साल 2011 का विश्वकप हमेशा धोनी के उस मैच जिताऊ पारी के लिए जाना जाएगा, जिसमें विनिंग छक्का जड़कर धोनी ने करोड़ों भारतीयों का दिल जीत लिया था। वहीं उसके बाद लोग इस मैच में गंभीर की 97 रनों की पारी को याद करते हैं। लेकिन धोनी की पारी ने सभी के प्रदर्शन को फीका साबित कर दिया था। जहाँ श्रीलंकाई खिलाड़ियों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह और कितना रन बनाते तो भारत से मुकाबला जीत पाते। जबकि श्रीलंकाई पारी में महेला जयवर्धने ने शतकीय प्रहार किया था। महेला मैदान पर 16।2 ओवर के बाद उतरे और अंत तक मैदान पर डटे रहे। लेकिन भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन बेहतरीन रहा और भारत मैच में टॉप पर बना रहा। हालांकि हरभजन की गेंद पर युवराज ने उनका कैच पकड़ने से कुछ ही दूर रह गये थे। हालांकि जयवर्धने अपनी इस पारी में चौकों-छक्कों के बजाय सिंगल और डबल पर ज्यादा फोकस किया। जिसकी वजह से श्रीलंका 300 का आंकड़ा नहीं छु पायी। हालांकि ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों के असफल होने के बाद महेला ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बढ़िया पारी खेली थी। हालांकि जयवर्धने ने डेथ ओवर में बेहतरीन बल्लेबाज़ी की। उन्होंने अंतिम 10 गेंदों में 22 रन की तेज पारी खेली थी। जिससे श्रीलंका ने अंतिम 5 ओवर में 64 रन बनाते हुए 50 ओवर में 274 का स्कोर बनाया। जयवर्धने ने 117 के स्ट्राइक रेट से 88 गेंदों में 103 रन की पारी खेली। हालांकि धोनी ने इस मैच को ऐतिहासिक बनाते हुए महेला की इस पारी को पूरी तरह फीका कर दिया। लेखक-चैतन्य हेलगेकर, अनुवादक- जितेंद्र तिवारी