2011 में युवराज सिंह को सांस लेने में काफी तकलीफ होती थी, उन्हें काफी दर्द होता था और रात में नींद नहीं आती थी। फिर उन्होंने भारत के लिए विश्व कप जीता। 362 रन और 15 विकेट के साथ वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने। क्रिकेट की पिच पर इससे बेहतर उनके लिए कुछ भी नहीं हो सकता था। हालांकि जनता की निगाहों से दूर युवराज सिंह एक ना पहचाने वाली बीमारी से जूझ रहे थे। विश्व कप के कुछ महीनों के बाद उनका लंग कैंसर का इलाज हुआ और बोस्टन में कीमोथेरेपी। युवराज सिंह लड़े और जीते। 10 महीने की जद्दोजहद के बाद युवी कैंसर की बीमारी को मात देकर पूरी तरह ठीक हुए। इस गंभीर बीमारी ने उन्हें पूरी तरफ बदल दिया। "जब मुझे कैंसर हुआ तो मैंने भगवान से पूछा कि मैं ही क्यों? मगर जब मैंने मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता तो नहीं पूछा कि मैं ही क्यों? तो इस तरह की चीजें जिंदगी का हिस्सा है और आपको इसे सहना होता है।" एक महीने के बाद युवराज ने दिलीप ट्रॉफी में 241 गेंदों में 208 रन की पारी खेली और अपने पुराने अंदाज की झलक दिखाई। उसी वर्ष के अंत में उन्होंने भारतीय टीम की जर्सी में वापसी की और न्यूजीलैंड के खिलाफ चेन्नई में टी20 मैच खेला। भारत यह मैच एक रन से हारा, लेकिन एक बड़ा युद्ध युवी जीत चुके थे।