2008 में जब विराट कोहली ने डेब्यू किया तो वो मोहम्मद कैफ के बाद अंडर -19 वर्ल्ड कप जीतने वाले दूसरे कप्तान थे, जिन्हें टीम इंडिया में जगह मिली। कोहली की अगुवाई में भारत ने 2007-08 में मलेशिया में संपन्न अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता। जाहिर है इस जीत के बाद कोहली ने जमकर सुर्खियां बटोरीं। अपनी आक्रामक बल्लेबाजी की वजह से कोहली को उसी साल सीनियर टीम में डेब्यू करने का मौका मिल गया। विराट ने 2008 में वनडे क्रिकेट में श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू किया। उस मैच में उन्होंने गौतम गंभीर के साथ पारी का आगाज किया था। कोहली ने उसी साल अपना वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था, जिस वर्ष उन्होंने अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता था। लेकिन कोहली के अलावा 5 और खिलाड़ी थे जिन्होंने उसी साल वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था। आइए एक नजर डालते हैं इन खिलाड़ियों के करियर पर :
मनोज तिवारी अब 31 साल के हो चुके हैं। 2008 में जब उन्होंने टीम इंडिया की ओर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया था, तब वो 23 साल के थे। साल 2008 में ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका डेब्यू अच्छा नहीं रहा। इसके बाद अगले 3 साल तक उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया था। उसके बाद उन्हें 2011 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम में चुना गया था। उसके बाद वो टीम से लगातार अंदर बाहर होते रहे।
साल 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पांचवे वनडे मैच में उनका प्रदर्शन यादगार रहा, जब मनोज बल्लेबाजी करने आए उस समय टीम इंडिया ने 1 रन पर 2 विकेट गंवा दिए थे, तब उन्होंने टीम को मुसीबत से बाहर निकालते हुअ शानदार शतक लगाया था और उन्हें मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। मनोज ने भारत के लिए आखिरी बार 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला था और अब टीम इंडिया के मिडिल ऑर्डर में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा को देखते हुए लगता नहीं कि मनोज हाल फिलहाल में टीम में वापसी कर पाएंगे। हालांकि वो बंगाल की टीम के लिए सालों से अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे है। उन्हें बंगाल में ‘छोटा दादा’ भी बुलाया जाता है। यूसुफ पठान
पठान ब्रदर्स ने भी टीम इंडिया के लिए अच्छा प्रदर्शन किया है। छोटे भाई इरफान को टीम इंडिया में खेलने का मौका पहले मिला और यूसुफ को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। यूसुफ ने 2007 वर्ल्ड टी 20 में टीम इंडिया के लिए अहम योगदान दिया था। इसके बाद उन्होंने 2008 में आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेला और आईपीएल के पहले ही सीजन में राजस्थान की टीम ने खिताबी जीत भी दर्ज की थी। यूसुफ ने 2008 में टीम इंडिया की ओर से वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया। यूसुफ 2008 से 2012 तक टीम में बने रहे, लेकिन इसके बाद प्रदर्शन में निरंतरता की कमी की वजह से उन्हें टीम से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। यूसुफ ने अपने अब तक के अपने करियर में 57 एकदियसीय मैचों में 27.00 के औसत से 836 रन और 22 T20 मैचों में 18.15 के औसत से 210 रन बनाये हैं। वहींअगर गेंदबाजी की बात करें तो उन्होंने 33 एकदिवसीय विकेट और 13 T20 विकेट हासिल किये हैं। भले ही यूसुफ के प्रदर्शन में निरंतरता ना हो, लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि वो बड़े मौकों पर हमेशा टीम इंडिया के काम आए हैं। मनप्रीत गोनी
पंजाब के तेज गेंदबाज मनप्रीत सिंह गोनी ने 2007 में सुर्खियां बटोरीं। जब उन्होंने 2007 में आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से डेब्यू किया और उसी समय मनप्रीत ने पंजाब के लिए भी अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते हुए मनप्रीत ने इतना दमदार प्रदर्शन किया कि अगले ही साल उन्हें टीम इंडिया से भी बुलावा आ गया। गोनी ने एशिया कप में हांगकांग के खिलाफ वनडे में अपना डेब्यू किया था और इसके 3 दिन बाद ही एशिया कप में ही बांग्लादेश के खिलाफ अपना आखिरी वनडे मैच खेला। मनप्रीत के लिए आईपीएल का दूसरा सीजन इतना अच्छा नहीं रहा जितना पहले सीजन में उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। मनप्रीत अभी भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पंजाब की ओर से खेलते हैं और अब तक वो 165 विकेट चटका चुके हैं। प्रज्ञान ओझा
मनोज तिवारी की तरह ही प्रज्ञान ओझा भी टीम इंडिया से अंदर बाहर होते रहे हैं। ओझा ने क्रिकेट तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया है। ओझा का फर्स्ट क्लास क्रिकेट में प्रदर्शन काफी कंसीसटेंट रहा है। आईपीएल में भी वो डेक्कन चार्जर्स के लिए पहले ही सीजन में चैंपियन गेंदबाज रह चुके हैं। ओझा ने एशिया कप 2008 में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे टीम में अपनी जगह बनाई। हालांकि ओझा को ज्यादा कामयाबी टेस्ट क्रिकेट में मिली। उन्होंने 24 टेस्ट में ही 113 विकेट हासिल किए। ओझा अभी 30 सिर्फ साल के हैं और ऐसे में ये कहना जल्दबाजी होगी कि टीम इंडिया में उनकी वापसी की राह बहुत मुश्किल है। सुब्रमण्यम बद्रीनाथ
सुब्रमण्यम बद्रीनाथ की प्रतिभा पर किसी को कभी भी शक नहीं रहा। लेकिन वे टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। हालांकि 36 साल के बद्रीनाथ ने भारत के लिए तीनों फ़ॉर्मेट में खेला। लेकिन कभी उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले। बद्रीनाथ ने भी 2008 में उसी सीरीज में डेब्यू किया था, जिस सीरीज में विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू किया था। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उन्हें उनकी प्रतिभा के लिहाज से ज्यादा मौके नहीं दिए गए और इसके बाद वो चोट के चलते भी नेशनल टीम से बाहर रहे। घरेलू क्रिकेट में 10 हजार से ज्यादा रन बना चुके बद्रीनाथ के लिए वापसी की राह लगभग बंद हो चुकी है।