5 क्रिकेट खिलाड़ी जिनके जर्सी नंबर को भी रिटायर कर देना चाहिए

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बीते बुधवार को बीसीसीआई ने "अनौपचारिक'' रूप से महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की जर्सी को रिटायर करने का निर्णय लिया। सितंबर में क्रिकेट जगत में हलचल तब पैदा हो गयी जब तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर को अपनी जर्सी पर प्रतिष्ठित 10 नंबर पहने हुए देखा गया, लेकिन उस दिन के बाद फिर शार्दुल के पीठ पर नंबर 54 नज़र आया। हम इस खेल के 5 अन्य महान खिलाड़ियों की बात करते हैं, जिनकी जर्सी उनकी पहचान बन चुकी हैं और उनकी जर्सी नंबर भी फिर किसी दूसरे खिलाड़ी को नहीं दी जानी चाहिए:

#5 विराट कोहली

इस 29 वर्षीय खिलाड़ी ने भारत के लिए सीमित ओवरों में अंडर-19 से खेलना शुरु किया है और तभी से उनके जर्सी के पीछे एक बात समान रही है वह है उनका नंबर 18। कोहली को यह नंबर लेने का कारण यह था कि उनके पिता का निधन 18 दिसंबर 2006 को हुआ था। अपने पिता के गुजरने के समय इस दाएं हाथ के बल्लेबाज की उम्र भी 18 साल ही थी। कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ सीमित ओवरों के शतक के बाद से दिल्ली के क्रिकेट खिलाड़ी ने खुद को रंगीन कपड़ों में महान खिलाड़ी के तौर पर विकसित कर लिया है, जो अपने देश के लिए मैच को सिर्फ और सिर्फ जीतना चाहता है। 32 वनडे शतकों के साथ वह सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे स्थान पर हैं और अगर वह रनों के प्रति अपनी भूख जारी रखते है तो वह कुछ वर्षों में उनके रिकॉर्ड को भी तोड़ सकते हैं। और ऐसे खिलाड़ी के लिए उनके रिटायरमेंट के बाद उनकी जर्सी नंबर को भी रिटायर करना उसके लिए सम्मान देने वाली बात होगी।

#4 कुमार संगकारा

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श्रीलंका के क्रिकेट के सभी प्रारूप के महान बल्लेबाज कुमार संगकारा के पूरे करियर के दौरान जर्सी संख्या '11' रही। संख्या विज्ञान के अनुसार, 11 नंबर बुद्धिमानी के साथ जुड़ा हुआ है। बाएं हाथ के बल्लेबाज़ श्रीलंका की बल्लेबाजी लाइन-अप में आधार स्तंभ रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या के लिए रनों की भूख दिखती थी, जो कि उन्हें खेल में हमेशा सबसे आगे रखती है। अपने आखिरी सीमित ओवरों की प्रतियोगिता यानि 2015 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल चरण में टीम के बाहर होने से पहले उन्होंने लगातार चार सैकड़े बनाते हुए पूरे विश्व को अपनी दमदार फॉर्म का दीदार कराया। अब तक कई श्रीलंकाई खिलाड़ियों के जर्सी नंबर सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं, लेकिन संगकारा निश्चित तौर पर योग्य उम्मीदवारों में से एक हैं जिन्होंने 11 नंबर को अपने नाम करवा लिया है।

#3 रिकी पॉन्टिंग

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ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तान और नंबर-3 पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में से एक रहे हैं रिकी पॉन्टिंग, क्रिकेट के खेल में सबसे महान खिलाड़ियों पर बहस चल रही है तो दाएं हाथ के इस दिग्गज बल्लेबाज़ को नजरअंदाज करना मुश्किल है। उनके 17 वर्ष के सीमित ओवरों के करियर के दौरान दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अपनी जर्सी के पीछे '14 नंबर लिया' था। वह पूरे विश्व में गेंदबाजी आक्रमणों पर आक्रमण के लिए पहचाने जाते थे। क्लाइव लॉयड के बाद एकमात्र कप्तान जिन्होंने एक के बाद एक विश्वकप अपने नाम किया, हालांकि ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व कप्तान ने कभी स्पष्ट नहीं किया कि 14 नंबर का क्या मतलब है।

#2 एबी डीविलियर्स

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अगर भारत में विदेशी खिलाड़ी की लोकप्रियता की जांच की जाए तो भारतीय फ़ैन्स द्वारा एबी डीविलियर्स को पसंदीदा विदेशी क्रिकेटर की उस सूची में उच्च स्थान दिया जाएगा। दक्षिण अफ्रीका के दाएं हाथ के बल्लेबाज़ जिन्होंने 2004 में अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की थी। उन्होने दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलते समय हमेशा जर्सी नंबर '17' को पहना है। द हिंदू पर एक रिपोर्ट के मुताबिक यह 33 वर्षीय खिलाड़ी अपनी पीठ पर 17 नंबर इसलिए पहनते हैं क्योंकि वह 17 फरवरी 1984 को पैदा हुए थे और 17 दिसंबर 2004 को इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। एबी डीविलियर्स सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक गिने जाते हैं, जब वह इस खेल से बाहर जाएंगे तो एक उम्मीद की जा सकती है कि उनकी जर्सी नंबर सेवानिवृत्त कर दी जायेगी।

#1 महेंद्र सिंह धोनी

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अगर सचिन तेंदुलकर के बाद कोई क्रिकेटर है जिसके खेल से बाहर हो जाने के बाद, उसकी जर्सी नंबर को रिटायर करना अनिवार्य है, तो वो हैं महेंद्र सिंह धोनी। 2004 में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करने के बाद से 35 वर्षीय कैप्टेन कूल को जब भी भारत के लिए रंगीन कपड़े पहने देखा है तो उनकी पीठ पर नंबर '7' के साथ देखा गया है। क्रिकेट में 7 नंबर को धोनी का पर्याय माना जाता है। उनकी पीठ के पीछे मौजूद जर्सी नंबर के कई कारण हैं। कुछ का मानना है कि इसका कारण यह है कि उनका जन्मदिन 7 जुलाई को पड़ता है, जबकि अन्य कहते हैं कि वह मैनचेस्टर यूनाइटेड के एक महान खिलाड़ी से प्रेरित थे, जिन्होंने अपनी जर्सी पर उस नंबर को पहनने के बाद सफलता हासिल की है। जो कुछ भी कारण हो लेकिन यह संख्या उनके लिए और भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद सफल साबित हुई है और अगर वह इस खेल से सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो इस महान खिलाड़ी के लिए यह संख्या उनके नाम ही सुरक्षित कर देनी चाहिए। लेखक-शंकर नारायन अनुवादक- सौम्या तिवारी