5 क्रिकेटर जिनकी समय से पहले ही मृत्यु हो गई

मृत्यु जीवन की सच्चाई है, लेकिन इस सच्चाई को स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है। यह हर किसी के साथ होता है, लेकिन अपने प्रियजनों के साथ ऐसा होने पर इंसान को बहुत दु:ख होता है। अगर किसी की मृत्यु असमय होती है तो यह और भी दुःखदायी होता है। 40 साल की उम्र में मरना और 80 साल की उम्र में मरना दोनों के बीच काफी अंतर होता है। हालांकि दोनों मामलों में एक इंसान की जान जाती है, लेकिन छोटी उम्र में मरने वाले लोग सभी को सदमे की स्थिति में छोड़ जाते हैं। क्रिकेटर भी इसके अपवाद नहीं हैं। तो आज चर्चा ऐसे ही पांच क्रिकेटरों की जो असमय ही काल के गाल में समा कर अपने प्रशंसकों को सदमे में छोड़कर चले गए- हैंसी क्रोनिए हैंसी क्रोनिए अपने समय के सबसे सफल और लोकप्रिय कप्तानों में से एक थे। हालांकि मैच फिक्सिंग उनके कैरियर पर एक धब्बा था। लेकिन अगर इस दाग को छोड़ दें तो उन्होंने एक कप्तान और क्रिकेटर के रूप में अपनी टीम की जिम्मेदारी बखूबी तरीके से संभाली। एक कप्तान के तौर पर 138 मैचों में उन्होंने अपने टीम को 99 एकदिवसीय मैचों में जीत दिलवाई। अगर क्रोनिए के जीत के प्रतिशत की बात की जाए तो उनके जीत का प्रतिशत सिर्फ विश्व के सफलतम कप्तानों रिकी पोंटिंग और क्लाइव लॉयड से ही कम है। सबसे अधिक जीत के मामले में वह महेंद्र सिंह धोनी, रिकी पोंटिंग और एलन बॉर्डर के बाद चौथे स्थान पर आते हैं। हालांकि उनके मैच में फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद क्रोनिए ने जो अपना नाम कमाया था वह सब गवां दिया और साउथ अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें आजीवन प्रतिबंधित कर दिया। इसके लगभग दो साल बाद 1 जून, 2002 को वह एक मार्मिक विमान दुर्घटना का शिकार बन गए और केवल 32 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। इस तरह से मैच फिक्सिंग के जिन्न और असामयिक मृत्यु ने क्रिकेट के एक सफलतम कप्तान को हमसे छीन लिया। रूनाको मार्टन morton2 रूनाको मार्टन वेस्टइंडीज के वही क्रिकेटर हैं जिन्हें एक बार गांजे के सेवन का दोषी पाया गया था। मोर्टन ऐसे क्रिकेटर से जो अपना दिन होने पर किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को तबाह कर सकते थे लेकिन इसके बाद अगले कई मैचों तक उनका बल्ला खामोश भी हो सकता था। वह एक विस्फोटक बल्लेबाज थे लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता नहीं थी। एक दिन मोर्टन त्रिनिडाड और टोबैगो के खिलाफ एक प्रथम श्रेणी मैच खेलकर कार से अपने घर लौट रहे थे। घर पर उनकी पत्नी और तीन बच्चे उनका इंतजार कर रहे थे। लेकिन मोर्टन अपने घरवालों के इस इंतजार को कभी खत्म नहीं कर पाए। दरअसल रास्ते में मोर्टन की कार एक पोल से टकरा गई और वह इस दुनिया से चल बसें। मॉर्टन ने 33 साल की उम्र में वेस्ट इंडीज के लिए 15 टेस्ट और 56 एकदिवसीय मैच खेला। बेशक वह वेस्टइंडीज के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार नहीं हो सकते, लेकिन जैसा कि कर्टली एम्ब्रोस कहते हैं, "मोर्टन उस तरह का आक्रामक लड़ाका था जिसे आप युद्ध में भी ले जा सकते हैं।" मंजरुल इस्लाम राणा rana3 कई लोगों के कुछ ऐसे पसंदीदा पकवान या डिशेज होते हैं जिनके लिए कहा जाता है कि वे उसे खाने के लिए जान भी कुर्बान कर सकते हैं। जैसे कुछ लोगों को इटालियन पास्ता अच्छा लगता है, कुछ लोगों को चाईनीज नूडल्स और कुछ लोगों को भारतीय चाट-पकौड़ी। बांग्लादेश में ऐसी ही एक डिश बहुत लोकप्रिय है जिसे 'चोई झाल' कहा जाता है। इसकी तलब ऐसी होती है कि लोग अपने पसंदीदा रेस्टॉरेंट में अपना पसंदीदा पकवान को खाने के लिए मीलों सफर भी तय कर सकते हैं। बांग्लादेश के मंजुरल इस्लाम राणा भी ऐसे ही एक क्रिकेटर थे जिन्हे चोई झोल बहुत पसंद था। एक दिन ऐसे ही मंजुरल अपने एक दोस्त के साथ बाइक से रेसिंग करते हुए अपने पसंदीदा रेस्टॉरेंट में चोई झाल खाने जा रहे थे कि इसी बीच वह बाइक पर अपना नियंत्रण खो बैठें और बस से टकरा गए। इस तरह अपने पसंदीदा पकवान को खाने के चक्कर में इस प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटर को जीवन के सबसे कड़वे सच से रूबरू होना पड़ा। मंजुरल उस वक्त सिर्फ 22 साल के थे। इस हादसे में मंजूरल के दोस्त को भी अपनी जान गवानी पड़ी, जो कि खुलना के लिए घरेलु क्रिकेट खेलते थे। इस तरह सबसे कम उम्र में इस दुनिया को छोड़ जाने वाले टेस्ट क्रिकेटर बन गए। मैलकम मार्शल marshal 4 वेस्टइंडीज के लंबे कद के तेज गेंदबाज मैलकम मार्शल के बारे में कहा जाता है कि जब वह अपने कैरियर के चोटी पर थे तब उन्हें बेहोश करके भी नहीं रोका जा सकता था। हालांकि उस समय वेस्टइंडीज को तेज गेंदबाजों का खान कहा जाता था और उनके पास कई आदम कद-काठी के तेज गेंदबाज थे। मार्शल भी उनमें से एक थे। उन्होंने अपने कैरियर के 81 टेस्ट में 20.94 के शानदार औसत से 376 विकेट लिए। हां 20.94 के औसत से, जो कि टेस्ट क्रिकेट में 200 से अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में सबसे अच्छा औसत है। मार्शल की गेंदों में गेंदों में गजब की तेजी होती थी। वह वाकई में तेज था...बहुत तेज। एक चीज जो हमेशा उनको दूसरे गेंदबाजों से अलग करती थी, वह थी उनकी नियंत्रित लाइन-लेंथ और लेट स्विंग कराने की क्षमता। वह गेंद को हमेशा सही जगह पर पिच कराते थे और उनकी गेंद अक्सर अंतिम समय में स्विंग होकर अंदर या बाहर की तरफ जाती थी, जिससे बल्लेबाज परेशान हो जाते थे। क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद वे युवा क्रिकेटरों को क्रिकेट के गुर सिखाने लगें। लेकिन कोचिंग के दौरान ही उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद उन्होंने कोचिंग छोड़ दी और अपना इलाज कराने लगे। 4 नवंबर, 1999 को 41 वर्ष की छोटी सी उम्र में वह इस बीमारी से लड़ते-लड़ते हार गए। कहा जाता है कि जिस समय मार्शल की मौत हुई उस समय उनका वजन केवल 25 किलो था। फिलिप ह्यूज hujgh5 फिलिप ह्यूज की मौत वह घटना थी जिसने समूचे क्रिकेट जगत को झकझोर के रख दिया था। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए शेफील्ड शील्ड के एक मैच में न्यू साउथ वेल्स के विरुद्ध खेलते हुए फिलिप ह्यूज को तेज गेंदबाज सीन एबॉट की एक बाउंसर उनके सर पर लगी और ह्यूज पिच पर ही गिर गए। गेंद इतनी तेज थी कि ह्यूज तुरंत बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत सिडनी के सेंट विन्सेंट अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने बताया कि वह कोमा में हैं। डॉक्टरों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन वे ह्यूज को कोमा से बाहर निकालने में सफल नहीं हो सके। दो दिन तक जिंदगी और मौत से जद्दोजहद करने के बाद 27 नवंबर, 2014 को ह्यूज के 26 वें जन्मदिन से महज 3 दिन पहले डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाउंसर फेकने वाले तेज गेंदबाज सीन एबॉट को भी इस घटना से एक गहरा झटका लगा था और वह लंबे समय तक पेशेवर क्रिकेट से दूर हो गए थे। मूल लेखक - उम्मीद कुमार डे अनुवादक - सागर

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