5 गेंदबाज़ जिन्होंने अपने अंतिम टेस्ट में सर्वाधिक विकेट लिए थे

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टेस्ट क्रिकेट खेल का सबसे मूल प्रारूप है और एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमें सभी खिलाड़ी सफलता के उच्चतम स्तर को हासिल करने की आकांक्षा रखते हैं। टी20 और एकदिवसीय प्रारूप के विपरीत, यह गेंदबाजों का खेल है जो टेस्ट फॉर्मेट में आपको मैच जीताते हैं, जब तक कि कोई टीम एक मैच में 20 विकेट नहीं ले पाती है, तब तक कोई रास्ता नहीं है कि परिणाम उनके पक्ष में जाएंगे चाहे बल्लेबाजों का कितना भी वर्चस्व रहे। खेल के इस सबसे लंबे प्रारूप ने कई चैंपियन गेंदबाजों को अपने दिग्गज करियर के साथ शोभा बढ़ाते हुए देखा है, लेकिन कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो अपने करियर के आखिरी भाग में कुछ खास नहीं कर पाये, जबकि कुछ ऐसे गेंदबाज़ भी हैं जिनका करियर उतना यादगार नहीं होने के बावजूद उच्च स्तर के प्रदर्शन के साथ इस खेल को अलविदा कहा। आइए 5 गेंदबाजों पर नजर डालें जिन्होंने अपने अंतिम टेस्ट मैच में सर्वाधिक विकेट लिए। इस सूची में अप्रत्याशित रूप से आपको कुछ अपरिचित नामों का वर्चस्व भी देखने को मिलेगा:

#5 कॉलिन ब्लीथ (इंग्लैंड) - 10/104 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, केपटाउन 1910

20वीं शताब्दी की शुरुआत से पहले विश्व युद्ध तक - क्रिकेट के स्वर्णिम युग के रूप में संदर्भित - कॉलिन ब्लीथ ने इंग्लैंड और केंट दोनों के लिए उल्लेखनीय सफलता का अनुभव किया, उन्हें युग के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक माना जाता है। एक धीमी गति के बाएं हाथ के गेंदबाज जो वायु के माध्यम से बेहद आक्रामक था, ब्लीथ ने 2000 से ज्यादा प्रथम श्रेणी विकेटों को अपने नाम किया और प्रथम श्रेणी मैच में एक दिन में 17 विकेट अपने नाम कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। हालांकि इंग्लैंड के लिए उनका करियर केवल 19 टेस्ट तक सीमित रह गया था, ब्लीथ ने उस दौरान 100 विकेट लिए जिसमें 4 बार 10 विकेट लेने का कारनामा भी किया, इसमें मार्च 1910 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उनका अंतिम टेस्ट मैच भी शामिल है। मेजबान ने 5 टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले 4 मैचों में से 3 जीतकर सीरीज़ पर कब्ज़ा कर चुके थे लेकिन इंग्लैंड ने 9 विकेट से श्रृंखला का अंतिम मैच जीतकर एक अच्छी छाप छोड़ दी थी, साथ ही ब्लीथ इस मैच में विजेता के रूप में उभर कर सामने आये थे। इंग्लैंड के पहली पारी में 417 रन का स्कोर खड़ा करने के बाद, ब्लीथ ने 18 ओवरों में ही दक्षिण अफ़्रीका के 7 विकेट झटक कर तहस नहस कर दिया और मेजबान टीम 103 रन पर सिमट गयी। इंग्लैंड के कप्तान फ्रेडरिक फाने ने फॉलो ऑन देने का विकल्प चुना और ब्लीथ ने दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी में 3 और विकेट लिए और 10/104 के आंकड़े के साथ मैच को समाप्त किया। इंग्लैंड ने एकमात्र विकेट खोकर जीत के लिए आवश्यक 16 रन बनाए और उनके बेहतरीन प्रदर्शन के बाद केपटाउन टेस्ट इंग्लैंड के लिए ब्लीथ का अंतिम टेस्ट साबित हुआ। वह केंट के लिए 1914 में खेले, लेकिन तीन साल बाद उनकी असामयिक मौत हो गई, वह प्रथम विश्व युद्ध में युद्ध के दौरान मारे गए थे।

#4 चार्ल्स मैरिएट (इंग्लैंड) - 11/96 बनाम वेस्टइंडीज़, ओवल 1933

Charles Marriott

खेल के इतिहास में सबसे बड़ा एक-टेस्ट का चमत्कार माना जाता है चार्ल्स मैरिएट को माना जाता है, जिनका इंग्लैंड के लिए करियर 1933 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच में 11 विकेट लेने के बावजूद सिर्फ एक टेस्ट तक ही सीमित था जो हमेशा एक रहस्य रह जाएगा। किसी और गेंदबाज ने अपने एक और एकमात्र टेस्ट मैचों में 7 से अधिक विकेट लेने में कामयाबी नहीं हासिल की है और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंग्लैंड को वेस्टइंडीज पर दो दिन शेष रहते हुए एक पारी और 17 रन से जीत दिलाने में मदद देने वाला खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम के साथ आगे नहीं खेल पाए। मैरिएट ने पहली पारी में 37 रन देकर 5 विकेट और दूसरे पारी में 59 रन पर 6 विकेट लिए थे। मेजबान टीम ने 3 टेस्ट मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से जीती थी, लेकिन इसके बाद मैरिएट फिर इंग्लैंड के लिए नहीं खेले। हालांकि उन्हें दक्षिण अफ्रीका और भारत दोनों के साथ होने वाले दौरों में चुना गया था लेकिन उन्हें इंग्लैंड के लिए प्लेइंग-XI में शामिल नहीं किया गया था। तथ्य यह है कि 38 वर्ष की उम्र में उनकी इंग्लैंड की तरफ से शुरुआत हुई थी, एक कारण यह हो सकता है कि उन्हें बाद में राष्ट्रीय कर्तव्यों के लिए नहीं चुना गया था, लेकिन उनकी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनरों में से एक के रूप में मैरियट के लिए संभावनाएं जरूर थी, खासकर एक ऐसे युग में जहां खिलाड़ियों ने 40 की उम्र तक खेल को जारी रखा हुआ था।

#3 क्लेरी ग्रिमेट (ऑस्ट्रेलिया) - 13/173 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, डरबन 1936

grimett

न्यूजीलैंड की हार ऑस्ट्रेलिया के लिे फायदेमंद साबित हुई क्योंकि क्लेरी ग्रिमेट ने 17 साल की उम्र में वेलिंग्टन के लिए अपना प्रथम श्रेणी का पदार्पण करने के बाद तस्मानिया से सिडनी और फिर मेलबर्न पर बदलाव कर दिया। लेग स्पिन जादूगर ने ऑस्ट्रेलिया में अपने घरेलू करियर की शुरुआत धीमी की थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ आनंद लेते हुए सिर्फ 37 टेस्ट मैचों में 216 विकेट चटकाए थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सिर्फ 10 मैचों में 77 विकेट के साथ, जिसमें एक मैच वह भी शामिल था, जिसमें उन्होंने एक भी गेंद नहीं डाली थी, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका की दोनों पारियां सिर्फ 36 और 45 रन पर सिमट गयी थी। ग्रिमेट दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सबसे खतरनाक होते थे और उन्होंने अपने आखिरी टेस्ट में बेस्ट देते हुए 44 साल की उम्र में 13 विकेट हासिल किए थे। ग्रिमेट की 7/100 की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने डरबन में 1935/36 के दौरे में दक्षिण अफ्रीका को पांचवें और अंतिम टेस्ट में 222 रन पर समेट दिया और बाद में 233 रनों की बढ़त हासिल करने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर से ग्रिमेट का सहारा लिया। ग्रिमेट ने दक्षिण अफ्रीका के दूसरी पारी में 48 ओवरों में सिर्फ 73 रन देकर 6 और विकेट झटक लिये।

#2 जेजे फ़ेरिस (इंग्लैंड) - 13/91 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, केपटाउन 1892

jj feriss

एक से अधिक देशों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले कुछ खिलाड़ियों में से एक, जेजे फेरिस एक खौफनाक बाएं हाथ के स्विंग गेंदबाज थे, जिन्होने सिर्फ 9 टेस्ट में 12.70 की एक शानदार औसत से 61 विकेट झटके थे। 50 से अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाजों के लिए इतिहास का ये दूसरा सबसे शानदार आंकड़ा है। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में जन्मे फेरिस ने टेस्ट करियर के पहले 8 मैच अपने देश के लिए खेले, इसके बाद इंग्लैंड में बस गए। उन्होंने अपने दत्तक देश के लिए केवल एक टेस्ट खेला, लेकिन यह टेस्ट उनके लिए यादगार बन गया, 13 विकेट झटक कर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को दोनों पारियों में 97 और 83 रनों पर ऑलआउट कर दिया। इंग्लैंड ने 369 रन बनाए थे, और मैच को एक पारी और 189 रन से जीत लिया। उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के बावजूद, फेरिस के क्रिकेट करियर को सिर्फ ग्लॉस्टरशायर और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए प्रतिबंधित किया गया था और बोयर युद्ध के दौरान उन्हें आतों में बुख़ार की शिकायत हो गई थी, जिसके बाद सिर्फ 33 वर्ष की आयु में उनकी आसमयिक मृत्यु हो गई। उस समय वह ब्रिटिश सेना के साथ काम कर रहे थे।

#1 सिडनी बार्न्स (इंग्लैंड) - 14/144 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, डरबन 1914

Sydney Barnes

"गेंदबाजी का ब्रेडमैन" के रूप में पहचान हासिल रखने वाले सिडनी बार्न्स खेल के इतिहास में सबसे महान गेंदबाजों में से एक हैं और केवल 24 टेस्ट मैचों में सबसे तेजी से 150 टेस्ट विकेट लेने की इस उपलब्धि को हासिल करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। बार्न्स के पास बहुत देर तक गेंद को स्विंग करने की क्षमता थी और साथ ही गेंद को लेग से ऑफ में ले जाने वाली स्पिनरों की कला भी उनमें थी। बार्न्स ने उम्र के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हुए 1911/12 एशेज सीरीज के दौरान 5 मैचों में 34 विकेट झटक कर सीरीज को सुरक्षित करने में मुख्य भूमिका निभायी। बार्न्स के टेस्ट करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपनी अंतिम श्रृंखला में आया था, जहां उन्होंने 4 मैचों में शानदार 49 विकेट लिए थे, जो अब तक किसी टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड है। दक्षिण अफ्रीका के पास बार्न्स का कोई जवाब नहीं था जिस वजह से उन्होंने नियमित रूप से अपने बल्लेबाजी लाइन-अप को तैयार किया था। उन्होंने 1913/14 में इंग्लैंड के दक्षिण अफ्रीका दौरे के चौथे टेस्ट के दौरान 7/56 और 7/88 विकेट चटका कर मेजबान खिलाड़ियों को तहस नहस कर दिया। हालांकि इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड के साथ वित्तीय असहमति के कारण उन्होंने अंतिम टेस्ट में खेलने से मना कर दिया था। डरबन टेस्ट, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बार्न्स का फाइनल मैच साबित हो गया क्योंकि जल्द ही पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया। लेखक- प्रांजल मेक अनुवादक- सौम्या तिवारी

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