सचिन तेंदुलकर ने अपने एकदिवसीय करियर शुरुआत चौथे नंबर पर की थी और मध्यक्रम में अपनी शुरुआती पारियां खेली थी। उन्हें लगभग 70 मैच तक भारत के लिए ओपनिंग करने का मौका नहीं मिला। टीम के नियमित सलामी बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू को एक मैच में चोट लग गई, इसके बाद तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने एक जुआ खेला। सचिन लंबे समय से ओपनिंग में खेलने के लिए मौका का इंतजार कर रहे थे और अजरुद्दीन ने महसूस किया कि सचिन की प्रतिभा निचले क्रम में खेलने से बर्बाद हो रही है। सिद्धू की चोट ने सचिन को टॉप ऑर्डर में परखने का कप्तान को एक मौका दे दिया। ऑकलैंड में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में सचिन को 1994 में टॉप ऑर्डर में मौका मिला था। इस कदम ने न केवल भारत की किस्मत और सचिन के करियर को बदला बल्कि उस समय क्रिकेट में जिस तरह से खेली जा रही थी, उसमें भी बदलाव आया। सचिन तब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में संघर्ष कर रहे थे और तब तक एक भी शतक उनके बल्ले से नहीं आया था। ओपनिंग के लिए प्रमोट किए जाने के कुछ मैच बाद 79वें एकदिवसीय मैच में उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाया। यह कदम क्रिकेट के इतिहास और सचिन के करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ।