5 क्रिकेटर जिनका करियर एमएस धोनी ने संवारा

मैदान में हो या मैदान से बाहर एमएस धोनी के फैसले हमेशा चौंकाने वाले रहे। टेस्ट से संन्यास लिए धोनी को 25 महीने हुए ही थे कि उन्होंने वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़कर सबको हैरत में डाल दिया। विश्लेषक पूर्व कप्तान धोनी की सफलता और सफलता आंकने में लगे हैं। लेकिन इन सब बातों की एक बात यही उभरकर सामने आती है कि धोनी ने भारतीय टीम को नई ऊंचाई दी। ट्राफी जीतने के बाद धोनी पर्दे के पीछे होते थे। धोनी कोई भी दांव खेल बैठते थे, जिससे लोग हैरत में होते थे, लेकिन आखिरी परिणाम टीम के हित में ही आता था। उदाहरण के तौर पर आईसीसी की तीनों ट्राफी उनकी कप्तानी में भारत को मिली। धोनी एक अद्भुत कप्तान थे, जिनकी पहचान भी अद्भुत थी। धोनी ने इसी के साथ युवा प्रतिभाओं को खूब मौका दिया। जिनमें से कई ने खुद को टीम में स्थापित भी किया। आज हम आपको इस लेख के जरिये आपको यही बता रहे हैं कि भारतीय खिलाड़ियों के करियर में धोनी का सबसे ज्यादा हाथ रहा है:

रोहित शर्मा

साल 2013 रोहित शर्मा के लिए अहम साल रहा था, जब उन्हें टीम का सलामी बल्लेबाज़ बनाया गया। उस समय तक उनका औसत 30.43 था। साल 2013 के अंत में रोहित ने पूरे कैलेंडर वर्ष में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बने। लगातार खराब फॉर्म के चलते धोनी ने रोहित को बतौर सलामी बल्लेबाज़ के रूप में मौका दिया। जिससे उनका करियर पूरी तरह से बदल गया। हमेशा आलोचकों के निशाने पर रहने वाले रोहित बतौर सलामी बल्लेबाज़ पूरी तरह से बदले नजर आये। रोहित शर्मा को सलामी बल्लेबाज़ बनाने में धोनी का अहम योगदान था। साल 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ इस 29 वर्षीय बल्लेबाज़ को मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार पारी की शुरुआत करने के लिए भेजा गया था। जिसमें रोहित ने 93 गेंदों में 83 रन की पारी खेली थी। उसके बाद श्रीलंका दौरे पर रोहित बुरी तरह विफल हुए जहां उन्होंने 5 मैचों में मात्र 13 रन बनाये थे। लेकिन शर्मा पर धोनी का भरोसा कायम रहा और उन्होंने चैंपियंस ट्राफी में शानदार खेल दिखाया। उसके बाद रोहित ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रविन्द्र जडेजा रविन्द्र जडेजा की कहानी भी रोहित जैसी ही थी। साल 2013 में जडेजा का औसत 38.42 था। लेकिन उस साल वह वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने। साल 2013 में जडेजा की किस्मत बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी में जाग गयी। जहां लम्बे फॉर्मेट के बाद वह छोटे प्रारूप में भी कारगर साबित होने लगे। सीरिज में 24 विकेट लेकर जडेजा ने खुद को एक बेहतरीन गेंदबाज़ी ऑलराउंडर के रूप में विकसित किया। धोनी ने जडेजा को घरेलू स्तर से उठाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बेहतरीन क्रिकेटर बना दिया। आर अश्विन अश्विन तमिलनाडु की ओर से लगातार रणजी में बेहतरीन खेल दिखा रहे थे। जिसके बाद आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स में उन्हें 2010 में खेलने का मौका मिला। टूर्नामेंट में अश्विन का प्रदर्शन शानदार रहा और जल्द ही उन्हें भारतीय वनडे टीम में जगह मिल गयी। उसके अगले ही साल उन्हें टेस्ट में भी डेब्यू करने का मौका मिल गया। अश्विन का प्रदर्शन उपमहाद्वीप में भारत की कई यादगार जीत का गवाह बना। लेकिन ये सब धोनी के बगैर संभव नहीं था। अश्विन हालांकि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में उतने प्रभावी नजर नहीं आये। लेकिन दबाव की परिस्थितियों में जब भी गेंद धोनी ने उन्हें सौंपी अश्विन ने विकेट लेकर दिखाया। सुरेश रैना रैना का पूर्व कप्तान धोनी के साथ बेहतरीन रिश्ता था। ऐसा आपने कई बार सुना होगा कि धोनी और रैना की खास दोस्ती थी। धोनी जब कई सीरिज में नहीं खेले तो रैना को भारतीय टीम की कप्तानी भी मिली। धोनी ने कई बार रैना को तीसरे क्रम पर बल्लेबाज़ी का मौका दिया। लेकिन वह अपनी जगह टीम में स्थापित नहीं कर सके। टेस्ट को अलविदा कहने के बाद धोनी की जर्सी कौन पहनेगा? तो जवाब आता था कि रैना! धोनी ने रैना के बारे में कहा था, “वह एक बेहतरीन खिलाड़ी है, ऐसे में हमे उसका सपोर्ट करना चाहिए। अगर हम उसका सपोर्ट नहीं करेंगे तो वह शॉट नहीं खेलेगा और 25 रन बनाकर नाबाद लौट आयेगा।” गुजरात लायंस की कप्तानी मिलने के बाद रैना ने भी कहा था कि मैंने धोनी से बहुत कुछ सीखा है। स्लिप पर फील्डिंग के दौरान मैं धोनी से लगातार बातें करता रहता था। “वह बेहद शांत स्वभाव के हैं लेकिन वह दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ हैं।” विराट कोहली सीमित ओवर के क्रिकेट में ही नहीं बल्कि कोहली को धोनी ने बड़े प्रारूप में भी मौका दिया। सीमित ओवर में विराट कोहली को तीसरे क्रम पर धोनी ने मौका दिया था। जहां उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए धोनी ने उन्हें टेस्ट में भी मौका दिया। हालांकि साल 2011-12 में कोहली ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर असफल साबित हो रहे थे। लेकिन धोनी ने उन्हें तीसरे टेस्ट मैच में मौका दिया। जहां कोहली ने अर्धशतकीय पारी खेली और एडिलेड में शतक लगाकर आलोचकों को जवाब दिया। “साल 2012 में चयनकर्ता रोहित शर्मा को कोहली की जगह पर्थ टेस्ट में मौका देना चाहते थे। मैं टीम का उपकप्तान था और धोनी टीम के कप्तान थे। हमने तय किया कि कोहली को अंतिम 11 में मौका दिया जायेगा। बाकी तो अब इतिहास गवाह है।” ये बात वीरेन्द्र सहवाग ने बोली थी। उसके बाद से कोहली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। धोनी ने बतौर कप्तान इन सभी खिलाड़ियों के खराब समय में मौके देकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद की है। ऐसे में अब समय आ गया है कि ये सभी खिलाड़ी धोनी के लिए साल 2019 में वर्ल्डकप जीतकर अहसान चुकता करें।