5 भारतीय क्रिकेटर जिनका अंतरराष्ट्रीय करियर सबसे लंबा रहा है

हर खिलाड़ी की ये चाहत होती है कि वो अपने देश के लिए लंबे समय तक खेले और टीम के लिए जितना मुमकिन हो योगदान दे सके। हांलाकि ये खिलाड़ी की फ़िटनेस और फ़ॉर्म पर निर्भर करता है। अगर कोई भी खिलाड़ी चोट से बचा रह पाता है तो वो अपनी टीम के कामयाबी में अहम किरदार अदा कर सकता है। लेकिन क्रिकेट जैसे खेल में लंबे वक़्त तक चोट से बचे रहना बेहद मुश्किल है। कई खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं कि चोटिल होने के बाद भी उनका करियर लंबा चलता है। हम यहां उन 5 भारतीय क्रिकेटर के बारे में चर्चा कर रहे हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय करियर सबसे लंबा चला था। (नोट- जो खिलाड़ी साल 1947 से पहले क्रिकेट खेलते थे उन्हें इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है)

#5 अनिल कुंबले (अप्रैल 1990 – अक्टूबर 2008)

अनिल कुंबले भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे बेहतरीन स्पिनर्स में से एक हैं और वो कई मौकों पर टीम इंडिया के लिए मैच विनर साबित हुए हैं। उन्होंने 1990 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 19 साल की थी। वो ग़ैर परंपरागत तरीके से लेग स्पिन गेंदबाज़ी करते थे। इसके अलावा किसी भी तरह की पिच पर वो बाउंस कराने की कोशिश करते थे। उनती ताक़त औस सटीक गेंदबाज़ी का हर कोई कायल था। उन्हें प्यार से ‘जंबो’ बुलाया जाता है। साल 1999 में दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला में उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच की एक पारी में 10 विकेट लिए थे। वो इंग्लैंड के बाद दूसरे ऐसे खिलाड़ी बने थे जिन्होंने टेस्ट की एक पारी में सभी 10 विकेट हासिल किए हों। कुंबले ने भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपना जलवा दिखाया है। उनके 619 टेस्ट विकेट में से 269 विकेट देश के बाहर हासिल हुए हैं। वनडे में भी उन्होंने काफ़ी कमाल दिखाया है। 271 वनडे मैच में उन्होंने 337 विकेट हासिल किए हैं। जब साल 2007 में वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ दी थी, तब कुंबले को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया था। साल 2008 में पीठ की दर्द की वजह से उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा था। 18 साल लंबे करियर में उन्होंने 955 विकेट हासिल किए हैं।

#4 श्रीनिवास वेंकटराघवन (फ़रवरी 1965 – सितंबर 1983)

श्रीनिवास वेंकटराघवन भारतीय स्पिन चौकड़ी के चौथे सदस्य थे, इस चौकड़ी में बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर, इरापली प्रसन्ना शामिल हैं। वो साल 1975 और 1979 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के कप्तान थे। उन्होंने साल 1965 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। उन्होंने चौथे टेस्ट मैच में 72 रन देकर 8 विकेट हासिल किए थे। उनके करियर में काफ़ी उतार चढ़ाव देखने को मिला। साल 1978 और 1979 में ख़राब प्रदर्शन की वजह से वो टीम से बाहर हो गए थे। साल 1983 में उन्होंने टीम इंडिया में वापसी की और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ खेलकर रिटायर हो गए। 18 साल के करियर में उन्होंने 57 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें 156 हासिल हुए हैं। उन्होंने महज़ 15 वनडे मैच खेले हैं और 5 विकेट लिए हैं।

#3 आशीष नेहरा (फ़रवरी 1999 – नवंबर 2017)

आशीष नेहरा उन चुनिंदा तेज़ गेंदबाज़ों में से एक हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय करियर 15 साल तक चला था। नेहरा ने साल 1999 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ डेब्यू किया था। उन्होंने महज़ 17 टेस्ट मैच खेले हैं। साल 2003 के वर्ल्ड कप में उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 23 रन देकर 6 विकेट हासिल किए थे जो आज तक याद किया जाता है। साल 2005 में टखने की चोट से परेशान रहे। वो 2011 वर्ल्ड कप की चैंपियन टीम इंडिया के सदस्य थे। आईपीएल में उनका प्रदर्शन शानदार रहा था। यही वजह रही कि वो जनवरी 2016 में भारतीय टी-20 टीम में शामिल किए गए। नवंबर 2017 में उन्होंने आख़िरी टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला और संन्यास ले लिया। उन्होंने 235 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए हैं( टेस्ट-44, वनडे-157 और ट्वेंटी ट्वेंटी-34)

#2 मोहिंदर अमरनाथ (दिसंबर 1969 - अक्टूबर 1989)

मोहिंदर अमरनाथ को 1983 के वर्ल्ड कप फ़ाइनल में मैच विनिंग प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है। उस मैच में भारत ने 183 रन बनाए थे, जिसमें मोहिंदर ने 26 रन की पारी खेली थी, इसके बाद उन्होंने 7 ओवर में 12 रन देकर 3 विकेट लिए थे और मैच ऑफ़ द मैच से नवाज़े गए थे। लाला अमरनाथ के बेटे मोहिंदर ने साल 1969 में टेस्ट में डेब्यू किया था। करीब 7 साल बाद 1983 में उन्हें भारतीय टेस्ट और वनडे टीम में शामिल किया गया था। मोहिंदर टीम में आते जाते रहे हैं और आख़िरकार साल 1989 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया। उन्होंने 63 टेस्ट मैच में 4378 रन औक 85 वनडे में 1924 रन बनाए हैं। इसके अलावा उन्होंने 78 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए हैं।

#1 सचिन तेंदुलकर (नवंबर 1989 – नवंबर 2013)

सचिन तेंदुलकर का सम्मान भारत में ही नहीं दुनियाभर में किया जाता है। वो क्रिकेट के सबसे महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34,357 रन बना चुके हैं, इसके अलावा 100 शतक अपने नाम कर चुके हैं। तेंदुलकर न सिर्फ़ अपने आंकड़े के लिए बल्कि अपने रुतबे के लिए भी जाने जाते हैं। सचिन ने 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के ख़िलाफ़ डेब्यू किया था। उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 16 साल की थी। उस वक़्त उन्होंने वसीम अकरम, वक़ार यूनिस, इमरान ख़ान और अब्दुल क़ादिर का सामना किया था। वो कई सालों तक भारतीय टीम की बैटिंग लाइन-अप के आधार रहे हैं। कई मौकों पर उन्होंने अकेले अपने दम पर टीम इंडिया को जीत दिलाई है। वनडे मैच में सचिन का जादू सिर चढ़कर बोलता था। वो विश्व के पहले ऐसे बल्लेबाज़ हैं जिन्होंने वनडे क्रिकेट इतिहास का पहला दोहरा शतक लगाया है। वर्ल्ड कप में उनके नाम सबसे ज़्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड है जिसे तोड़ना बेहद मुश्किल है। 24 साल लंबे करियर में उन्होंने भारतीय टीम को नई ऊंचाइयां दी हैं। साल 2013 में सचिन को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में यादगार विदाई दी गई थी। सचिन ने कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जिसके आस-पास कोई भी बल्लेबाज़ नहीं पहुंच पाया है। सचिन के योगदान को टीम इंडिया कभी नहीं भूल पाएगी। लेखक- साहिल जैन अनुवादक- शारिक़ुल होदा

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications