हाल ही में ख़त्म हुए भारत के दक्षिण अफ़्रीका के दौर से कई पहलू स्पष्ट हुए हैं। भारत ने वनडे और टी-20, दोनों ही सीरीज़ अपने नाम कीं, लेकिन टेस्ट में टीम चूक गई। दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ में टीम इंडिया के प्रदर्शन और जुलाई में शुरू होने वाले भारत के इंग्लैंड दौरे की स्थितियों पर एकसाथ गौर करते हुए कुछ चुनौतियां सामने आती हैं, जो भारत के सामने पेश आएंगी और टीम को उनके जवाब खोजने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
विराट कोहली के बल्ले पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता
दक्षिण अफ़्रीका का दौरा शुरू होने से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि भारतीय बल्लेबाज़ी विदेशी धरती पर एकबार फिर विराट कोहली के कंधों पर टिकी रहेगी। हुआ भी कुछ ऐसा ही। एक वक़्त के बाद ऐसा लगने लगा कि यह दौरा भारत और दक्षिण अफ़्रीका के बीच नहीं, बल्कि कोहली बनाम दक्षिण अफ़्रीका है। पूरी सीरीज़ में किसी भी बल्लेबाज़ ने लगातार कोहली का बराबरी से साथ नहीं निभाया। कप्तान कोहली का फ़ॉर्म में रहना अच्छी और सकारात्मक बात है, लेकिन उनपर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता टीम और कोहली दोनों ही के प्रदर्शन पर बुरा असर डाल सकती है।
क्या हार्दिक पंड्या हैं, एक तेज़ गेंदबाज़ ऑल-राउंडर का सबसे सटीक विकल्प?
अगर हार्दिक पंड्या को दौरे के लिए चुना जाता है तो उनपर एक अहम भूमिका निभाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ के तीनों मैचों में पंड्या को मौका दिया गया और उन्होंने मिला-जुला प्रदर्शन किया। पंड्या को बतौर ऑल-राउंडर चुनने के बाद उनसे उम्मीद की जाएगी कि वह पूरे दौरे में बाक़ी मुख्य बोलर्स का काम आसान करें। पंड्या ने कई मौकों पर निचले क्रम में बल्ले से अपनी उपयोगिता साबित की है। अब उन्हें गेंद से भी यह जिम्मेदारी निभानी होगी। स्लिप में दिखानी होगी चुस्ती भारतीय टेस्ट टीम में कई फ़ील्डर्स को स्लिप पर अपनी क्षमता को साबित करने का मौका दिया, लेकिन कोई भी अपने आप को इस जिम्मेदारी के लिए परफ़ेक्ट साबित नहीं कर पाया। एक वक़्त था, जब राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की जोड़ी स्लिप पर बेजोड़ फ़ील्डिंग करती थी और न के बराबर मौकों पर उनसे चूक होती थी। 2012 में उनके रिटायरमेंट के बाद से टीम को स्लिप की जिम्मेदारी सौंपने के लिए कोई भरोसेमंद हाथ नहीं मिल पाया।
रोहित शर्मा की टेस्ट में उपयोगिता
सीमित ओवरों के खेल में रोहित शर्मा अपनी क्षमता और उपयोगिता दोनों ही को बख़ूबी साबित कर चुके हैं, लेकिन टेस्ट में उनका विकास कुछ ख़ास नहीं है। चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ शुरूआती दो टेस्ट मैचों में अजिंक्य रहाणे की जगह रोहित शर्मा पर दांव खेला था, जो पूरी तरह से खाली गया। अगर हालात ऐसे ही रहे तो चयनकर्ताओं को किसी बेहतर विकल्प पर विचार करना चाहिए।
सलामी जोड़ी का प्रदर्शन
दक्षिण अफ़्रीका दौरे की टेस्ट सीरीज़ में भारतीय सलामी जोड़ी बड़ी साझेदारी करने में नाकाम रही और मिडिल-ऑर्डर का काम मुश्किल किया। मैनेजमेंट ने ओपनर्स के तीनों विकल्पों (शिखर धवन, केएल राहुल और मुरली विजय) को परखा, लेकिन कोई भी जोड़ी प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर सकी। इंग्लैंड की पिचों पर घास अधिक होती है और ऐसे में ओपनर्स को एक स्थाई साझेदारी करने की ज़रूरत होती है। ओपनर्स के फ़ेल होने पर मध्यक्रम के ऊपर दबाव बढ़ जाता है, जो भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा। लेखकः शंकर नारायण अनुवादकः देवान्श अवस्थी