कप्तानों के 5 ऐसे साहसिक निर्णय जिसने श्रृंखला या प्रतियोगिता का रुख ही बदल दिया

क्रिकेट ने कई ऐसे महान कप्तानों का निर्माण किया है जिन्होंने टीम को जीत दिलाने के लिए अपनी प्रतिभा के साथ साथ अपनी बुद्धि का भी चतुराई से इस्तेमाल किया है। अच्छे कप्तानों के पास हमेशा अच्छी रणनीतियां होती हैं और वे उसे मैदान पर प्रभावी रूप से लागू भी करते हैं। हालांकि हर बार हर कप्तान ड्रेसिंग रूम में बनायी गयी रणनीति को योजनाबद्ध तरीके से मैदान पर लागू नहीं कर पाता है। लेकिन एक महान कप्तान वही होता है जो अपनी रणनीति में परिस्थिति के अनुसार उसमें बदलाव करता है। वह अलग-अलग परिस्थितियों में खुद को ढालता है और उस अनुसार मैदान पर अपनी योजना को बदलता है। क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जो दिखाती हैं कि एक महान कप्तान अपनी बुद्धि का प्रयोग करके कभी भी मैच का पासा अपनी तरफ पलट सकता है। आईये आज बताते हैं ऐसे ही कुछ निर्णयों के बारें में जिसने बदल दिया पूरे मैच का रुख- #5 सौरभ गांगुली ने नंबर 3 पर द्रविड़ की बजाय लक्ष्मण से बल्लेबाजी करने के लिए कहा ऑस्ट्रेलिया टीम का 2001 में भारत दौरा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा सकता है। इसका टेस्ट क्रिकेट पर एक ऐसा प्रभाव पड़ा जैसा 1983 में विश्वकप जीतने के बाद एदिवसीय क्रिकेट में पड़ा था। ऑस्ट्रेलिया का उस समय विश्व क्रिकेट में एकछत्र राज था। ऑस्ट्रेलियाई टीम लगातार जीत हासिल कर रही थी और मुंबई में खेले गये सीरीज के पहले टेस्ट मैच में तीन दिनों के अंदर ही 10 विकेट से जीत हासिल करके कंगारुओं ने लगाताक 16 मैच जीतने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। ऑस्ट्रेलियाई टीम बेहतरीन फॉर्म में थी और कोलकाता में दूसरे टेस्ट में उन्होंने पहली पारी में 445 रन बनाये थे और भारत को पहली पारी में केवल 171 रन पर समेट दिया था। ऑस्ट्रेलिया ने भारत से दूसरी पारी में फॉलोऑन के खेलने के लिए कहा था, भारत ने शुरुआत अच्छी की लेकिन 50 रन पर भारत का पहला विकेट गिर गया। पहला विकेट गिरने के बाद गांगुली के एक निर्णय ने सबको हैरान कर दिया जिसने पूरी श्रृंखला की दिशा बदल दी। दादा ने वीवीएस लक्ष्मण को राहुल द्रविड़ की जगह नंबर 3 पर जाने के लिए कहा। नंबर 3 पर लक्ष्मण और नंबर 5 पर राहुल को भेजने का निर्णय सफल साबित हुआ और दोनों ने ही बेहतरीन पारियां खेंली। लक्ष्मण ने टेस्ट का अपना सर्वोच्च स्कोर 281 बनाया और द्रविड़ ने 180 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया के सामने 384 रन का टारगेट दिया। इस सहासिक निर्णय से ना सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को इस टेस्ट मैच से हार मिली बल्कि चेन्नई में खेला गया तीसरा टेस्ट भी ऑस्ट्रेलिया हार गया और सीरीज 2-1 से गंवानी पड़ी। #4 युवराज की जगह कप्तान धोनी खुद बल्लेबाजी करने उतरे

dhoni

2011 विश्वकप में भारतीय टीम कप की मजबूत दावेदार थी। टूर्नामेंट के दौरान भारत ने समय समय पर यह साबित किया कि वह इस कप के योग्य है और फिर आखिरकार फाइनल में भारत की एंट्री भी हो गई। फाइनल में भारत का सामना श्रीलंका की टीम से हुआ। श्रीलंका ने टॉस जीतते हुए पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया और भारत को 275 का लक्ष्य दिया। भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और जल्द ही सचिन और सहवाग का विकेट गंवा दिया। फिर विराट कोहली और गौतम गंभीर ने साझेदारी करने की कोशिश की लेकिन कोहली 35 रन पर आउट हो गये। जिसके बाद युवराज को बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आना था लेकिन तभी कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को मैदान पर देख कर सब चौक गये। कप्तान धोनी खुद को प्रमोट कर युवराज की जगह बल्लेबाजी करने मैदान पर उतर गये थे। धोनी पिछले 3 सालों से चेन्नई सुपर किंग्स में मुथैया मुरलीधरन के साथ खेले थे और इसलिए उन्होंने महसूस किया कि वह युवराज की तुलना में मुरली से निपटने के लिए अधिक उपयुक्त हैं। यह वास्तव में इस लिहाज से भी एक बहादुर फैसला था, क्योंकि धोनी विश्व कप में उस मैच तक खराब फार्म से जूझ रहे थे। यह कदम बेहद सफल रहा क्योंकि फाइनल में धोनी ने 91 रन बनाए और इससे 28 साल बाद दूसरी बार विश्व कप जीतने में भारत ने मदद की। विश्व कप जीतने के लिए भारत पहला मेजबान देश बन गया। #3 नासिर हुसैन ने 0/0 पर पारी को घोषित किया

naseerhushain

यह घटना 2000 में इंग्लैंड के दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान हुई थी। दक्षिण अफ्रीका पांचवें टेस्ट से पहले ही सीरीज 2-0 से जीत चुकी थी। मौसम की वजह से पांचवां टेस्ट बुरी तरह से प्रभावित हुआ और 3 दिन का खेल पानी की वजह से खराब हो गया। हैंसी क्रोनिए और नासिर हुसैन ने 3 दिन के खेल के नुकसान की भरपाई के लिए एक समझौता किया। दोनों ने समझौता किया कि पहले दक्षिण अफ्रीका बल्लेबाजी करेगा 250 रन बनाने के बाद वे पारी घोषित कर देंगे। जिससे इंग्लैंड इस लक्ष्य का पीछा कर सके। दक्षिण अफ्रीका ने पहली पारी 248/8 पर घोषित की और इंग्लैंड लक्ष्य का पीछा करना चाहता था, लेकिन उस समय के नियमों में केवल एक बार पारी को घोषित करने की अनुमति थी। इस नियम के कारण नासिर हुसैन को इंग्लैंड की पारी 0/0 पर घोषित करनी पड़ी। कप्तानों के बीच हुए समझौते के अनुसार क्रोनिए ने दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी घोषित कर दी, जिससे इंग्लैंड 249 के लक्ष्य का पीछा कर सके। यह करार इंग्लैंड के लिए एरक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ, क्योंकि टीम सफलतापूर्वक लक्ष्य का पीछा करते हुए मेजबानों पर जीत हासिल करने में सक्षम हुआ। #2 जब अजहरुद्दीन ने सचिन को नंबर चार की जगह सलामी बल्लेबाजी करने के लिए आगे भेजा

azharsachin

सचिन तेंदुलकर ने अपने एकदिवसीय करियर शुरुआत चौथे नंबर पर की थी और मध्यक्रम में अपनी शुरुआती पारियां खेली थी। उन्हें लगभग 70 मैच तक भारत के लिए ओपनिंग करने का मौका नहीं मिला। टीम के नियमित सलामी बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू को एक मैच में चोट लग गई, इसके बाद तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने एक जुआ खेला। सचिन लंबे समय से ओपनिंग में खेलने के लिए मौका का इंतजार कर रहे थे और अजरुद्दीन ने महसूस किया कि सचिन की प्रतिभा निचले क्रम में खेलने से बर्बाद हो रही है। सिद्धू की चोट ने सचिन को टॉप ऑर्डर में परखने का कप्तान को एक मौका दे दिया। ऑकलैंड में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में सचिन को 1994 में टॉप ऑर्डर में मौका मिला था। इस कदम ने न केवल भारत की किस्मत और सचिन के करियर को बदला बल्कि उस समय क्रिकेट में जिस तरह से खेली जा रही थी, उसमें भी बदलाव आया। सचिन तब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में संघर्ष कर रहे थे और तब तक एक भी शतक उनके बल्ले से नहीं आया था। ओपनिंग के लिए प्रमोट किए जाने के कुछ मैच बाद 79वें एकदिवसीय मैच में उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाया। यह कदम क्रिकेट के इतिहास और सचिन के करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ। #1 जब डॉन ब्रेडमैन ने उलट कर रख दिया बल्लेबाजी क्रम

donbradman

क्रिकेट में सबसे दिलचस्प घटनाओं में से एक 1937 की एशेज सीरीज़ में घटित हुई। ऑस्ट्रेलियाई टीम पहला दो टेस्ट मैच हार चुकी थी और श्रृंखला में बने रहने के लिए उसे तीसरा मैच जीतना जरुरी था। तीसरा टेस्ट एक बिल्ली और चूहे का खेल साबित हुआ दोनों कप्तानों ने चालाक रणनीतियों के साथ दूसरे को बाहर करने की कोशिश की। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान डॉन ब्रैडमैन ने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए ऐसी पिच पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया जो गेंदबाजों के लिए मददगार थी। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में संघर्ष किया और बारिश के कारण मैच रुक जाने तक कंगारूओं का स्कोर 181/7 तक पहुंच गया। विकेट बल्लेबाजी करने के लिए और अधिक मुश्किल हो गया क्योंकि बारिश के कारण पिच गीली हो गयी थी। यहीं पर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान डॉन ब्रेडमैन ने मास्टर स्ट्रोक खेला और 200 रनों पर पारी घोषित करके गीले विकेट पर इंग्लैंड को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। ब्रैडमैन ने पिच को स्पष्ट रूप से समझ लिया और फिर से बल्लेबाजी शुरू करने के मूड में नहीं थे इसलिए उन्होंने अपने गेंदबाजों को एक रक्षात्मक रेखा पर गेंद करने के लिए कहा ताकि इंग्लैंड के बल्लेबाजों को सस्ते में आउट नहीं किया जा सके। इंग्लैंड की टीम के कप्तान सर गब्बी एलन को भी स्थिति के बारे में अच्छे से पता था और उन्होंने ब्रेडमैन से भी आगे निकलते हुए 76/9 पर पारी घोषित कर दी। सर डॉन ब्रैडमैन ने तब एक बदलाव किया जो मैच के दौरान एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। पिच गीली होने के कारण कप्तान ने अपनी बल्लेबाजी क्रम को उलट दिया। ब्रैडमैन ने अपने 10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाजों को पारी को ओपनिंग करने के लिए और क्रीज में कुछ समय बिताने के लिए कहा ताकि पिच को नियमित बल्लेबाजों के लिए बल्लेबाज़ी करने के समय तक बेहतर बनाया जा सके। इस कदम ने आश्चर्यजनक काम किया क्योंकि दिन के आखिरी तक पुछल्ले बल्लेबाज टिके रहे और अगले दिन पिच बल्लेबाजी करने के लिए ज्यादा बेहतर हो गयी थी। ब्रैडमैन ने दूसरी पारी में 270 रन बनाये और ऑस्ट्रेलिया ने 564 के स्कोर के साथ पारी समाप्त कर दी जिससे इंग्लैंड को 689 का लक्ष्य मिला। इंग्लैंड ने अंत में यह मैच हार गया। डॉन ब्रैडमैन के इस कदम ने न केवल मैच का नतीजा बदल दिया, बल्कि ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से सीरीज जीतने में भी मदद की। लेखक- देवानाथन वरून अनुवादक- सौम्या तिवारी