5 ऐसे क्रिकेटर जो शायद अब इंडियन क्रिकेट टीम में कभी वापसी ना कर पाएं

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2016 के रणजी सीजन में बहुत सारे युवा खिलाड़ी आए, और इन खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। ऋषभ पंत, दीपक हुड्डा, और कृष्णमूर्ति जैसे युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर अपनी एक नई पहचान बनाई, और शायद इस बात की भी दस्तक दे दी कि इंडियन क्रिकेट के भविष्य वही हैं। एक तरफ जहां ये भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छी खबर है वहीं इससे कई सारे सीनियर खिलाड़ियों के लिए दरवाजे बंद होने का भी संकेत है। आइए हम आपको बताते हैं 5 ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे जिनकी शायद अब इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी मुश्किल है :


5. इरफान पठान-

2004 में लाइमलाइट में आने के साथ ही पठान ने कई सालों तक भारतीय टीम की तेज गेंदबाजी की कमान संभाली । अपनी असाधारण स्विंग के कारण उनकी तुलना पाकिस्तानी लीजेंड वसीम अकरम से भी की जाने लगी थी । करियर के शुरुआती दौर में 2004-05 में पाकिस्तान के खिलाफ उनके खतरनाक स्पेल को आज भी कोई नहीं भूला है । शुरुआत के 2-3 साल तक इरफान पठान को करियर में काफी सफलता मिली । लेकिन उसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आने लगी और अंत में उन्हें टीम से बाहर कर दिया । गेंदबाजी के साथ ही इरफान पठान बल्लेबाजी भी काफी अच्छी करते थे, कई बार उन्होंने भारत के लिए उपयोगी पारियां खेली । इरफान अभी घरेलू क्रिकेट में खेल रहे हैं और भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी वापसी अब मुश्किल लगती है । 4. पियूष चावला-

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उत्तर प्रदेश का ये लेग स्पिनर उन चुनिंदा भाग्यशाली खिलाड़ियों में से एक है जो बहुत कम इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के बावजूद दो वर्ल्ड कप विनिंग टीम का हिस्सा रहा है। पियूष चावला ने 2006 में इंटरनेशनल डेब्यू किया, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। जल्द ही पियूष टीम से बाहर हो गए। पिछले 10 सालों में उन्होंने मात्र 3 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें 38.57 की औसत से उन्होंने 7 विकेट लिए हैं। वहीं इसी दौरान उन्होंने 25 वनडे मैचों में 34.90 की औसत से 32 विकेट झटके। भारतीय टीम में इस समय रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, अमित मिश्रा जैसे गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में पियूष चावला की वापसी काफी मुश्किल दिखती है। 3. प्रज्ञान ओझा-

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प्रज्ञान ओझा के पास टैलेंट की कमी नहीं है, लेकिन भारतीय टीम के वर्तमान स्पिनरों के प्रदर्शन को देखकर लगता नहीं है कि वो इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर पाएंगे। बंगाल के इस स्पिनर ने 2009 में अपना टेस्ट डेब्यू किया था और जल्द ही भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गए। रविचंद्र अश्विन के रुप में उन्हें अच्छा जोड़ीदार मिला। 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू श्रृखंला में रविच्रंदन अश्विन के साथ मिलकर उन्होंने एक टेस्ट में 20 विकेट चटकाए। उसी साल न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 13 विकेट लेकर उन्होंने ये कारनामा दोबारा किया। लेकिन उसके बाद उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, कुछ समय अच्छा प्रदर्शन ना कर पाने के कारण उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। रविंद्र जडेजा के टीम में आने के बाद उन्हें वापसी का मौका नहीं मिला और लगता नहीं है कि अब उन्हें ये मौका मिलेगा। 2. प्रवीण कुमार-

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उत्तर प्रदेश के इस तेज गेंदबाज के पास टैलेंट तो बहुत था, लेकिन पेस में कमी के कारण उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया। उमेश यादव, मोहम्मद शमी और इंशात शर्मा जैसे तेज गेंदबाजों के आने के बाद अब प्रवीण की वापसी मुश्किल ही लगती है। 25 का शानदार औसत होने के बावजूद प्रवीण ने भारत के लिए मात्र 6 टेस्ट मैच खेले हैं। वहीं बात अगर की जाए वनडे की तो 2007 से 2012 के बीच उन्होंने 68 वनडे मैच खेले, जिसमें उन्होंने 36.02 की औसत से 77 विकेट चटकाए।

  1. युवराज सिंह-

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भारत का एक बहुत बड़ा तबका चाहता है कि युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी करें, लेकिन युवराज सिंह की भी वापसी मुश्किल ही लगती है। बहुत सारे युवा क्रिकेटर इन दिनों अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित कर रहे हैं, ऐसे में युवराज की वापसी की डगर आसान नहीं लगती। हालांकि इस रणजी सीजन में युवराज ने धमाकेदार बल्लेबाजी की है, लेकिन उम्र अब उनके साथ नहीं है। इसलिए चयनकर्ता युवा बल्लेबाजों को ज्यादा तरजीह देना पसंद करेंगे। युवराज सिंह ने 2000 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया। अपने 15 सालों के करियर में युवराज ने 40 टेस्ट, 293 वनडे और 55 टी-20 मैच खेले। तीनों फॉर्मेट को मिलाकर युवराज ने 12000 से भी ज्यादा रन बनाए हैं।