#4. मुथैया मुरलीधरन को कप्तान अर्जुन राणातुंगा का समर्थन:
यह किसी से छुपा हुआ नहीं है कि साल 1999 में श्रीलंका के इंग्लैंड दौरे पर ट्राई सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के समर्थकों द्वारा मुथैया मुरलीधरन को अच्छा समर्थन नहीं मिला था। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ एक वनडे मैच में गेंदबाजी कर रहे मुथैया मुरलीधरन की गेंदबाजी एक्शन पर अंपायर रॉस इमर्सन को संदेह लगा जिसे उन्होंने 'नो बॉल' करार दिया। अंपायर से बहस करने के बाद कप्तान अर्जुन राणातुंगा अपनी टीम के साथ मैदान से बाहर चले गए।
श्रीलंका के अधिकारियों ने कोलंबो संपर्क किया और टीम को वापस मैदान पर भेजने का निर्णय किया गया। इसके बाद कप्तान राणातुंगा ने दूसरे छोर से मुरलीधरन से गेंदबाजी करानी शुरू कर दी ताकि उन्हें अंपायर रॉस इमर्सन की आलोचना से बचाया जा सके। इंग्लैंड ने बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका को 303 रनों का लक्ष्य दिया। मुरलीधरन ने अंतिम ओवर के चौथे गेंद पर सिंगल लेकर अपने टीम को एक विकेट से जीत दिलाई।
#3. अनिल कुंबले का टूटे जबड़े के साथ गेंदबाजी करना:
साल 2002 में भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेले गए एंटिगा टेस्ट मैच में बल्लेबाजी करते समय अनिल कुंबले को मर्वन ढिल्लन की बाउंसर गेंद जबड़े पर लगने के कारण उनका जबड़ा टूट गया। लेकिन वे अगले सुबह फिर से मैच में गेंदबाजी करने के लिए आ गए।
अनिल कुंबले ने सिर से लेकर जबड़े तक पट्टी बांध रखी थी। उन्होंने इस मैच में कुल 14 ओवर गेंदबाजी की और इस दौरान उन्होंने महान बल्लेबाज ब्रायन लारा का भी विकेट लिया।