज सीरीज 1882-83 में खेली गई थी। तब से लेकर अब तक दोनों ही टीमें 32 बार इस श्रृंखला को जीत चुकी हैं, जबकि 5 सीरीज ड्रॉ रहे। अभी ये प्रतिष्ठित ट्रॉफी इंग्लैंड के पास है, इंग्लिश टीम ने अपनी मेजबानी में खेली गई श्रृंखला में ऑस्ट्रेलियाई टीम को 3-2 से मात दी थी।