सौरव गांगुली की कप्तानी में ज़्यादा आगे न बढ़ पाने वाले क्रिकेटर्स

# 1 पार्थिव पटेल

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गांगुली की कप्तानी के तहत काफी समर्थन प्राप्त करने वाले एक अन्य खिलाड़ियों में से एक पार्थिव पटेल ने तब इतिहास बनाया जब उन्होंने 2002 में ट्रेंट ब्रिज में 17 साल और 153 दिनों की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत की और टेस्ट क्रिकेट के सबसे कम उम्र के विकेटकीपर बने। उन्होंने भारत के 2003 विश्वकप टीम में भी जगह बनाई, हालांकि वह टूर्नामेंट के दौरान किसी भी मैच खेलने में नाकाम रहे, क्योंकि विकेटकीपिंग की भूमिका राहुल द्रविड़ ने निभाई थी। लेकिन उनके चयन मात्र से यह स्पष्ट था कि कप्तान को युवा विकेटकीपर से बहुत उम्मीद थी। भारतीय टेस्ट टीम में नियमित रूप से पहले से ही खेल रहे पार्थिव को कभी-कभी एकदिवसीय मैच खेलने के मौके मिले, जब राहुल द्रविड़ ने अपने विकेटकीपिंग दायित्वों को छोड़ा था। हालांकि वह बल्ले से काफी अच्छे थे, लेकिन उनका विकेट के पीछे प्रदर्शन अच्छा नही था। उनकी त्रुटियां 2003/04 में भारत के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान बेहद महंगी साबित हुई और वहां एक समय ऐसा आया जब उनकी त्रुटियों को अनदेखा करना मुश्किल हो गया था। और फिर, महेंद्र सिंह धोनी के एक नियमित प्रदर्शन और स्थान पक्के होते ही, देश के अन्य विकेटकीपरों की तरह उनके पास भी कोई मौका नही बचा था। हाल हीं में उन्हें भारत और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में खेलने का मौका मिला था। लेकिन, उनके विकेट के पीछे प्रदर्शन में खामिया बहुत स्पष्ट नज़र आयीं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे नजरअंदाज करना संभव नही है। फिर भी 32 वर्षीय पार्थिव के पास आपने 25 टेस्ट मैचों और 38 एकदिवसीय और टी 20 अंतराष्ट्रीय मैचों के आकड़ों को बढ़ाने के लिये अभी बहुत समय है। लेखक: प्रांजल मेच अनुवादक: राहुल पांडे

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