5 कैच जिनकी वजह से भारतीय क्रिकेट की तस्वीर बदल गई

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क्रिकेट में हमेशा ही कहा जाता है कि "कैच आपको हमेशा मैच जिताती है।" समय के साथ साथ, यह बात हमेशा साबित भी होती रही कि फील्डिंग किसी भी मैच में कितनी अहम भूमिका निभाती हैं। स्टीव वॉ की वो बात कौन भूल सकता हैं, जब उन्होंने कहा, "तुमने कैच नहीं, बल्कि मेट वर्ल्ड कप को अपने हाथ से छोड़ दिया है।" यह बात उन्होंने तब कही, जब हर्षल गिब्स ने मिड-विकेट पर एक आसान कैच ड्रॉप कर दिया। वो मैच 1999 वर्ल्ड कप के सुपर सिक्स का आखिरी मैच था और ऑस्ट्रेलिया 272 रनों का पीछा कर रही थी। उस वक़्त स्टीव वां 56 रन बनाकर खेल रहे थे, तभी उन्हें गिब्स ने जीवनदान दिया। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने ना सिर्फ वो मैच जीता, बल्कि उन्होंने टूर्नामेंट भी अपने नाम किया। इस बात में तो कोई शक नहीं हैं कि फील्डिंग इस गेम का एक जरूरी अंग बन चुका हैं। यह बात भी हैं कि कई साल पहले भारत को कभी भी अच्छी फील्डिंग साइड के तौर पर नहीं गिना गया। हालांकि मॉडर्न डे क्रिकेट के आने से, इंडिया की फील्डिंग काफी अच्छी हुई हैं और भारत की टीम में काफी अच्छे खिलाड़ी देखने को मिलते हैं, जैसे- युवराज सिंह, सुरेश रैना, रवीद्र जडेजा, विराट कोहली और कई अच्छे फील्डर मौजूद हैं। फैंस के दिमाग में पूर्व क्रिकेटर रॉबिन सिंह और मोहम्मद कैफ की फील्डिंग आज भी सबको याद होंगी। आइये नज़र डालते हैं। 5 ऐसे कैच पर, जिन्होंने भारत की किस्मत बदली हो। #5 रविचंरन अश्विन Vs इंग्लैंड, 2013 2013 में भारत का सामना हुआ इंग्लैंड से वो भी चम्पियंस ट्रॉफी के फ़ाइनल में, जोकि खेला गया बर्मिंघम में। टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड की टीम ने गेंद के साथ शानदार प्रदर्शन किया और इंडियन टीम को 20 ओवर्स में 129 रन के छोटे स्कोर पर रौका। शिखर धवन, विराट कोहली और रवीद्र जडेजा के अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज़ डबल डिजिट में नहीं पहुँच पाया। रनों का पीछा करते हुए, इंग्लैंड ने एलिस्टर कुक और इयान बेल का विकेट जलदुई गवां दिया था। हालांकि उसके बाद टीम की पारी को संभाला इओन मॉर्गन और रवि बोपारा ने जिन्होंने 33 और 30 रनों की पारी खेली। उस समय इंडिया को वापसी कराई काफी महंगे चल रहे ईशांत शर्मा ने, जिन्होंने लगातार गेंदो पर दो विकेट हासिल किए। रवि अश्विन वो फील्डर थे जिन्होंने वो दोनों कैचों को पकड़ा और मैच का रुख भारत की तरफ कर दिया। इंग्लैंड एक समय 110-4 रन बनाकर जीत की तरफ बढ़ रही थी, लेकिन उसके बाद वो 20 ओवर्स में सिर्फ 8 विकेट के नुकसान पर 124 रन ही बना पाई। #4 एस श्रीशांत Vs पाकिस्तान (2007) sreesanth-2007-catch-1466659335-800 2007 का साल दोनों भारत और पाकिस्तान के लिए मिला जुला रहा। जहां दोनों ही टीमे 2007 वर्ल्ड कप के पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गई। हालांकि दो महीने बाद दोनों ही पड़ोसी देश ने ज़बरदस्त वापसी की और साउथ अफ्रीका में हुए टी-20 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में जगह बनाई। गौतम गंभीर के 54 गेंदो पर 75 रनों की बदौलत, इंडिया ने 157 रनों का स्कोर खड़ा किया। उसके जवाब में पाकिस्तान ने मोहम्मद हफीज़ और कामरान अकमल का विकेट जल्दी गवां दिया था, लेकिन उसके बाद टीम ने अपनी पारी संभाली और लक्ष्य की तरफ आगे बड़े और एक समय तो ऐसा लग रहा था कि मिस्बाह उल हक़ पाकिस्तान को यह फ़ाइनल जिता देंगे। आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन की दरकार थी। हालांकि पाकिस्तान के पास सिर्फ एक विकेट हाथ में था। पहली गेंद वाइड डालने के बाद, जोगिंदर शर्मा ने मिस्बाह को अगली गेंद पर बीट करा दिया, ओवर की दूसरी गेंद पर मिस्बाह ने लॉन्ग ऑफ के ऊपर सीधा छक्का मार दिया। आखिरी तीन गेंदो पर पाकिस्तान को जीतने के लिए चाहिए थे 6 रन, मिस्बाह ने अगली गेंद पर स्कूप शॉट खेला और गेंद डीप फ़ाइन लेग पर गई और वहाँ खड़े श्रेशांत ने कैच को पकड़ लिया। उस कैच की वजह से भारत 2007 का टी-20 विश्व कप अपने नाम कर पाया। #3 युवराज सिंह Vs साउथ अफ्रीका (2002) yuvraj-1466602723-800 2002 के चम्पियंस ट्रॉफी के पहले सेमी फ़ाइनल में भारत का सामना हुआ साउथ अफ्रीका से, जोकि खेला गया आर प्रेमदासा स्टेडियम में। भारत के कप्तान सोरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया। भारत ने वीरेंदर सहवाग के 59 रन और युवराज सिंह के 62 रनों की बदौलत टीम ने 261 रनों का स्कोर खड़ा किया। रनों का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीका की टीम एक समय एक विकेट के नुकसान पर 192 रन बना लिए थे और लगभग फाइनल जीतने के करीब पहुँच गया। उन्होंने बस अपने कप्तान ग्रीम स्मिथ का विकेट गवांया था। उनके लिए हर्षल गिब्स 116 रन बनाकर और जैक कैलिस 97 रन बनाकर खेल रहे थे, उनको जीतने के लिए 71 गेंदो पर 68 रन की दरकार थी और उनके पास अभी भी 9 विकेट हाथ में थे। हालांकि लक उस समय भारत के साथ था और गिब्स रिटायर्ड हर्ट हो गए। हालांकि जो बल्लेबाज़ उनके बाद बैटिंग करने आए, वो टीम को जीत नहीं दिला सके। मैच का पासा तब पलटा, जब हरभजन की गेंद पर जॉनटी रोड्स ने गेंद को स्वीप किया, लेकिन वो उसे टाइम नहीं कर पाए और युवराज ने डाइव करते हुए शानदार कैच पकड़ा और टीम की उम्मीदे मैच में जीवित रखी। उसके बाद मैच में ऐसा ट्विस्ट आया कि साउथ अफ्रीका की टीम ने लगातार अंतराल पर विकेट गवां दिए और अंत में वो सिर्फ 6 विकेट पर 251 रन ही बना सकी। इंडिया ने बाद में जाकर श्रीलंका के साथ ट्रॉफी को जीता, क्योंकि दोनों टीमों के बीच होने वाला फ़ाइनल बारिश में धुल गया। #2 हेमंग बदानी Vs ऑस्ट्रेलिया (2001) badani-1466602852-800 कोलकाता के हिस्टोरिक ईडेन गार्डेन्स में खेला गया भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक यादगार टेस्ट मैच। ओस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 445 रन बनाए और उसके बाद भारत को पहली पारी में सिर्फ 171 रनों पर समेट दिया और उन्हें फॉलो ऑन खेलने पर मजबूर कर दिया। भारत की दूसरी पारी में काफी रिकॉर्ड बने और कुछ यादगार पारियाँ भी देखने को मिली, जिसमे वीवीएस लक्ष्मण के 281 रन और राहुल द्रविड़ के 180 रन शामिल थे, दोनों ने 5वे विकेट के लिए 376 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। 384 रनों का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलियन टीम हार मानने के इरादे से नहीं उतरे और उन्होंने मैथयू हेडन, जस्टिन लैंगर, माइकल स्लेटर और स्टीव वां की बदौलत के एक समय तीन विकेट पर 166 रन बना लिए थे। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि ऑस्ट्रेलियन टीम आसानी से यह मैच जीत जाएंगी। उसी वक़्त हेमंग बदानी जोकि नयन मोंगिया की जगह मैदान में फील्डिंग कर रहे थे, तभी उन्होंने शॉर्ट लेग पर ऑस्ट्रेलियन कप्तान का शानदार कैच पकड़ा और उसी के साथ ऑस्ट्रेलिया का पतन शुरू हो गया। रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट, शेन वार्न और जेसन गिलस्पी सिर्फ 6 रन के अंदर आउट हो गए और ऑस्ट्रेलियन टीम सिर्फ 212 रन पर ऑल आउट हो गई और भारत ने वो मुक़ाबला 171 रनों से जीता। ऑस्ट्रेलियन टीम ने पिछले 16 टेस्ट में यह अपना पहला मुक़ाबला गवांया था। भारत ने उसके बाद बार्डर गावस्कर सीरीज़ को 2-1 से अपने नाम भी किया। #1 कपिल देव Vs वेस्ट इंडीज (1983) kapil-1466603060-800 1983 में वर्ल्ड कप ने भारत की क्रिकेट की दिशा और दशा दोनों बदलकर रख दी। कपिल देव की कप्तानी वाली इंडियन टीम, टूर्नामेंट की अंडर डॉग थी और जब वो फ़ाइनल में पहुंचे, तो सब काफी हैरान हुए थे। भारत ने वेस्ट इंडीज के सामने 184 रनों का लक्ष्य रखा। भारत के शुरुआती गेंदबाज मदन लाल और बलविंदर संधु ने शानदार शुरुआत की और गॉर्डन ग्रेनेज को 1 रन पर और डेस्मंड हेन्स को 13 रन पर आउट कर दिया। हालांकि विव रिचर्ड्स उस समय 33 रन बनाकर खेल रहे थे, जिमसे 7 चौके शामिल थे और वो कभी भी मैच को पलट सकते थे। भारत को अगर यह मैच जीतना था, तो उसे कुछ अलग करने की ज़रूरत थी। कप्तान कपिल देव ने इसकी ज़िम्मेदारी खुद उठाई और विव रिचर्ड्स का एक शानदार कैच पकड़ कर उन्हें आउट कर दिया। कपिल देव मिड-विकेट पर खड़े थे और उन्होंने पीछे जाते हुए एक शानदार कैच पकड़ा और उसके बाद भारत की क्रिकेट का मानों चेहरा ही बदल गया। लेखक- रुद्रनिल, अनुवादक- मयंक महता

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