5 ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर जिनका करियर रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी के दौरान ज़्यादा उभर नहीं पाया

#2 स्टुअर्ट क्लार्क

स्टुअर्ट क्लार्क एक मीडियम पेस गेंदबाज़ थे जिन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम में अपनी जगह पक्की करने की पूरी कोशिश की थी, वो भी तब जब टीम में ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली और जेसन गिलिस्पी जैसे धाकड़ गेंदबाज़ शामिल थे। स्टुअर्ट को कंगारू टीम में कई मौक़े मिले थे। साल 2006 में जब जेसन गिलिस्पी को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था उस वक़्त स्टुअर्ट को मौक़ा दिया गया था। उसी साल साउथ अफ़्रीका दौरे के लिए स्टुअर्ट को टीम में शामिल किया गया था, जहां उन्होंने अपने ज़बरदस्त प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ सीरीज़ में उन्होंने 15.85 की औसत से 20 विकेट हासिल किए थे। उनके इसी प्रदर्शन की बदौलत उन्हें मैन ऑफ़ द सीरीज़ के अवॉर्ड से नवाज़ा गया था। उस वक़्त स्टुअर्ट ने ग्लेन मैक्ग्रा की जगह हासिल कर ली थी क्योंकि मैक्ग्रा अपनी बीमार पत्नी का इलाज़ कराने गए थे। स्टुअर्ट का यही शानदार फ़ॉर्म 2006-07 की एशेज़ सीरीज़ में जारी रहा जहां उन्होंने अपनी घातक गेंदबाज़ी से अंग्रेज़ों के पसीने छुड़ा दिए थे। उस सीरीज़ में उन्होंने 17.04 की औसत से 26 विकेट हासिल किए थे। इसके बाद उन्हें भारत के ख़िलाफ़ भी खेलने का मौक़ा मिला और उन्होंने सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को एक ही सीरीज़ में 2 बार आउट किया था। साल 2008 में वो वेस्टइंडीज़ के दौरे पर भी गए थे, जहां उन्होंने टेस्ट सीरीज़ में 19.31 की औसत से 13 विकेट हासिल किए थे। जमैका टेस्ट में उन्होंने अपने करियर की सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ी की थी। उन्होंने 32 रन देकर 5 विकेट हासिल किए थे और इसी टूर्नामेंट में उन्हें मैन ऑफ़ द सीरीज़ के अवॉर्ड से नवाज़ा गया था। स्टुअर्ट क्लार्क ने अपने पूरे अंतरराष्ट्रीय करियर में 24 टेस्ट और 39 वनडे मैच खेले थे। इसके बाद वो अपनी चोट से उबर नहीं पाए और टीम में उनकी वापसी का रास्ता ख़त्म हो गया।

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