# 2 मुरली कार्तिक
मुरली कार्तिक के अंतरराष्ट्रीय करियर को कुछ हद तक दुर्भाग्यपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि उन्हें अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की मौजूदगी के कारण राष्ट्रीय टीम में जगह पाने में मुश्किलें आती रही। हालांकि, सन् 2000 में तेंदुलकर की कप्तानी के दौरान कार्तिक ने अपने टेस्ट मैचों के करियर की शुरुआत की थी। लेकिन गांगुली की कप्तानी में कार्तिक ने उन्हें अपना एकदिवसीय करियर की शुरुआत करने का मौका दिया जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन हरभजन और कुंबले की वरिष्ठ स्पिन जोड़ी को बाहर करने में वह असफल रहे और रेलवे क्रिकेटर हमेशा अन्दर-बाहर होता रहा। कार्तिक ने 2004 के मुंबई टेस्ट में मैन ऑफ द मैच पाने वाले प्रदर्शन के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक यादगार प्रदर्शन किया था। इसके अलावा 2007 में एकदिवसीय मैच में 6/27 के आंकड़े के साथ एक और बेहतरीन प्रदर्शन उनके खाते में गया। मगर 7 साल के करियर के दौरान कार्तिक ने सिर्फ 8 टेस्ट और 37 एकदिवसीय मैच ही खेला। जो यह स्पष्ट करता है कि कार्तिक को राष्ट्रीय टीम में लगातार मौका नहीं मिला और वह हमेशा अपने स्थान को सुरक्षित रखने के लिए लगातार दबाव में खेलते रहे थे।