5 ऐसे भारतीय क्रिकेटर जिनका करियर धोनी की कप्तानी के दौरान ज़्यादा उभर नहीं पाया

जब भी इस बात की चर्चा होती है कि टीम इंडिया का सबसे बेहतरीन कप्तान कौन है हैं तो हर किसी के जेहन में महेंद्र सिंह धोनी का नाम ज़रूर आता है। जिस तरह की कामयाबी उन्होंने बतौर कप्तान हासिल की है वैसा किसी को भी नसीब नहीं हो पाई है। अपनी कप्तानी के दौरान धोनी ने टीम इंडिया को सबसे बेहतरीन टीम बना दिया था। क्रिकेट की तीनों फ़ॉर्मेट में किसी भी दूसरी टीम के लिए भारत को हरा पाना बेहद मुश्किल होता था। कई खिलाड़ी धोनी की कप्तानी में फ़र्श से अर्श तक पहुंचे हैं। हांलाकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर धोनी की कप्तानी के दौरान कुछ खिलाड़ियों को ज़्यादा मौक़ा मिलता तो ये खिलाड़ी अपने करियर को ऊंचाइयों पर ले जा सकते थे। कुछ ऐसे शानदार खिलाड़ी भी हैं जो धोनी की कप्तानी के दौरान काफ़ी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए और उनके करियर में निखार नहीं आ पाया। इनमें से ज़्यादातर खिलाड़ियों की चमक वक़्त के साथ फीकी होती गई। हम यहां ऐसे ही 5 भारतीय खिलाड़ियों के बारे में चर्चा करेंगे।

#5 सौरभ तिवारी

साल 2008 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करने की वजह से, और बाद में आईपीएल में विस्फोटक बल्लेबाज़ी करने के बाद झारखंड के बल्लेबाज़ सौरभ तिवारी की नज़र टीम इंडिया की तरफ़ बढ़ती जा रही थी। सिर्फ़ बल्लेबाज़ी की वजह से ही नहीं उनके हेयरस्टाइल की तुलना अकसर टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से की जाती थी, क्योंकि वो धोनी की तरह झारखंड राज्य के निवासी थे। दिसंबर 2010 में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे खेलने के का मौक़ा मिला लेकिन वो महज़ 12 रन ही बना सके। हांलाकि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ उन्होंने अपने दूसरे मैच में 39 गेंद में 37 रन बनाया था। जिसमें 4 चौके और 1 छक्का शामिल था। इसके बाद वो सिर्फ़ 1 और वनडे मैच ही खेल पाए और फिर वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कभी नहीं लौटे। उस वक़्त टीम इंडिया में रैना और पठान ने अपनी जगह बना ली थी क्योंकि इन दोनों खिलाड़ियों के पास हरफ़नमौल हुनर मौजूद था।

#4 जोगिंदर शर्मा

जोगिंदर शर्मा को हमेशा 2007 के आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के फ़ाइनल मैच की आख़िरी ओवर फेंकने के लिए याद किया जाएगा। इस साल धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने पहला वर्ल्ड टी-20 ख़िताब जीता था। हर किसी को ये लगा था कि सीमित ओवर के खेल में जोगिंदर का करियर भविष्य में शानदार होगा। चूंकि उस वक़्त वो महज़ 23 साल के थे और उम्मीद की जा रही थी कि वो टीम इंडिया के सितारे बनेंगे। इसके बाद शर्मा ने कभी भी भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला। ये एक रहस्य बन कर रह गया कि जोगिंदर को आगे मौक़ा क्यों नहीं मिला। वो सीमित ओवर के मैच के लिए बेहतरीन गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ थे। उस वक़्त नए खिलाड़ियों की भीड़ में जोगिंदर कहीं खो से गए थे। धोनी ने कई युवा खिलाड़ियों को मौक़ा दिया था। साल 2007 के बाद जोगिंदर का करियर कभी आगे नहीं बढ़ पाया और वो क्रिकेट की चकाचौंध से बाहर हो गए।

#3 विनय कुमार

कर्नाटक के मध्यम पेस गेंदबाज़ विनय कुमार घरेलू सर्किट के सबसे निरंतर गेंदबाज़ रहे हैं। वो पहली बार 2004-05 के दौरान घरेलू क्रिकेट में आए थे। उनके स्विंग करने की क्षमता और सटीक गेंदबाज़ी करने का हुनर ही उनको साल 2010 के आईपीएल के टूर्नामेंट में पहुंचा दिया। इसके बाद विनय को भारत की तरफ़ से जिम्बाब्वे के ख़िलाफ़ वनडे खेलने का मौक़ा मिला था। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद वो अंतरराष्ट्रीय मैदान में खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। हांलाकि धोनी ने उन्हें 34 वनडे मैच खेलने का मौक़ा दिया था, लेकिन वो मौक़े का पूरा फ़ायदा उठाने में नाकाम रहे। उन्होंने 5.94 की इकॉनमी रेट से महज़ 38 विकेट हासिल किए थे। वनडे के अलावा उन्हें महज़ 1 टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा मिला था जिसमें वो सिर्फ़ 1 विकेट लेने में कामयाब हो पाए थे। विनय अपने करियर को बेहतर बनाने में नाकाम रहे और इसके लिए धोनी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

#2 उमेश यादव

टीम इंडिया को हमेशा से एक अच्छे तेज़ गेंदबाज़ों की तलाश रही है। साल 2008-09 के घरेलू सीज़न में उमेश यादव 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गेंद फेंकते थे। उन्होंने साल 2010 में भारतीय वनडे टीम में जगह हासिल कर ली थी। बाद में वो टेस्ट प्लेयर भी बन गए थे। हांलाकि धोनी की कप्तानी में वो उतने बेहतर गेंदबाज़ नहीं बन पाए जितनी उनसे उम्मीद की जा रही थी। टेस्ट क्रिकेट में वो विकेट के लिए जद्दोजहद करते देखे गए। विदेशी दौरे पर उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा था। धोनी की कप्तानी में वो भले ही उतने ज़्यादा नहीं उभर पाए थे लेकिन विराट कोहली ने उमेश को भरपूर मौक़ा दिया और वो टीम इंडिया के घातक गेंदबाज़ बन गए और टेस्ट मैच में उन्होंने काफ़ी कामयाबी हासिल की।

#1 यूसुफ़ पठान

विश्व में कुछ ही ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो वर्ल्ड टी-20 फ़ाइनल की पहली गेंद पर छक्का लगाते हैं। यूसुफ़ पठान ने ये कारनामा 2007 के आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के दौरान पाकिस्तान के ख़िलाफ़ किया था। बड़े पठान को धोनी की तरह ही रिस्क लेना पसंद है। धोनी ने ही अपनी कप्तानी में यूसुफ़ पठान को मौक़ा दिया था। पठान टीम इंडिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ों में से एक रहे हैं। उनका करियर आईपीएल में ख़ूब चमका था। उन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी की बदौलत राजस्थान रॉयल्स को आईपीएल ख़िताब दिलाया था। वो हर तरह के गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ाने में माहिर रहे हैं। हांलाकि वो वनडे में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने में नाकाम साबित हुए और उन्हें टीम इंडिया से बाहर होना पड़ा। वो जब बल्लेबाज़ी करने के लिए पिच पर आते थे तो किसी भी वक़्त मैच का रुख अपनी तरफ़ पलटने की ताक़त रखते थे। वो गेंद और बल्ले दोनों से कमाल दिखाना जानते थे। साल 2011 के वर्ल्ड कप में उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया था, लेकिन वो बीच में ही प्लेइंग इलेवन से बाहर हो गए थे। हांलाकि वो टीम इंडिया में आते जाते रहे हैं, लेकिन आज वो भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है। हाल में ही आईपीएल नीलामी के दौरान उन्हें बेहद कम क़ीमत पर ख़रीदा गया है। लेखक- सोहम समद्दर अनुवादक – शारिक़ुल होदा

Edited by Staff Editor
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