
वेस्टइंडीज से पहले ग्लेन मैक्सवेल ने टी-20 क्रिकेट में पॉवर हिटिंग की महत्ता को साबित किया। इस प्रारूप में बाउंड्री का महत्व सबसे ज्यादा है। इस चीज को बखूबी समझा ब्रेड हॉज ने और अपने अप्रोच में बदलाव किया। जिसके बाद उन्होंने टी-20 क्रिकेट में रनों का अम्बार लगा दिया। अपनी पारी के शुरुआत में हॉज गैप में रन बनाते हैं, उसके बाद गियर बदलकर बड़े शॉट लगाना शुरू कर देते हैं। उनकी इसी खासियत ने टी-20 लीग में उन्हें अपार सफलता दिलाई। इससे पहले हॉज ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खूब रन बनाए लेकिन मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम में उन्हें जगह नहीं मिली। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम 17 हजार से ज्यादा रन व 51 शतक दर्ज हैं। लेकिन उन्हें मात्र 6 टेस्ट मैच में ही खेलने का मौका मिला। जिसके बाद उन्होंने टी-20 फॉर्मेट पर फोकस किया और अपने विस्फोटक अंदाज के लिए दुनिया भर की लीग में खेलते रहे। उनकी खासियत रही कि उन्होंने अच्छी गेंदों पर भी रन बनाए। इसलिए वह इस फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बन गये। लेखक-चैतन्य, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी