5 क्रिकेटर्स जिन्हें उनके देश के दिग्गज खिलाड़ियों के तौर पर देखा जाता है

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क्रिकेट मूलतह 10 फुल मेंबर देशों के बीच खेला जाता है, लेकिन इन 10 देशों के अलावा भी कई देशों की टीमें ऐसी हैं जो लगातार बड़ी टीमों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और वो भी फुल मेंमबरशिप की दावेदार बनकर सामने आ रही हैं। 'मिनोज़' के नाम से जाने जाने वाली टीम कमज़ोर टीमों ने कई बार स्थापित टीम को भी पस्त किया है और दर्शाया है कि उनमें भी क्षमता की कोई कमी नहीं है। जब-जब उन्हें मौका मिला है उन्होंने अपने प्रदर्शन से विरोधी टीम को परेशान किया है। ये कोई हैरानी की बात नहीं है कि इन छोटी टीमों ने हर फॉर्मेट के अच्छे खिलाड़ी दिए हैं। बांग्लादेश की शाकिब-उल-हसन आज दुनिया के शानदार ऑलरांउडर्स में शुमार किए जाने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं। कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो भले ही विश्व प्रसिद्ध न हों लेकिन अपने देश में उन्होंने खेल को नई ऊंचाई देने में जरुर अहम रोल निभाया है। चलिए ऐसे ही 5 खिलाड़ियों पर नजर डालते हैं जो अपनी अपनी देश की टीमों के लिए दिग्गज का मुकाम हासिल करने में सफल हुए हैं। #1 तमीम इकबाल पिछले 5 से सात सालों में तमीम इकबाल बांग्लादेश के सबसे भरोसेमंद ओपनर हैं, उन्होंने तीनों फॉर्मेट को मिलाकर 9000 से ज्यादा रन अपने नाम दर्ज किए हैं। निश्चित ही तमीम बांग्लादेश के आज तक के सबसे घातक बल्लेबाज़ों में से एक हैं, तमीम इकबाल ने 2007 वर्ल्ड कप में प्रभाव छोड़ते हुए 51 रन की विस्फोटक पारी खेली थी और भारत के खिलाफ जीत दिलाकर पहली बार बांग्लादेश को आईसीसी के टूर्नामेंट के नॉक आउट दौर में पहुंचाने में अपना योदगदान दिया था। टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ तमीम की 206 रनों की पारी किसी भी बांग्लादेशी बल्लेबाज़ के द्वारा बनाया बेस्ट का स्कोर है। वनडे में भी बांग्लादेश के लिए बेस्ट स्कोर का रिकॉर्ड तमीम इकबाल के ही नाम है, ये कारनामा उन्होंने 2009 में जिम्बॉब्वे के खिलाफ 154 रन की पारी खेल कर किया था। साल 2011 में तमीम को 'विसडन क्रिकेटर ऑफ द इयर चुना गया'। साल 2014 में तमीम को लॉर्ड्स के एतिहासिक मैदान पर "Bicentenary Celebration" मैच में MCC के और से रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड के खिलाफ खेलने का मौका मिला जो उनके करियर की एक और उपलब्धि को दर्शाता है। #2 रयान टेन डोशेट ryan-ten-doeschate-1476427832-800 रयान टेन डोशेट ने एक समय में क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचा दिया था, लेकिन वो दुरभाग्यपूर्ण रहे की सिर्फ 33 ही अंतरराष्ट्रीय वनडे खेल सके। डोशेट ने वनडे में 67 की भारी भरकम औसत से रन बनाए हैं। हॉलैंड के इस खिलाड़ी ने 5 शतक भी जमाए हैं और 55 विकेट भी अपने खाते में दर्ज किए हैं। 2011 वर्ल्ड कप के दौरान डशचाटे ने इंग्लैंड के खिलाफ 119 रन की शानदार पारी खेलकर लगभग अपनी टीम को जीत दिला ही दी थी। डशचाटे एसेक्स काउंटी टीम की ओर से एक दशक से भी ज्यादा लम्बे वक्त से खेल रहे हैं, और वो डच टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं। इस ऑलराउंडर को आईपीएल में केकेआर टीम ने अपने फॉरन प्लेयर के तौर पर खरीदा था और अपनी टीम में शामिल किया था, वनडे में 10 पारियों से ज्यादा के बाद आज भी सबसे ज्यादा बल्लेबाज़ी औसत का रिकॉर्ड डशचाटे के ही नाम दर्ज है, इनके बाद साउथ अफ्रीका के एबी डिविलियर्स का नाम आता है। पोर्ट एलिज़ाबेथ में जन्मे इस दिग्गज खिलाड़ी को 3 बार 'एसोसिएट क्रिकेट ऑफ द इयर' के अवॉर्ड से नवाज़ा जा चुका है और निश्चित ही डशचाटे को नॉन टेस्ट प्लेइंग देशों का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ माना जाता है। #3 ब्रेंडन टेलर brendan-taylor-1476428067-800 एंडी फ्लॉवर के दौर के बाद जब ये अफ्रीकन देश विश्व क्रिकेट में भयंकर टीम हुआ करती थी, पिछले 10 सालों में ब्रेंडन टेलर जिम्बॉब्वे के टॉप बल्लेबाज़ की श्रेणी में दिखे। लेकिन फ्लॉवर के जाने के बाद पिछले 12 साल में सिर्फ 3 टेस्ट ही जीतने में सफल रही। जिम्बॉब्वे की टीम टेस्ट में बेहद कंमोज़ोर पड़ गई और टी20 और वनड में भी औसत टीम बनकर रह गई। साल 2011 में टेस्ट में वापसी के बाद ब्रेंडन टेलर को जिम्बॉब्वे टीम की कमान सौंपी गई और इनके बल्लेबाज़ी के रिकॉर्ड ने नया आयाम छू लिया। अपनी कप्तानी में ब्रेंडन टेलर ने सात टेस्ट में 4 बेहतरीन शतक जड़े। दांय हाथ के इस बल्लेबाज़ ने जिम्बॉब्वे के लिए अपना आखिरी वनडे 2015 वनडे वर्ल्ड कप के दौरान खेला और भारत के खिलाफ 138 रन की विदाई पारी खेली जो जिम्बॉब्वे को जीत नहीं दिला सकी। टेलर की एक प्रसिद्ध पारी 2007 के पहले वर्ल्ड टी 20 के दौरान देखने को मिली जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 60 रन बनाकर जिम्बॉब्वे को जीत दिला हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। मौजूदा समय में टेलर नॉटिंघमशायर काउंटी टीम से खेलते हैं और उन्हें जिम्बॉब्वे के महान बल्लेबाज़ों में से एक माना जाता है। #4 जॉन डेविडसन john-davison-1476428173-800 जॉन डेविडसन को आसानी से कनाडा की टीम का चहरा कहा जा सकता है, डेविडसन कनाडा के लिए 2003 और 2011 वर्ल्डकप मिलाकर कुल 32 वनडे खेल चुके हैं। जॉन की सबसे यादगार पारी 2003 वर्ल्ड कप में आई थी जब वेस्टइंडीज़ के खिलाफ उन्होंने 67 गेंद पर ताबड़तोड़ रन बनाकर शतक जमाया, और ये सेंचुरी उस वर्ल्डकप की फास्टेस्ट सेंचुरी थी। हालांकि उनका शतक भी कनाडा को जीत दिलाने में कोई सफलता हासिल नहीं कर सका। उसी टूर्नामेंट में डेविडसन ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप का तीसरा सबसे तेज़ अर्धशतक भी बनाया(उसी समय का)। 2003 में लगाया गया जॉन डेविडसन का शतक बिना किसी शक के कनाडा के लिए क्रिकेट का आज तक का सबसे यादगार पल है। इस साल के बाद 2004 में डेविडसन को नेश्नल टीम का कप्तान बना दिया गया और डेविडसन के खाते में एक और रिकॉर्ड दर्ज हो गया। 50 वर्ष बाद हुए कनाडा के पहले फर्स्ट क्लास मैच में डेविडसन ने 137 रन देकर 17 विकेट लेने का कारनामा किया, जो कि जिम लेकर के एक मैच में 19 विकेटों के बाद बेस्ट प्रदर्शन है। इसके अलावा उन्होंने बल्ले से 84 रन की पारी खेलकर USA को हराने में अहम भूमिका निभाई। #5 केविन-ओ-ब्रायन kevin-obrein-1476428341-800 आयरलैंड बिना किसी संदेह के एसोसिएट देशों में सबसे निरंतर देश हैं और टेस्ट स्टेटस हासिल करने के लिए लगातार दरवाजे पर दस्तक दे रही है। केविन ओ ब्रायन आयरलैंड के सबसे प्रभावशाली खिलाड़ियों में से एक हैं और केविन के ऑलराउंड प्रदर्शन ने आयरलैंड को काफी ऊंचाईयां छूने में मदद की है। वो एक चीज़ जो हमें इस क्रिकेटर को याद रखने पर मजबूर करती है वो है साल 2011 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ 327 रन का पीछा करते हुए केविन का लगाया गया मैच विनिंग शतक। ये शतक वर्ल्ड कप में आयरलैंड के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था, क्योंकि जिस तरह से केविन ने आक्रामक रुख दिखाते हुए शतक जड़ा उसके बाद इस टीम के खिलाड़ियों में आत्मविशवास काफी बढ़ गया था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि केविन तब बल्लेबाज़ी करने आए जब आयर 106 रन पर 4 और फिर 111 पर 6 विकेट खोकर संघर्ष कर रहा था। ब्रायन का 50 गेंद पर लगाया गया शतक आज भी वर्ल्ड कप का सबसे तेज़ शतक है। आयरलैंड की ओर से 103 वनडे खेल चुके केविन के नाम 2629 रन और 90 विकेट हैं, जो उन्हें एक बेहद उपयोगी खिलाड़ी बनाता है।

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