क्रिकेट जगत में बल्लेबाज की सरहाना गेंदबाज से ज्यादा की जाती है लेकिन गेंदबाज अपनी नए गेंदबाजी तरीकों से दर्शकों को लुभाने में कामयाब हो जाता है। एक गेंदबाज के लिए एक मैच में अपनी छाप छोड़ने के लिए बहुत से मौके होते हैं और उन मौकों को वह अलग प्रकार की गेंदबाजी करके हासिल कर पाता है। क्रिकेट इतिहास में कई दिग्गज गेंदबाजों ने बेहतरीन गेंदबाजी कर अनेकों अनोखे रिकॉर्ड प्राप्त किये लेकिन कुछ ऐसे भी गेंदबाज रहे, जिन्होंने गेंदबाजी की कला को नए रूप दिए। आईये नजर डालते है ऐसे ही गेंदबाजों पर जिन्होंने क्रिकेट में गेंदबाजी की परिभाषा को अपने नए प्रयोग करके बदल दिया और उसमे महारथ हासिल की।
शॉन पोलक ( स्लो बाउंसर )
दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज तेज गेंदबाज शॉन पोलक ने 90 के दशक में अपनी तेज गेंदबाजी में गति कम होने के कारण स्लो बाउंसर का इस्तेमाल किया। उनके द्वारा की गई यह गेंद बहुत कारगर साबित हुई और वर्तमान समय में टी20 क्रिकेट में इस गेंद का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। यह गेंद बिना एक्शन बदले की जाती है लेकिन तेज बाउंसर गेंद की बजाय स्लो बाउंसर कर दिया जाता है। बल्लेबाज को यह गेंद समझने में परेशानी होती है और शॉट खेलने के चक्कर में वह अपना विकेट गवां देते हैं।सक़लैन मुश्ताक ( दूसरा )
पाकिस्तान के दिग्गज स्पिनर गेंदबाज रहे सकलैन मुश्ताक ने 'दूसरा गेंद' को पहली बार क्रिकेट से परिचय कराया। दूसरा गेंद क्रिकेट में ऑफ स्पिनर द्वारा फेकी जाती है। यह गेंद ऑफ ब्रेक की विपरीत दिशा में देखने को मिलती है। सकलैन मुश्ताक की इस गेंद के बाद क्रिकेट जगत में दिग्गज स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन, हरभजन सिंह और जोहान बोथा ने इस्तेमाल किया और उनके लिए भी यह प्रयोग काफी कारगर साबित हुआ। यह गेंद किसी भी बल्लेबाज के लिए समझना और किसी भी ऑफ स्पिनर के लिए सीखना सबसे मुश्किल माना गया है।
ज़हीर खान ( नक्कल गेंद )
भारतीय टीम के सबसे सफल गेंदबाज ज़हीर खान ने तेज गेंदबाजों के लिए 'नक्कल गेंद' की खोज की। नक्कल गेंद को फेकने के लिए गेंद को अलग तरह से पकड़ना होता है। आमतौर पर एक तेज गेंदबाज गेंद को सीम पर दो अँगुलियों से पकड़कर फेकता है लेकिन नक्कल गेंद को फेकते समय सभी अँगुलियों को मोड़ कर नाखूनों से ग्रिप बना कर पकड़ना होता है। इस ग्रिप के कारण गेंद तेजी से जाने की बजाय धीमा जाती है और बल्लेबाज को समझने में मुश्किलें आती है। ज़हीर खान ने पहली बार इस नक्कल गेंद का इस्तेमाल 2011 विश्वकप के क्वार्टरफाइनल में किया था। उनके द्वारा की गई नक्कल गेंद से माइक हसी चकमा खाकर बोल्ड हो गए और भारत ने मैच जीतते हुए सेमीफाइनल में प्रवेश किया। वर्तमान समय में नक्कल गेंद का इस्तेमाल सबसे ज्यादा टी20 क्रिकेट में किया जा रहा है।
अजंता मेंडिस ( कैरम बॉल )
भारत और श्रीलंका के बीच 2008 एशिया कप फाइनल में श्रीलंका के युवा स्पिनर अजंता मेंडिस की घातक गेंदबाजी के आगे भारतीय टीम को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा था। मेंडिस की इस घातक गेंदबाजी में 'कैरम गेंद' का सबसे अहम किरदार रहा। उनके द्वारा की गई कैरम गेंद से सभी बल्लेबाज चकमा खा जाते है और आसानी से अपना विकेट दे देते हैं। उन्होंने अपनी इस गेंद से अपने शुरूआती करियर में काफी नाम हासिल किया। मेंडिस के बाद इस गेंद का इस्तेमाल सबसे ज्यादा वर्तमान समय भारतीय टीम के ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन करते हुए नजर आते हैं।
लसिथ मलिंगा ( स्लो यॉर्कर )
श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के दिग्गज गेंदबाज और यॉर्कर विशेषज्ञ लसिथ मलिंगा ने अपने शुरुआती करियर में तेज यॉर्कर गेंद से बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें पैदा की लेकिन ढलती उम्र के साथ उनकी गति में गिरावट आने के कारण, उन्होंने अपनी यॉर्कर गेंद को नहीं छोड़ा। इस बार उन्होंने तेज गति से यॉर्कर गेंद के बदले 'स्लो यॉर्कर गेंद' का इजाद किया, जिसको पढ़ने में बेहतरीन बल्लेबाज भी चकमा खा जाता है। मलिंगा द्वारा की गई स्लो यॉर्कर टी20 क्रिकेट में एक नई खोज साबित हुई। मलिंगा के अलावा इस गेंद को भारत के जसप्रीत बुमराह करते हुए नजर आते हैं।