किसी भी खिलाड़ी के लिए टेस्ट कैप हासिल करना बहुत ही मुश्किल होता है। अपने पहले टेस्ट मैच में अच्छा प्रदर्शन करना एक बड़ी चुनौती होती है। कुछ गेंदबाज़ों ने अपने पहले टेस्ट मैच ऐसा प्रदर्शन किया कि सबको अपना फ़ैन बना लिया। यहां हम उन 5 गेंदबाज़ों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने पहले ही टेस्ट मैच में सबसे ज़्यादा विकेट हासिल किए हैं। इस फ़ेहरिस्त को तैयार करते वक़्त एक मैच की दोनों पारियों के प्रदर्शन को गिना गया है। 7 गेंदबाज़ ऐसे हैं जिन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच में 11+ विकेट हासिल किए हैं लेकिन यहां हम सिर्फ़ उस गेंदबाज़ को शामिल कर रहे हैं जिन्होंने सबसे कम रन दिए हैं।
#5 क्लैरी ग्रिम्मेट - 11/82 (साल 1925)
टेस्ट इतिहास में सिर्फ़ कुछ ही गेंदबाज़ ऐसे हैं जिन्होंने टेस्ट की शानदार शुरुआत की है और लंबा करियर खेला है। क्लैरी ग्रिम्मेट ऐसे ही कुछ चुनिंदा क्रिकेटर हैं। ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेट को हमेशा विश्व स्तर के लेग स्पिनर दिए हैं, इसकी शुरुआत ग्रिम्मेट से ही हुई थी। उन्होंने 37 टेस्ट मैच में 216 विकेट हासिल किए हैं, यही उनकी महानता को दर्शाता है। अगर वो कम उम्र में टेस्ट की शुरुआत करते तो कहीं ज़्यादा मैच खेल पाते, उस दौर में ऐसा कर पाना बेहद मुश्किल होता था। ग्रिम्मेट को 33 साल की उम्र तक इंतज़ार करना पड़ा तब जाकर उनको टेस्ट कैप हासिल हुआ। जब ग्रिम्मेट को पहला टेस्ट खेलने का मौक़ा मिला तो उन्होंने अपने पुराने प्रतिद्वंदी इंग्लैंड के ख़िलाफ़ शानदार खेल दिखाया। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की सूखी पिच पर उन्होंने ख़तरनाक स्पिंन गेंदबाज़ी करते हुए पहली पारी में 5 विकेट और दूसरी पारी में 6 विकेट हासिल किए। फ़्रैंक वूली और सर जैक हॉब्स कुछ ऐसे बल्लेबाज़ थे जो ग्रिम्मेट के शिकार हुए थे।
#4 जैसन क्रेज़ा - 12/358 (साल 2008)
साल 2008 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जारी थी, ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय पिच को देखते हुए कई हुनरमंद स्पिन गेंदबाज़ों को टीम में शामिल किया था। नागपुर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के नए खिलाड़ी जेसन क्रेज़ा को मौक़ा मिला था। क्रेज़ा से ज़्यादा उम्मीद भी नहीं की जा रही थी क्योंकि ये उनका पहला टेस्ट मैच था और सामने मज़बूत भारतीय बैंटिंग भी थी। टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज़ मुरली विजय और वीरेद्र सहवाग ने एक मज़बूत शुरुआत की। लेकिन क्रेज़ा ने सबको चौंकाते हुए ख़तरनाक दिख रहे सहवाग को आउट किया। इतना ही नहीं टीम इंडिया के दीवार राहुल द्रविड़ भी बिना कोई रन बनाए क्रेज़ा की स्पिन गेंदबाज़ी के शिकार हुए। इस मैच में सचिन के शतक औऱ कई अन्य मध्य क्रम के बल्लेबाज़ों के योगदान की वजह से भारत ने पहली पारी में 441 रन का स्कोर बना लिया। पहली पारी में क्रेज़ा ने 215 रन देकर 8 विकेट और दूसरी पारी में 143 रन देतर 4 विकेट हासिल किए। क्रेज़ा की इतनी मेहनत के बावजूद टीम इंडिया ये मैच आसानी से जीत गई।
#3 फ़्रेड मार्टिन - 12/102 (साल 1890)
इंग्लैंड के ज़्यातर क्रिकेटर को पहले काउंटी क्रिकेट खेलते हैं फिर उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौक़ा मिलता है। फ़्रेड मार्टिन ने सिर्फ़ 2 टेस्ट मैच खेले हैं जबकि उन्होंने 1885 से 1900 के बीच केंट टीम के लिए 315 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। फ़्रेड बाएं हाथ से मध्यम पेस गेंदबाज़ी करते थे, उनका पहला टेस्ट मैच काफ़ी यादगार रहा था। ओवल के मैदान में मार्टिन ने अपनी गेंदबाज़ी से कंगारू टीम के बल्लेबाज़ों में ख़ौफ़ पैदा कर दिया था। पहली पारी में उन्होंने 50 रन देकर 6 विकेट हासिल किए थे। हांलाकि कि ऑस्ट्रेलियाई पारी के जवाब में इंग्लैंड भी कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पाई, यहां तक कि टीम के कप्तान डब्ल्यूसी ग्रेस भी शून्य पर आउट हो गए थे। पहली पारी में इंग्लैड महज़ 8 रन की बढ़त हासिल कर पाई थी। मार्टिन का जलवा दूसरी पारी में भी क़ायम रहा, उन्होंने 30.2 ओवर में 6 विकेट हासिल किए और ऑस्ट्रेलिया को 102 रन पर ऑल आउट कर दिया। आसान लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने 2 विकेट की रोमांचक जीत हासिल की।
#2 बॉब मैसी - 16/137 (साल 1972)
साल 1972 के एशेज़ सीरीज़ के दौरान लंदन के लॉर्ड्स मैदान में दूसरे टेस्ट मैच में बॉब मैसी ने शानदार गेंदबाज़ी की थी और अंग्रेज़ों को दिन में तारे दिखा दिए थे। बॉब दाएं हाथ से मध्यम पेस गेंदाबज़ी करते थे और छोटे रन अप लेते थे। अपने पहले ही टेस्ट मैच में उन्होंने वो कारनामा कर दिखाया जो सदियों तक याद रखा जाएगा। उनकी गेंदबाज़ी विपक्षी टीम के लिए जानलेवा साबित होती थी। मैसी का पहला शिकार इंग्लैंड के जेफ़री बॉयकॉट थे, इसके बाद वो ज़रा भी नहीं रुके। उन्होंने अपने प्रदर्शन से महान बल्लेबाज़ डेनिस लिली की भी चमक फीकी कर दी थी। मैसी ने अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में 8 विकेट लिए थे और इंग्लैड की टीम को 272 रन के स्कोर पर सीमित कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल के शानदार शतक की बदौलत कंगारू टीम ने 36 रन की बढ़त हासिल कर ली थी। मैसी ने दूसरी पारी मे भी अपना क़हर जारी रखा और इस बार भी उन्होंने 8 इंग्लिश खिलाड़ी को पवेलियन वापस भेज दिया था और मेज़बान इंग्लैंड को 116 रन पर समेट दिया था। इस शानदार शुरुआत के बावजूद वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के इस क्रिकेटर को सिर्फ़ 6 टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा मिला और वो अपनी ही सफलता के शिकार हो गए। फिर वो दोबारा कभी भी टेस्ट में वापस नहीं आ सके।
#1 नरेंद्र हिरवानी - 16/136 (साल1988)
बॉब मैसी के शानदार रिकॉर्ड के बाद ऐसा लग रहा था कि उनका रिकॉर्ड शायद कभी भी नहीं टूटेगा। लेकिन 16 साल बाद भारत लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी ने भी अपने पहले टेस्ट मैच में 16 विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया वो भी 136 रन देकर, यानी बॉब मासी से एक रन कम। हिरवानी ने चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ शानदार गेंदबाज़ी की। टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पहली पारी में 382 रन का स्कोर खड़ा किया जिसमें कपिल देव ने 124 गेंद में 109 रन बनाया था। हिरवानी की जादुई गेंदबाज़ी के जाल में वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ी फंसते चले गए। पहली पारी में हिरवानी ने 61 रन देकर 8 विकेट हासिल किया जिसकी बदौलत टीम इंडिया को 198 रन की बढ़त हासिल हुई। दूसरी पारी में भी हिरवानी ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और दूसरी पारी में भी 8 विकेट हासिल किए। इस मैच में टीम इंडिया के विकेट कीपर किरन मोरे ने 6 स्टंप आउट करने का रिकॉर्ड बनाया और टीम इंडिया को 255 रन की जीत हासिल हुई। ये मैच नरेंद्र हिरवानी के करियर का सबसे यादगार मैच था।