मैच रेफ़री का काम ये सुनिश्चित करना होता है कि क्रिकेट के खेल को सही भावना के साथ खेला जाए। इसके अलावा अनुशासन को मैदान में और मैदान के बाहर बनाए रखना भी मैच रेफ़री की ज़िम्मेदारी होती है। मैच ख़त्म होने के बाद कई अनुसाशन संबंधी विवाद भी होता है, जैसे स्लो ओवर रेट या अन्य विवाद। कुछ क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में संन्यास लेने के बाद मैच रेफ़री की ज़िम्मेदारी संभालते हैं। यहां हम ऐसे ही 5 क्रिकेटर के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
#5 क्लाइव लॉयड
वेस्टइंडीज़ के क्लाइव लॉयड सचमुच में कई पीढ़ियों के क्रिकेटर्स के लिए प्रेरणास्रोत हैं। लॉयड 1970 और 1980 के दशक में विश्व के सबसे बेहतरीन टीम के कप्तान रह चुके हैं। भले ही कोई युवा क्रिकेटर हो या फिर मशहूर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी लॉयड सभी के लिए आदर्श रहे हैं। उन्होंने अपनी कप्तानी में वेस्टइंडीज़ टीम को कई बड़ी जीत दिलाई है, जिसमें 1975 और 1979 का क्रिकेट वर्ल्ड कप शामिल है। इस बात में कोई शक नहीं कि विश्व क्रिकेट में हर कोई उनका सम्मान करता है। लॉयड ने साल 1984 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था, उसके बाद वो मैच रेफ़री की भूमिका में आ गए थे। साल 1992 से 2007 तक उन्होंने 53 टेस्ट, 133 वनडे और 2 टी-20 मैच की कप्तानी की है। आज भी क्लाइव लॉयड के दिमाग़ को क्रिकेट का सबसे तेज़ दिमाग कहा जाता है।
#4 क्रिस ब्रॉड
इंग्लैंड के क्रिस ब्रॉड को 1986 के एशेज़ सीरीज़ में शानदार प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है। उन्होंने उस सीरीज़ के लगातार 3 टेस्ट में 3 शतक बनाया था। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने टेस्ट की 44 पारियों में 39.55 की औसत से रन बनाए हैं। इसके अलावा 34 वनडे मैच में उनका औसत 40.03 का रहा है। क्रिस ब्रॉड को एक आक्रामक बल्लेबाज़ के तौर पर जाना जाता थो, जो पहली ही गेंट पर बड़े शॉट लगाना पसंद करते थे। शायद यही वजह रही कि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर अन्य बड़े खिलाड़ियों के मुक़ाबले काफ़ी छोटा रहा है। भले ही उन्होंने इंग्लैंड के लिए महज़ 25 टेस्ट मैच और 34 वनडे मैच खेले हैं, लेकिन वो आईसीसी मैच रेफ़री पैनल में 2003 से लगातार बरक़रार हैं। मैच रेफ़री की ज़िम्मेदारी संभालते हुए उनका तजुर्बा 14 साल का हो चुका है। क्रिस ब्रॉड वे कुल 461 अंतरराष्ट्रीय मैचों में मैच रेफ़री की भूमिका निभाई है, जिसमें 93 टेस्ट, 294 वनडे और 74 टी-20 शामिल हैं। क्रिस ब्रॉड आज भी आईसीसी मैच रेफ़री पैनल के अहम सदस्य है।
#3 रोशन महानामा
जब रोशन महानामा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे थे तो उनको एक आक्रामक बल्लेबाज़ और चुस्त फ़ील्डर के तौर पर देखा जाता था। साल 1996 के वर्ल्ड कप में वो श्रीलंकाई टीम के बेहद अहम सदस्य थे। साल 1999 के वर्ल्ड कप में उनके बेहद ख़राब प्रदर्शन की बदौलत उनको राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया था। वो दोबारा श्रीलंका के लिए कभी नहीं खेल पाए। दाएं हाथ के इस शानदार बल्लेबाज़ ने श्रीलंका के लिए 52 टेस्ट और 213 वनडे मैच खेले हैं। संन्यास के कुछ साल बाद 2004 में वो मैच रेफ़री की भूमिका में आए और 2015 तक उन्होंने ये ज़िम्मेदारी संभाली। उनके बाद उन्होंने रेफ़री के रोल से भी संन्यास ले लिया ताकि वो परिवार के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिता पाएं। वो बतौर मैच रेफ़री 11 सालों में कुल 318 अंतरराष्ट्रीय मैच का हिस्सा रहे हैं।
#2 जवागल श्रीनाथ
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि कपिल देव के संन्यास लेने के बाद टीम इंडिया को श्रीनाथ के तौर पर सबसे बेहतरीन तेज़ गेंदबाज़ मिला था। 1996, 1999 और 2003 के वर्ल्ड कप में भारतीय पेस अटैक के लीडर थे। मैसूर के दाएं हाथ के ये तेज़ गेंदबाज़ भारत के स्टार खिलाड़ी रह चुके हैं। वो क़रीब 1 दशक तक भारतीय पेस अटैक के महारथी रहे हैं। श्रीनाथ ने 67 टेस्ट मैच में 236 विकेट और 229 वनडे मैच में 315 विकेट हासिल किए हैं। साल 2003 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। श्रीनाथ ने साल 2006 में मैच रेफ़री की ज़िम्मेदारी संभाली थी। तब से लेकर कर अब तक वो क़रीब 309 अंतरराष्ट्रीय मैचों में रेफ़री की भूमिका निभा चुके हैं।
#1 जेफ़ क्रो
न्यूज़ीलैंड के पूर्व कप्तान और स्वर्गीय मार्टिन क्रो के छोटे भाई जेफ़ क्रो साल 2004 से लेकर अब तक आईसीसी मैच रेफ़री पैनल में शामिल हैं। जेफ़ क्रो ने 6 टेस्ट मैच में न्यूज़ीलैंड टीम की कप्तानी की है। उन्होंने कीवी टीम के लिए 39 टेस्ट और 75 वनडे मैच खेले हैं। मैच रेफ़री के तौर पर वो 85 टेस्ट, 267 वनडे और 80 टी-20 में शामिल हो चुके हैं। क्रिकेट की दुनिया में उन्हें बड़े सम्मान की नज़र से देखा जाता है। उनके बड़े भाई मार्टिन क्रो न्यूज़ीलैंड के मशहूर खिलाड़ी रह चुके हैं। लेखक- मीत संपत अनुवादक – शारिक़ुल होदा