5 ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर जिनका करियर रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी के दौरान ज़्यादा उभर नहीं पाया

#3 नाथन हॉरिट्ज़

शेन वॉर्न के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक शानदार स्पिन गेंदबाज़ की तलाश थी। यही वजह है कि टीम में नाथन हॉरिट्ज़ को मौक़ा मिला। साल 2004 में उन्होंने मुंबई में टीम इंडिया के ख़िलाफ़ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। जब शेन वॉर्न ने संन्यास लिया उस वक़्त हॉरिट्ज़ को भुला दिया गया। तब तक टेस्ट टीम में ब्रैड हॉज ने अपनी जगह बना ली थी। साल 2008 में जब कंगारू टीम से ब्रैड हॉज और स्टुअर्ट मैक्गिल बाहर हो चुके थे, तब हॉरिट्ज़ ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय टीम में शानदार वापसी की थी। हॉरिट्स एक ऐसे गेंदबाज़ थे जो आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह की गेंदबाज़ी करते थे। साल 2009 की एशेज़ सीरीज़ के दौरान पहले तीन टेस्ट में 10 विकेट हासिल किए थे। वेस्टइंडीज़ ख़िलाफ़ भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। हॉरिट्स के ज़बरदस्त खेल की बदौलत साल 2009 में ऑस्ट्रेलिया ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती थी। लेकिन धीरे-धीरे वो टीम से दूर जाते रहे और करियर को ज़्यादा लंबा नहीं खींच पाए।