क्रिकेट में बुरा प्रदर्शन करने पर कोई पनाह नहीं होती। बढिया प्रदर्शन करने के बाद भी ज़िन्दगी आसान नहीं होती। ऊपर तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और वहाँ रहने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पर सभी दिग्गज खिलाड़ियों को अपना स्थान बनाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। एकदम से किसी को भी सफलता नहीं मिलती। चोटी पर पहुँचने के लिए शुरूआत से ही बहुत मेहनत करनी पड़ती है। अच्छा खिलाडी बनने से पहले धीमी शुरूआत के बाद ही सफलता मिलती है। लेकिन कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं इन्होने आते ही ऊँचाइयों को छु लिया और उसे बरक़रार रखा। एक नज़र एेसे पाँच खिलाड़ियों पर जिन्होंने अपनी पहली सीरीज में अपनी छाप छोड़ी: 1- जोएल गार्नर [caption id="attachment_8958" align="alignnone" width="380"] जोएल गार्नर बल्लेबाजों के लिए काल की तरह थे[/caption] 6'8" के क़द वाले सबसे लम्बे खिलाड़ियों में से एक, "बिग बर्ड" के नाम से जाने जाते थे और अपनी तेज गेंदबाज़ी से सामने वाले बल्लेबाज को छोटा कर देते थे। गार्नर की योर्कर उनकी बाउंसर से भी ज़्यादा ख़तरनाक थी और उनकी गेंदबाज़ी की औसत 20.97 की है। 1977 में पाकिस्तान ने वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर गए थे और पाँच टैस्ट की सीरीज में उन्होंने 2-1 से जीत हासिल कर ली थी और उसी के बाद गार्नर का खेल में नाम हो गया था। 3 बार 4 विकेट लेकर 25 विकेट की मदद से उन्होंने पाकिस्तान की हार निश्चित कर दी थी। पोर्ट ऑफ़ स्पेन में ही उनके हाथ कोई विकेट हाथ नहीं लगा। और वे एक बार में 20 ओवर गेंदबाज़ी कर लेते थे। 1987 में रिटायर होने से पहले उन्होंने 53 टैस्ट में 234 विकेट लिए थे। 2- एडम गिलक्रिस्ट [caption id="attachment_8959" align="alignnone" width="468"] पहले मैच में ही गिलक्रिस्ट ने बता दिया था कि वो भविष्य में क्या करने वाले हैं[/caption] वह एक बहुत ही बढिया बल्लेबाज होने के साथ ही बढिया विकेटकीपर हैं जिन्होनें विकेटकीपिंग की परिभाषा ही बदल दी थी। उन्होंने 28 वर्ष की उम्र में खेलना शुरू किया था। एक दिवसीय खेल में भी उन्होंने 25 वर्ष में खेलना शुरू कर दिया था। 1999 में पाकिस्तान के तीन टैस्ट के दौरे के बाद भारत का दौरा था। अपनी पहली पारी में गिलक्रिस्ट ने 81 रन बनाकर 10 विकेट से पाकिस्तान को हराने में योगदान दिया। दूसरे टैस्ट में 90 की स्ट्राइक रेट से 149* रन बनाकर उन्होंने पाकिस्तान को 4 विकेट से हरा दिया। ऑस्ट्रेलिया ने 3-0 से सीरीज जीत ली थी। उन्होंने बल्ले के साथ कारनामा करने के बाद उस सीरीज में 14 बार बल्लेबाज को आउट करने में मदद भी की थी। एक बार उंचाई चखने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 3- केविन पीटरसन [caption id="attachment_8960" align="alignnone" width="628"] पहले ही एशेज में 3 अर्धशतक और एक शतक लगाकर पीटरसन ने शानदार आगाज़ किया[/caption] स्टाइलिश और आक्रामक होने के साथ वे एक बहुत बढिया खिलाडी हैं। उन्होंने 2005 में खेलना शुरू किया था। पहली तीन इनिंग्स में तीन अर्धशतक बनाकर उन्होंने 2005 की एशेज़ सीरीज में अपनी छाप छोड़ दी। इंग्लैंड के 2-1 से सीरीज में लीड लेने के बाद पांचवें टैस्ट में पीटरसन 67-3 पर मैदान पर उतरे। पर तब इंग्लैंड ने 73 रन से लीड ले ली थी। फिर एेशली जाइल्स के साथ मिलकर उन्होंने 158 रन बनाए। उसके बाद इंग्लैंड ने खेल ड्रा कर दिया। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2005 की एशेज़ ने एक बेहतरीन खिलाडी दिया। 4- मोहम्मद अज़हरुद्दीन [caption id="attachment_8961" align="alignnone" width="700"] इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले तीन टैस्ट में अज़हर ने तीन शतक लगाये थे[/caption] वे एक बहुत ही बेहतरीन खिलाडी थे और उनको खेलते देखना एक बहुत बड़ा सौभाग्य था। 1984-85 में जब इंग्लैंड भारत के दौरे पर था तो उन्होंने अपना पहला मैच खेला था। 110,105 और 48 रन बनाने के बाद उन्होंने 1995 में जनवरी में कानपुर टैस्ट में 122 और 54* रन बनाए थे। इस तरह से उन्होंने अपने पहले तीन टैस्ट में तीन शतक लगाये। मैच फ़िक्सिंग के स्कैंडल के बाद उनका करियर अचानक ही समाप्त हो गया। उनकी 22 टेस्ट शतक बनाने के बाद उनका नाम आज तक याद किया जाता है। 5- जावेद मिंयादाद [caption id="attachment_8962" align="alignnone" width="420"] अपनी पहली ही सीरीज में न्यूजीलैंड की हालत ख़राब कर दी थी मियांदाद ने[/caption] प्रतिभा का दूसरा नाम है जावेद मिंयादाद। पाकिस्तान का एक सबसे बढिया खिलाडी मिंयादाद पर भगवान भी मेहरबान थे। सर रिचर्ड हैडली के साथ जब न्यूज़ीलैंड 1976 में तीन टैस्ट की सीरीज खेलने आई तब पहले दो टैस्ट में वो बुरी तरह हारे। तीसरे टैस्ट में भी मिंयादाद की बल्लेबाजी ने उनका हौसला पस्त किया और पाकिस्तान ने मैच ड्रा करा दिया। तीसरे टैस्ट में उन्होंने 206 रन बनाकर पाकिस्तान को 565/9 का स्कोर बनाने में मदद की थी। दूसरी पारी में में 85 रन बनाकर उन्होंने अपनी पहली सीरीज में 126 का औसत बना लिया था। उनकी बल्लेबाजी और आक्रामक खेल ने उनका नाम रौशन कर दिया। उनकी पहली सीरीज ने पकिस्तान को एक जबरदस्त बल्लेबाज डे दिया था। लेखक: सुशेन घोष, अनुवादक: सेहल जैन