टी-20 क्रिकेट क्रिकेट ऐसा प्रारूप है, जो अन्य दो फॉर्मेट से बिलकुल ही अलग है। इसी वजह से ऐसा माना जाता कि एक खिलाड़ी सभी फॉर्मेट में सफल नहीं हो सकता है। लेकिन कई खिलाड़ियों ने इस मान्यता को गलत साबित किया है। जिनमें कई टेस्ट विशेषज्ञ भी रहे और टी-20 फॉर्मेट में कमाल का प्रदर्शन किया है। सभी फॉर्मेट में क्रिकेट की बुनियादी बातें समान होती हैं। लेकिन टेस्ट और टी-20 में खेल की परिस्थितियां बेहद ही अलग होती हैं। आइये इन दोनों फॉर्मेट के सफल 5 खिलाड़ियों के बारे में हम आपको बताते हैं, जिन्होंने अपनी तकनीक से दोनों फॉर्मेट में सफलता हासिल की: डेनियल विटोरी- अननोटिस स्पिन थ्रेट टी-20 क्रिकेट में बल्लेबाज़ी करने वाली टीम की ये कोशिश होती है कि वह पॉवरप्ले में तेज गति से रन बनाए। जिससे बल्लेबाज़ गेंदबाज़ पर हावी हो जाते हैं। लेकिन जैसे ही बीच के ओवरों में स्पिनर आते हैं, रन की गति में रुकावट आती है। इसके अलावा विकेट भी निकलते हैं। कई बार जब स्पिनर चल जाते हैं, तो बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को डेथ ओवर में खेलने का मौका भी नहीं मिलता और उससे पहले ही वह ऑलआउट हो जाती है। डेनियल विटोरी ने 7 साल तक टी-20 क्रिकेट खेला है। जिसमें ऐसा नहीं कह सकते कि विटोरी ने खूब विकेट लिया है। लेकिन उन्होंने बल्लेबाजों को रन बनाने से रोका है। उनकी इकॉनमी 34 टी-20 मैचों में 5.70 रही है। सबसे छोटे फॉर्मेट में खेलने से पहले विटोरी ने लम्बे समय तक टेस्ट क्रिकेट खेला था। उन्होंने टी-20 क्रिकेट में अपनी टेस्ट की क्षमता का और कला का बेहतरीन इस्तेमाल किया। वह अपनी गेंदबाज़ी में विविधता और तेजी की मदद से टी-20 में सफल भी रहे। विटोरी विकेट टेकिंग गेंदबाज़ नहीं थे लेकिन बल्लेबाजों पर दबाव बनाकर दूसरे छोर से गेंदबाज़ी करने वाले गेंदबाजों को विकेट लेने में मददगार साबित होते थे। विटोरी के नाम टेस्ट में 362 व 143 टी-20 मैचों में 131 विकेट दर्ज हैं। अमित मिश्रा, आक्रामक गेंदबाज़ टी-20 क्रिकेट की जब पैदाइश हुई तो लोगों ने कयास लगाते हुए कहा कि इस प्रारूप में स्पिनरों की भूमिका काफी सीमित होगी। लेकिन बीते एक दशक में अगर हम नजर दौड़ाते हैं तो टी-20 क्रिकेट में स्पिन गेंदबाजों की भूमिका बेहद ही व्यापक रही है। टी-20 क्रिकेट में लेग स्पिनर की भूमिका बेहद ही अहम है, सटीक लाइन-लेंथ से उन्हें टर्न सबसे ज्यादा मिलता है। टी-20 क्रिकेट एक सफल टीम में लेग स्पिनर का योगदान महत्वपूर्ण होता है। पिछले एक दशक से अमित मिश्रा ने इस बात को साबित किया है। इससे पहले अनिल कुंबले भी टी-20 क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। अपने पहले ही टेस्ट मैच में मिश्रा ने 5 विकेट लिए थे। लेकिन इस लेग स्पिनर को टीम में ज्यादा मौके नहीं मिले। लेकिन अमित ने छोटे प्रारूप में कमाल का प्रदर्शन किया है। पिछले एक दशक से वह लगातार टी-20 क्रिकेट खेल रहे हैं। भारत के लिए वह टी-20 में सबसे ज्यादा विकेट ले चुके हैं। उनका स्ट्राइक रेट 18.2 है। हाशिम अमला- क्रिकेट के बेहतरीन व्यक्ति हाशिम अमला धैर्य व एकाग्रता के पर्याय हैं, उनकी इस खासियत ने उन्हें टेस्ट क्रिकेट में बेहद सफल खिलाड़ी बनाया है। लेकिन इसी वजह से उन्हें टी-20 क्रिकेट में अच्छा नहीं माना जाता था। लेकिन अमला ने इस फॉर्मेट में जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे लोग हैरान रह गए। अमला ने अपनी टेस्ट क्रिकेट की तकनीक का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया और वह टी-20 में सफल खिलाड़ी बन गए। आईपीएल 2017 में अमला ने दो शतक बनाये और पूरे सत्र में उन्होंने 44.38 के औसत से रन बनाए। हालाँकि उनके आंकड़े टीम की किस्मत नहीं बदल पाए। 116 टी-20 मैचों में 33।75 के औसत व 128.57 के स्ट्राइक रेट से रन बनाये हैं। उन्होंने हर 5.97 गेंदों पर बाउंड्री लगाई है। जो डेविड वार्नर 4.93 व कीरोन पोलार्ड 5.08 से बहुत कम नहीं है। हालांकि अमला ने टी-20 क्रिकेट में क्लासिकल बल्लेबाज़ी और स्टाइलिश स्ट्रोकप्ले क्षमता दिखाकर सबका मन मोहा है। माइक हसी- रन मशीन 175 प्रथम श्रेणी मुकाबले खेलने के बाद हसी ने टेस्ट मैच में डेब्यू किया था। लेकिन एक बार मौका मिलने के बाद उन्होंने खुद को टीम में स्थापित कर लिया। उनका निकनेम मिस्टर क्रिकेट पड़ गया। उनकी खासियत ये थी कि वह किसी भी परिस्थिति में खुद को सेट कर लेते थे। हसी टेस्ट क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ रहे हैं। लेकिन टी-20 विश्वकप 2010 के सेमीफाइनल में जब ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 17 गेंदों में 47 रन बनाते थे। जबकि उसके मुख्य बल्लेबाज़ पवेलियन में थे। हसी ने टेस्ट क्रिकेट की क्षमता का मुजायरा पेश करते हुए वह कर दिखाया जो लोगों ने सोचा नहीं था। हसी ने सईद अजमल के एक ओवर में 22 रन बनाये। जिससे आखिरी ओवर का प्रभाव ही खत्म हो गया। इस ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ ने आईपीएल में भी अपने खेल का आनन्द लेते हुए चेन्नई सुपर किंग्स का स्तम्भ बन गया था। हसी ने 161 टी-20 मैचों में 37.45 के औसत से 4500 से ज्यादा रन बनाये हैं। हसी को क्रिकेट में देर से मौका मिला था, लेकिन उन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान कभी भी उम्र व फिटनेस को आड़े नहीं आने दिया। ब्रेड हॉज- सर्वश्रेष्ठ टी-20 खिलाड़ी वेस्टइंडीज से पहले ग्लेन मैक्सवेल ने टी-20 क्रिकेट में पॉवर हिटिंग की महत्ता को साबित किया। इस प्रारूप में बाउंड्री का महत्व सबसे ज्यादा है। इस चीज को बखूबी समझा ब्रेड हॉज ने और अपने अप्रोच में बदलाव किया। जिसके बाद उन्होंने टी-20 क्रिकेट में रनों का अम्बार लगा दिया। अपनी पारी के शुरुआत में हॉज गैप में रन बनाते हैं, उसके बाद गियर बदलकर बड़े शॉट लगाना शुरू कर देते हैं। उनकी इसी खासियत ने टी-20 लीग में उन्हें अपार सफलता दिलाई। इससे पहले हॉज ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खूब रन बनाए लेकिन मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम में उन्हें जगह नहीं मिली। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम 17 हजार से ज्यादा रन व 51 शतक दर्ज हैं। लेकिन उन्हें मात्र 6 टेस्ट मैच में ही खेलने का मौका मिला। जिसके बाद उन्होंने टी-20 फॉर्मेट पर फोकस किया और अपने विस्फोटक अंदाज के लिए दुनिया भर की लीग में खेलते रहे। उनकी खासियत रही कि उन्होंने अच्छी गेंदों पर भी रन बनाए। इसलिए वह इस फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बन गये। लेखक-चैतन्य, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी